India Export Mart / भारतीय निर्यातकों ने बदली रणनीति: अमेरिका से हटकर एशिया और यूरोप में बनाई मजबूत पकड़

हालिया आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय निर्यातकों ने अपनी वैश्विक उपस्थिति मजबूत की है, अमेरिका के भारी आयात शुल्क के बाद एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के नए बाजारों की ओर रुख किया है। वियतनाम, बेल्जियम, यूएई जैसे देशों में वस्त्र, रत्न-आभूषण और समुद्री उत्पादों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

भारत के निर्यात परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है, जहां भारतीय निर्यातक अब अपनी वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने के लिए किसी एक बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं। हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि भारत ने अपनी निर्यात रणनीति में विविधता लाई है, जिससे उसकी वैश्विक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह बदलाव विशेष रूप से 2025 की पहली छमाही में सामने आया, जब अमेरिका द्वारा 50%। तक के भारी आयात शुल्क लगाए जाने के बाद भारतीय निर्यातकों ने अपनी दिशा बदल ली।

रणनीतिक बदलाव और नए बाजार

पहले, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार हुआ करता था, लेकिन अब भारतीय निर्यातक एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के नए देशों की ओर रुख कर रहे हैं। इस रणनीतिक बदलाव का परिणाम यह हुआ है कि भारत के एक्सपोर्ट बास्केट में नए बाजारों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है और यह कदम भारतीय कंपनियों के लिए जोखिम को कम करने और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आवश्यक था। अमेरिका में बढ़ते टैरिफ के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारतीय कंपनियों ने सक्रिय रूप से अपने निर्यात को विविध भौगोलिक क्षेत्रों में फैलाना शुरू कर दिया था, जिससे उन्हें नए अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिली।

एशियाई और यूरोपीय बाजारों में बढ़ती पकड़

भारतीय निर्यातकों की इस नई रणनीति का सबसे बड़ा प्रभाव एशियाई और यूरोपीय बाजारों में देखा गया है। वियतनाम, बेल्जियम, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में भारतीय वस्त्र, रत्न-आभूषण और समुद्री उत्पादों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है और इन बाजारों में भारतीय उत्पादों की स्वीकार्यता और लोकप्रियता बढ़ी है, जो भारत के लिए नए व्यापारिक संबंध स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त कर रही है। विशेष रूप से, वियतनाम और बेल्जियम जैसे देशों में भारत के निर्यात में 70% से 100% तक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है, जो इन बाजारों में भारतीय उत्पादों की मजबूत मांग को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, थाईलैंड, मलेशिया और चीन जैसे भारत के पारंपरिक एशियाई साझेदारों ने भी भारतीय उत्पादों के आयात में उल्लेखनीय इजाफा किया है, जिससे इन क्षेत्रों में भारत की व्यापारिक उपस्थिति और मजबूत हुई है। यह दर्शाता है कि भारतीय निर्यातक न केवल नए बाजारों की तलाश कर रहे हैं, बल्कि अपने मौजूदा साझेदारों के साथ भी संबंधों को गहरा कर रहे हैं।

समुद्री उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मांग

भारतीय समुद्री उत्पादों का निर्यात भी इस वैश्विक विविधीकरण का एक प्रमुख लाभार्थी रहा है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच, भारतीय समुद्री उत्पादों का निर्यात लगभग 15. 6% बढ़कर 4. 83 अरब डॉलर तक पहुंच गया और यह वृद्धि मुख्य रूप से एशिया और यूरोप में बढ़ती मांग की वजह से हुई है। वियतनाम, बेल्जियम और थाईलैंड जैसे देशों में भारत के समुद्री उत्पादों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, जिससे इन बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खुले हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस विविधीकरण के बावजूद, अमेरिका अभी भी समुद्री उत्पादों की श्रेणी में भारत का सबसे बड़ा एकल बाजार बना हुआ है, जो इस क्षेत्र में उसकी निरंतर मजबूत स्थिति को दर्शाता है और हालांकि, नए बाजारों में वृद्धि भारत को भविष्य के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करती है।

वस्त्र उद्योग की नई उड़ान

भारत का वस्त्र उद्योग भी अब पारंपरिक बाजारों से बाहर निकलकर नए देशों में अपनी जगह बना रहा है। 2025 की शुरुआत में कपड़ा निर्यात में 1. 23% की मामूली लेकिन सकारात्मक बढ़त दर्ज की गई, जो कुल 28 अरब डॉलर के करीब पहुंची और यह वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय वस्त्र निर्यातक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात इस वृद्धि का नेतृत्व कर रहा है, जहां भारत से वस्त्र निर्यात में 8. 6% की वृद्धि हुई है और यूएई एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा है, जो भारतीय वस्त्रों के लिए एक प्रवेश द्वार का काम कर रहा है। इसके अलावा, नीदरलैंड, पोलैंड, स्पेन और मिस्र जैसे यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में भी भारत के कपड़ों की मांग बढ़ी है, जो भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए नए और विविध बाजारों के खुलने का संकेत है। यह विविधीकरण भारतीय वस्त्र उद्योग को वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाता है।

रत्न और आभूषण निर्यात में नई चमक

भारत का रत्न और आभूषण क्षेत्र भी नई मंजिलों की ओर बढ़ रहा है, जो वैश्विक बाजार में अपनी चमक बिखेर रहा है। 2025 की पहली छमाही में इस क्षेत्र में 1. 24% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे कुल निर्यात 22. 7 अरब डॉलर तक पहुंच गया और यह वृद्धि भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग की गुणवत्ता और शिल्प कौशल की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाती है। संयुक्त अरब अमीरात इस श्रेणी में सबसे बड़ा बाजार बन गया है, जहां भारत से निर्यात 37% से ज्यादा बढ़ा है। यूएई का यह उदय इस क्षेत्र में एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में उसकी भूमिका को रेखांकित करता है। दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और कनाडा जैसे देशों में भी भारतीय आभूषणों की मांग बढ़ रही है, जो इन बाजारों में भारतीय डिजाइन और गुणवत्ता की बढ़ती पसंद को दर्शाता है। दिलचस्प बात यह है कि चीन और मैक्सिको अब नए हाई ग्रोथ मार्केट्स के रूप में उभर रहे हैं, जो भारतीय रत्न और आभूषण निर्यातकों के लिए भविष्य में और भी अधिक अवसर प्रदान कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय निर्यातक लगातार नए और उभरते बाजारों की पहचान कर रहे हैं और उनमें अपनी पैठ बना रहे हैं।