India-New Zealand Trade / भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता: पीएम लक्सन ने बताया बड़ी उपलब्धि, रोजगार और निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लगने के बाद न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसे अपने देश की एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता 1.4 अरब भारतीय उपभोक्ताओं के बाजार के दरवाजे खोलेगा, जिससे अधिक नौकरियां, ऊंची आय और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न होने के बाद न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसे अपने देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है। इस समझौते पर मुहर लगने के बाद प्रधानमंत्री लक्सन ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी सरकार की एक प्रमुख सफलता है, जो न्यूजीलैंड के आर्थिक भविष्य को नई दिशा देगी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता हासिल करने का वादा किया था, और उन्होंने इसे सफलतापूर्वक पूरा कर दिखाया है।

समझौते की घोषणा और पृष्ठभूमि

यह महत्वपूर्ण समझौता 22 दिसंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच हुई टेलीफोन वार्ता के बाद घोषित किया गया था और दोनों नेताओं ने इस समझौते को द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया, जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा। इस घोषणा ने दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों में उत्साह भर दिया है और भविष्य में आर्थिक सहयोग की नई संभावनाओं को जन्म दिया है।

तेज गति से संपन्न हुई वार्ता

इस समझौते की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक इसकी तीव्र गति से संपन्न हुई वार्ता प्रक्रिया है। मार्च 2025 में शुरू हुई वार्ताएं मात्र नौ महीनों के रिकॉर्ड समय में पूरी हो गईं, जो भारत के सबसे तेज संपन्न हुए मुक्त व्यापार समझौतों में से एक है। यह गति दोनों देशों की इस समझौते को लेकर प्रतिबद्धता और इच्छाशक्ति को दर्शाती है और यह समझौता भारत के 'विकसित भारत 2047' विजन से भी जुड़ा है, जिसका उद्देश्य देश को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना है। इस समझौते के माध्यम से भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति। को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा है।

न्यूजीलैंड के लिए आर्थिक लाभ

इस समझौते के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, न्यूजीलैंड भारत को अपने 95% निर्यातों पर शुल्क कम या समाप्त करेगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समझौते के पहले दिन से ही 57% उत्पाद शुल्क-मुक्त हो जाएंगे और यह न्यूजीलैंड के निर्यातकों के लिए भारतीय बाजार में एक बड़ा अवसर पैदा करेगा, जिससे उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा और उनके उत्पादों की मांग बढ़ेगी। प्रधानमंत्री लक्सन ने विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि यह ऐतिहासिक समझौता 1. 4 अरब भारतीय उपभोक्ताओं के विशाल बाजार के दरवाजे खोलेगा, जिससे न्यूजीलैंड में अधिक नौकरियां पैदा होंगी, नागरिकों की आय में वृद्धि होगी और देश का निर्यात बढ़ेगा और उन्होंने इसे 'मूलभूत सुधार' और 'भविष्य का निर्माण' बताया।

भारत के लिए व्यापार और निवेश के अवसर

भारत के लिए भी यह समझौता कई महत्वपूर्ण लाभ लेकर आया है और समझौते के तहत, भारत के सभी निर्यात न्यूजीलैंड में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त करेंगे। इससे भारतीय कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, आभूषण और इंजीनियरिंग सामान जैसे प्रमुख क्षेत्रों को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। इन क्षेत्रों के उत्पादों को न्यूजीलैंड के बाजार में बिना किसी शुल्क बाधा के प्रवेश मिलेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और निर्यात में वृद्धि होगी। इसके अलावा, न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन होगा और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को गति देगा।

सेवा क्षेत्र में मजबूत पहुंच और रोजगार वीजा

सेवा क्षेत्र में भी भारत को इस समझौते से मजबूत पहुंच मिलेगी। भारतीय IT, शिक्षा, वित्तीय सेवाएं और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को न्यूजीलैंड के बाजार में बेहतर अवसर प्राप्त होंगे और यह भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए नए रास्ते खोलेगा और द्विपक्षीय सेवा व्यापार को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, भारतीय पेशेवरों के लिए एक नई अस्थायी रोजगार वीजा सुविधा भी शुरू की जाएगी, जिसमें एक समय में 5,000 वीजा तीन वर्ष तक की अवधि के लिए दिए जाएंगे। यह सुविधा भारतीय कार्यबल के लिए न्यूजीलैंड में रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी और दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करेगी।

द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य

वर्तमान में, भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1. 3 अरब डॉलर है। इस मुक्त व्यापार समझौते के माध्यम से, दोनों देशों ने अगले पांच। वर्षों में इस व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की बढ़ती गहराई और विश्वास को दर्शाता है। व्यापार में यह वृद्धि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचाएगी और उनके बीच सहयोग के नए आयाम स्थापित करेगी।

आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा

यह समझौता न केवल बड़े उद्योगों बल्कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को भी मजबूत करेगा। यह रोजगार सृजन, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देगा और mSME क्षेत्र को नए बाजार और अवसर मिलेंगे, जिससे वे अपनी पहुंच का विस्तार कर सकेंगे और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे। यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा, जिससे दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित होगी।

आलोचना और रणनीतिक महत्व

हालांकि, इस समझौते को न्यूजीलैंड की गठबंधन सरकार में विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स की ओर से कुछ आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। उन्होंने विशेषकर डेयरी उत्पादों की बहिष्कार पर इसे 'निष्पक्ष नहीं' बताकर अपनी असहमति व्यक्त की। इसके बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह व्यापार, निवेश और लोगों के बीच संबंधों को नई गति देगा और उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक विकास और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग का प्रतीक है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि में योगदान देगा।

औपचारिक हस्ताक्षर की संभावना

इस ऐतिहासिक समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर 2026 की पहली तिमाही में होने की संभावना है। यह औपचारिक प्रक्रिया समझौते को कानूनी रूप देगी और इसके पूर्ण कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करेगी। एक बार औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित होने के बाद, यह समझौता भारत और न्यूजीलैंड के बीच। एक नए आर्थिक युग की शुरुआत करेगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को व्यापक लाभ मिलेंगे।