- भारत,
- 23-Jun-2025 07:47 PM IST
India-Pakistan Relations: पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आता। वर्षों से आतंकवाद को प्रश्रय देने वाला यह देश अब अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लेकर भी धमकी भरी भाषा में बात करने लगा है। ताजा मामला पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी का है, जिन्होंने सोमवार को भारत को सिंधु जल संधि को लेकर युद्ध की धमकी दी है।
बिलावल की आपत्तिजनक टिप्पणी
पाकिस्तानी संसद में बोलते हुए बिलावल ने कहा, "अगर भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) के तहत पाकिस्तान को उसका उचित जल हिस्सा नहीं दिया, तो पाकिस्तान युद्ध की ओर अग्रसर होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं—या तो पानी समान रूप से साझा करे, या फिर पाकिस्तान छह नदियों का पानी जबरन लेगा।
बिलावल ने भारत के उस निर्णय पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को भारत ने स्थगित कर दिया है। उनका कहना था कि यह संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है और इसे स्थगित नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत के इस कदम को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ बताया और कहा कि पानी रोकना अवैध है।
अमित शाह के बयान से तिलमिलाया पाकिस्तान
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि भारत अब सिंधु जल संधि को कभी बहाल नहीं करेगा। यह बयान उस आतंकी हमले के बाद आया, जो कश्मीर के पहलगाम में हुआ था और जिसमें पाकिस्तानी तत्वों की संलिप्तता पाई गई थी। शाह के इस ऐलान से पाकिस्तान में खलबली मच गई थी।
अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया था कि जब पाकिस्तान बार-बार भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करता है, तो भारत ऐसे एकतरफा समझौतों को जारी नहीं रख सकता।
पाकिस्तान की बौखलाहट का कारण क्या है?
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। इस संधि के तहत भारत अपनी तीन नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का अधिकतर पानी उपयोग करता है, जबकि पाकिस्तान को झेलम, चिनाब और सिंधु का बड़ा हिस्सा मिलता रहा है। लेकिन अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक ऐसे किसी समझौते का कोई औचित्य नहीं है।
पाकिस्तान की धमकी और वास्तविकता
बिलावल भुट्टो की यह टिप्पणी दर्शाती है कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंकी नीतियों से बाज नहीं आता, बल्कि जब कोई देश उसका विरोध करता है, तो वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देकर खुद को पीड़ित साबित करने की कोशिश करता है।
भारत का रुख अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट और ठोस है—राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। पाकिस्तान को समझना होगा कि अब वह पुराने भारत से नहीं, एक निर्णायक और मजबूत भारत से सामना कर रहा है।
संघर्ष और धमकियों से नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और शांति से ही आगे का रास्ता निकलेगा—अगर पाकिस्तान सच में सहयोग चाहता है, तो उसे सबसे पहले आतंकवाद का त्याग करना होगा।
