अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (CFR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में एक गंभीर चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2026 में एक सशस्त्र संघर्ष छिड़ सकता है। यह चेतावनी क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर आई है,। जिसे थिंक टैंक ने इस संभावित 'जंग' का मुख्य कारण बताया है। इस रिपोर्ट ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि यह दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच भविष्य के तनाव की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करती है। अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञों के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि ट्रंप प्रशासन ने अतीत में दोनों देशों के बीच चल रहे विवादों को सुलझाने का प्रयास किया था, लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी जटिल बनी हुई है।
बढ़ती आतंकी गतिविधियां और क्षेत्रीय अस्थिरता
CFR की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित संघर्ष का मूल कारण सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो दशकों से दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करता रहा है। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि जब तक इन गतिविधियों पर प्रभावी ढंग से अंकुश नहीं लगाया जाता, तब तक क्षेत्र में शांति और स्थिरता एक दूर का सपना बनी रहेगी। थिंक टैंक का विश्लेषण इस बात की ओर इशारा करता है कि आतंकवादी समूहों की लगातार सक्रियता और उनके द्वारा किए जाने वाले हमले, दोनों देशों के बीच तनाव को लगातार बढ़ा रहे हैं, जिससे एक बड़े संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है और यह स्थिति न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
मई 2025 का संघर्ष: एक पूर्व चेतावनी
रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल मई में हुई एक छोटी सी। जंग का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जो तीन दिनों तक चली थी। यह घटना भविष्य के बड़े संघर्ष की एक पूर्व चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। इस संघर्ष की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक कायराना आतंकी हमले से हुई थी, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की जान ले ली थी। यह हमला न केवल भारत के लिए एक बड़ी त्रासदी थी, बल्कि इसने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया था। इस घटना ने भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान को एक मजबूत प्रतिक्रिया देने। के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
पहलगाम हमले के कुछ हफ्तों बाद, 6 मई की रात को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाना था, जो सीमा पार से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को अत्यंत सटीकता और प्रभावशीलता के साथ अंजाम दिया। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान, भारतीय सेना ने 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया और 9 आतंकी शिविरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। यह कार्रवाई भारत की दृढ़ता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी शून्य-सहिष्णुता नीति को दर्शाती है। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी नेटवर्क को एक। बड़ा झटका दिया और भारत की रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और डी-एस्केलेशन
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान ने ड्रोनों के जरिए भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमले की कोशिश की। हालांकि, भारतीय सेना ने इन सभी हमलों को सफलतापूर्वक रोक दिया और पाकिस्तान के किसी भी नापाक मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया। भारत द्वारा की गई जबरदस्त जवाबी कार्रवाई और उसकी सैन्य तत्परता ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। 10 मई को, पाकिस्तानी DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) ने अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया,। जिसके बाद दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर समझौता किया। यह समझौता अस्थायी रूप से तनाव को कम करने में सफल रहा, लेकिन CFR की रिपोर्ट बताती है कि अंतर्निहित मुद्दे अभी भी बने हुए हैं।
ट्रंप प्रशासन के प्रयास और वैश्विक संदर्भ
CFR की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ट्रंप सरकार ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, गाजा पट्टी, यूक्रेन, भारत-पाकिस्तान और कंबोडिया-थाईलैंड के बीच जारी लड़ाई समेत कई विवादों को खत्म करने की कोशिश की थी। यह दर्शाता है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष को वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य के एक हिस्से के रूप में देखा जाता है। हालांकि, रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि इन प्रयासों के बावजूद, कुछ विवादों की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल साबित हुआ है। भारत-पाकिस्तान के मामले में, आतंकवाद का मुद्दा एक प्रमुख बाधा बना हुआ। है जो किसी भी स्थायी शांति समझौते की राह में खड़ा है।
भविष्य की चुनौतियां और क्षेत्रीय स्थिरता
CFR की रिपोर्ट में केवल भारत-पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भी संघर्ष की संभावना का जिक्र किया गया है। इस साल की शुरुआत में अक्टूबर में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा विवाद शुरू हुआ था। यह विवाद तब और बढ़ गया जब पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के नेता नूर वली महसूद को मारने के लिए काबुल पर एयरस्ट्राइक की। अफगानिस्तान ने इस हमले का कड़ा जवाब दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। CFR रिपोर्ट कहती है कि 2026 में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच भी हल्की-फुल्की जंग हो सकती है, जिसका कारण भी आतंकी हमलों को ही बताया गया है। यह दर्शाता है कि क्षेत्र में आतंकवाद एक व्यापक समस्या है। जो कई देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर रही है।
अमेरिकी थिंक टैंक की यह चेतावनी क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर निहितार्थ रखती है। यदि 2026 में भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष होता है, तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं, खासकर जब दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हों। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बढ़ती हुई चुनौती पर ध्यान देना चाहिए और दोनों देशों को बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ एक समन्वित और प्रभावी रणनीति ही इस क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित कर सकती है। CFR की रिपोर्ट एक वेक-अप कॉल है जो सभी हितधारकों को भविष्य की संभावित चुनौतियों के प्रति सचेत करती है।