इस साल चांदी की कीमतों में एक अभूतपूर्व उछाल देखने को मिला है, जिसने निवेशकों और बाजार विश्लेषकों दोनों का ध्यान आकर्षित किया है और मौजूदा साल में अब तक चांदी की कीमतों में 120 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसके चलते शुक्रवार को घरेलू बाजार में चांदी की कीमत पहली बार 200,000 रुपए के पार पहुंच गई। यह वृद्धि इतनी महत्वपूर्ण है कि इसने 46 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है, क्योंकि 1979 के बाद पहली बार चांदी की कीमतों में इतनी तेज बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि, चांदी की यह सुनहरी चमक यहीं खत्म होने वाली नहीं है, क्योंकि विश्लेषकों का अनुमान है कि अगले साल तक इसकी कीमत ₹240,000-250,000 के लक्ष्य तक पहुंच जाएगी, जो मौजूदा स्तर से लगभग 25% की और वृद्धि होगी। यह अनुमान वास्तविक आपूर्ति संबंधी बाधाओं और बढ़ती मांग पर आधारित है।
चांदी की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल
चांदी की कीमतों में इस साल की शुरुआत से ही तेजी बनी हुई है, जिसने इसे एक दशक के सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वाले कमोडिटी में से एक बना दिया है और 120% की वृद्धि ने न केवल निवेशकों को मालामाल किया है, बल्कि बाजार में एक नया उत्साह भी पैदा किया है। ₹200,000 के आंकड़े को पार करना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है,। जो चांदी की बढ़ती लोकप्रियता और इसके अंतर्निहित मूल्य को दर्शाता है। यह ऐतिहासिक वृद्धि 1979 के बाद से नहीं देखी गई थी, जो मौजूदा तेजी की असाधारण प्रकृति को उजागर करती है और यह दर्शाता है कि बाजार में चांदी को लेकर एक नया दृष्टिकोण विकसित हो रहा है, जहां इसे केवल एक कीमती धातु के रूप में नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण औद्योगिक घटक के रूप में भी देखा जा रहा है।
तेजी के मुख्य कारण
INVAsset PMS के बिजनेस हेड हर्षल दासानी ने मिंट की रिपोर्ट में बताया कि चांदी की बढ़ती कीमतें बाजार में एक स्ट्रक्चरल रीवैल्यूएशन का संकेत देती हैं। यह रीवैल्यूएशन मुख्य रूप से फिजिकल कमी और बढ़ती डिमांड की वजह से हो रहा है। वैश्विक खनन उत्पादन ऊंची कीमतों के हिसाब से नहीं बढ़ रहा है और लगभग 810 मिलियन औंस पर स्थिर हो गया है, जो पांच साल पहले के स्तर के लगभग बराबर या उससे भी कम है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लगभग 70-80 फीसदी चांदी सीसा, जस्ता और तांबे के बाय-प्रोडक्ट के रूप में प्राप्त होती है, जिससे इसकी आपूर्ति में सीधे तौर पर वृद्धि करना मुश्किल हो जाता है। रिफिनिटिव के आंकड़ों के अनुसार, चांदी की आपूर्ति में कमी 2026 तक बनी रहने की उम्मीद है, जो लगभग 112 मिलियन औंस अनुमानित है। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि औद्योगिक मांग तेजी के इस अनुमान का मुख्य आधार बनी हुई है।
औद्योगिक मांग: मुख्य प्रेरक शक्ति
फर्म के अनुसार, औद्योगिक मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, खासकर ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलने के कारण। सोलर फोटोवोल्टाइक (पीवी) सेक्टर ने चांदी की मांग के स्वरूप को मौलिक रूप से बदल दिया है। सोलर एनर्जी सेक्टर की ओर से चांदी की मांग में बीते चार सालों में दोगुना इजाफा देखने को मिला है। साल 2020 में जो मांग 94. 4 मिलियन औंस थी, वह 2024 में बढ़कर 243. 7 मिलियन औंस हो गई है। अकेले सोलर एनर्जी ने 2024 में कुल मांग का लगभग 21 फीसदी हिस्सा बनाया। यह दर्शाता है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर वैश्विक बदलाव चांदी की मांग को कैसे प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा, बाजार वर्तमान में ट्रेड पॉलिसी की अनिश्चितता के कारण उत्पन्न लॉजिस्टिक संबंधी असंतुलन से भी जूझ रहा है।
लॉजिस्टिक्स असंतुलन और बाजार की गतिशीलता
पूरे वर्ष, COMEX वायदा लंदन के स्पॉट प्राइस की तुलना में लगातार प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। इस आर्बिट्रेज अवसर ने दुनिया के मुख्य लिक्विडिटी सेंटर लंदन से मेटल को आक्रामक रूप से बाहर निकाला। है और इसे अमेरिकी रिजर्व में भेज दिया है, जिससे वैश्विक फ्लोट प्रभावी रूप से कम हो गया है। यह स्थिति आपूर्ति श्रृंखला में तनाव पैदा करती है और कीमतों को ऊपर की ओर धकेलती है। एक्सिस डायरेक्ट ने बताया कि कॉमेक्स में चांदी का भंडार बढ़ रहा है, जो इस स्थानांतरण को दर्शाता है। यह बाजार की गतिशीलता चांदी की कीमतों में मौजूदा तेजी को। और मजबूत करती है, क्योंकि यह भौतिक उपलब्धता पर दबाव डालती है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार के रुझान और तकनीकी आउटलुक
तकनीकी चार्ट पर भी, चांदी ने एक दशक से चले आ रहे निचले स्तर को निर्णायक रूप से तोड़ दिया है। यह एक मजबूत तेजी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है और ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 67 डॉलर से ऊपर लगातार मासिक क्लोजिंग 76-80 डॉलर के टारगेट के साथ कई वर्षों के अपट्रेंड को ट्रिगर कर सकती है। हालांकि, फर्म का मानना है कि 65 डॉलर के आसपास प्रतिरोध के पास कंसोलिडेशन। हो सकता है, लेकिन कुल मिलाकर लॉन्गटर्म में तेजी का संकेत मिल रहा है। यह तकनीकी विश्लेषण मौजूदा फंडामेंटल कारकों के साथ मिलकर चांदी के लिए एक मजबूत भविष्य की तस्वीर पेश करता है।
घरेलू बाजार की रणनीति और भविष्य के अनुमान
एक्सिस डायरेक्ट का मानना है कि घरेलू बाजार में, यदि चांदी की कीमत 1,70,000-1,78,000 रुपए के दायरे तक गिरती है, तो इसका उपयोग चरणबद्ध तरीके से चांदी खरीदने के लिए किया जा सकता है, जिसका टारगेट 2026 के लिए लगभग 2,40,000 रुपए है और वहीं दूसरी ओर, दासानी ने कहा कि भविष्य में चांदी का आउटलुक मजबूत बना हुआ है। फिजिकल कमी, औद्योगिक डिमांड और निवेश में नए सिरे से रुचि के चलते, दासानी ने कहा कि मेटल की कीमत न केवल बढ़ रही है, बल्कि इसका रीवैल्यूएशन भी हो रहा है और जिसकी वजह से साल 2026 में भी तेजी बनी रह सकती है और 2. 50 लाख रुपए तक पहुंच सकते हैं और यह अनुमान निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि चांदी में अभी भी काफी संभावनाएं बाकी हैं।