US-China / चीन 'चांद' पर न कर ले कब्जा, अमेरिका को सता रही चिंता

AMAR UJALA : Aug 26, 2020, 08:59 AM
अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता सिर्फ व्यापार या जमीन को लेकर नहीं बल्कि स्पेस को लेकर भी अब नजर आ रही है। अमेरिका का रक्षा विभाग चांद को लेकर देशों के बीच चल रही प्रतियोगिता पर नजर रख रही है। देश की सेना को लगता है कि अमेरिका के चांद से जुड़े अधिकारों की रक्षा करने में उसकी भी भूमिका है।

रक्षा विभाग को इस बात की चिंता है कि कहीं चीन, अमेरिका से पहले चांद पर न पहुंच जाए और ऐसा हुआ तो वह (चीन) स्पेस को लेकर नियम न बनाने लगे। ऐसे में अमेरिका को अंदेशा है कि ऐसी स्थिति में चीन के साथ जंग छिड़ सकती है। 

डिफेंस इनोवेशन यूनिट ( DIU) में स्पेस पोर्टफोलियो के डायरेक्टर ब्रिगेडियर स्टीवन का कहना है कि नियम उदाहरण से बनते हैं। कोई देश स्पेस में क्या करता है, इससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय कानून बन सकते हैं। उन्होंने कहा, हम नहीं चाहते कि हमारे प्रतिद्वंदी वहां जाकर ऐसे नियम बनाए।

ब्रिगेडियर स्टीवन का कहना है कि जो पहला देश जीईओ ( जियोस्टेशनरी इक्विटोरियल ऑर्बिट) और सीसलुनर (चांद और धरती के बीच) स्पेस के लिए ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक की क्षमता को विकसित कर लेगा, वह सीसलुनर स्पेस और चांद के संसाधनों पर कंट्रोल हासिल कर लेगा।


नासा ने वीकल डिजाइन के लिए ब्ल्यू ओरिगिन को चुना है

ब्ल्यू ओरिगिन में एडवांस्ड प्रोग्राम के वाइस-प्रेसीडेंट ब्रेंट शेरलुड का कहना है कि सीसलुनर स्पेस डेवलपमेंट सरकार और इंडस्ट्री की साथ आने से हो सकता है। हालांकि उनका मानना है कि इंडस्ट्री हमेशा सरकार से बिजनेस की उम्मीद करेगी।

अभी तक कोई ऐसा प्रोडक्ट सामने नहीं आया है, जिसे चांद पर बनाने से धरती की इकॉनमी को फायदा हो। नासा के ऑर्टेमिस मिशन के तहत चांद पर इंसानों को ले जाने के लिए वीकल डिजाइन करने के लिए ब्लू ओरिजिन समेत तीन टीम को चुनना है। इसके लिए उसे 57।9 करोड़ डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। 


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