America News / दुनिया अमेरिका की आर्थिक धीमी चाल से परेशान, भारत को भी लगेगा झटका!

अमेरिका में उपभोक्ता खर्च घटा, यूरोप में व्यापार ठप, चीन में औद्योगिक मुनाफा गिरा है। भारत जैसे उभरते बाजारों पर असर दिख रहा है। फेडरल रिजर्व सतर्क है, जबकि ब्रिटेन में महंगाई बढ़ी है। जापान में किराया बढ़ा और चीन की सुस्ती से वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

America News: वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों के दौर से गुजर रही है। अमेरिका से लेकर यूरोप, चीन और जापान तक, आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इन अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों का असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी दिखने लगा है।

अमेरिका: उपभोक्ता खर्च और हाउसिंग बाजार में गिरावट

अमेरिका में उपभोक्ता खर्च में गिरावट दर्ज की गई है, जो महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के माहौल का परिणाम है। मई में बड़े सामानों और सेवाओं की मांग में जबरदस्त गिरावट आई। सेवा क्षेत्र की स्थिति महामारी के बाद सबसे कमजोर तिमाही में दर्ज की गई है। इसके अलावा, हाउसिंग सेक्टर भी दबाव में है—13.7% की गिरावट के साथ नए घरों की बिक्री तीन साल में सबसे नीचे रही। मॉर्गेज दरों में वृद्धि, निर्माण लागत में इजाफा और श्रम बाजार की सुस्ती ने उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति को प्रभावित किया है।

फेडरल रिजर्व की सतर्क नीति

फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए है। क्रिस्टोफर वॉलर और मिशेल बोमैन जैसे फेड अधिकारी जुलाई में संभावित कटौती की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए वे महंगाई के स्थायी नियंत्रण के स्पष्ट संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

यूरोप: कारोबार में ठहराव

यूरोपीय संघ के देशों में व्यापारिक गतिविधियां स्थिर हो चुकी हैं। अमेरिका की व्यापार नीतियां, मध्य पूर्व और यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं ने निवेशकों की सोच को प्रभावित किया है। हालांकि जर्मनी में कुछ सकारात्मक संकेत हैं, जैसे सरकार के सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की योजना, लेकिन टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव अभी भी बड़ी बाधाएं हैं।

ब्रिटेन: महंगाई की नई लहर

ब्रिटेन में खाद्य महंगाई चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। मक्खन, बीफ और चॉकलेट जैसी वस्तुएं 20% तक महंगी हुई हैं। इससे बैंक ऑफ इंग्लैंड की ब्याज दर कटौती की योजनाओं पर असर पड़ सकता है, जिससे आर्थिक सुस्ती और गहरी हो सकती है।

चीन: औद्योगिक मुनाफा गिरा

चीन में मई में औद्योगिक कंपनियों का मुनाफा 9.1% गिरा है, जो डिफ्लेशन और अमेरिकी टैरिफ का नतीजा है। इससे वहां की कंपनियां निवेश और नई नियुक्तियों में कटौती कर रही हैं, जो देश की आर्थिक गति को और धीमा कर सकता है।

जापान: किराए में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

जापान के टोक्यो शहर में अपार्टमेंट किराए 30 वर्षों में सबसे तेजी से बढ़े हैं। महंगाई के इस रुझान से बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीतियों पर असर पड़ सकता है, जिससे देश में ब्याज दरों और आर्थिक नीति में बदलाव की संभावना बन रही है।

मेक्सिको और अन्य उभरते बाजार

मेक्सिको मंदी के कगार से खुद को बचाने में सफल रहा है और इसने अपनी ब्याज दरों में आधा फीसदी की कटौती की है। थाईलैंड, चेक गणराज्य, कोलंबिया, और ग्वाटेमाला जैसे देशों ने अभी अपने मौद्रिक रुख में बदलाव नहीं किया है, लेकिन वे भी वैश्विक परिस्थितियों पर नजर रखे हुए हैं।

भारत पर प्रभाव

भारत, जो वैश्विक मंदी से अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित रहा है, अब कुछ दबाव महसूस करने लगा है। अमेरिका और यूरोप में मांग घटने से भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है। वहीं, चीन में आर्थिक मंदी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें आ रही हैं, जिसका असर भारत के उद्योगों पर पड़ सकता है। फिर भी, भारत की घरेलू मांग अभी मजबूत है और सरकार की रणनीतिक आर्थिक नीतियां स्थिरता बनाए रखने में सहायक हैं।