Opposition Unity / अध्यादेश मामले पर AAP के रुख से नाराज कांग्रेस- विपक्षी एकता का पहला विकेट गिरने के आसार

Zoom News : Jul 09, 2023, 08:42 PM
Opposition Unity: बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में हफ्ते भर का वक्त बाकी है, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) के रुख को लेकर संशय बना हुआ है. दरअसल, बेंगलुरु की बैठक के लिए निमंत्रण मिलने बाद अरविंद केजरीवाल ने फिर से अध्यादेश को लेकर बंदूक कांग्रेस की तरफ तान दी है. केजरीवाल ने दावा किया कि पटना वाली बैठक में कांग्रेस ने संसद सत्र से 15 दिन पहले अपना अध्यादेश पर अपना रुख बता देने का वादा किया था.

इस बयान के बाद कांग्रेस के सूत्रों ने दावा किया है कि केजरीवाल का रवैया बचकाना है और 15 दिन की बात आदतन झूठ है. कांग्रेस के मुताबिक, विपक्षी एकता की बैठक का उद्देश्य 2024 के लिए रणनीति बनाना है न कि दिल्ली पर आए अध्यादेश पर चर्चा करना. कांग्रेस ने साफ तौर पर केजरीवाल के दावे को नकार दिया है. पटना में हुई बैठक में जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 पर केजरीवाल को घेर लिया था.

जब पटना की बैठक में खुद निशाने पर आ गए थे केजरीवाल

केंद्र सरकार ने जब कश्मीर को लेकर जब ये बड़ा फैसला लिया था तब आम आदमी पार्टी ने इसका समर्थन किया था. बैठक में जैसे ही केजरीवाल ने बीजेपी सरकार की तानशाही रवैए पर सभी विपक्षी दलों का समर्थन मांगा तो उमर ने उन्हें 370 पर उनका बयान याद दिला दिया.

यही नहीं केंद्र सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग पर वाले तर्क पर उन्हें पंजाब में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न वाले सवालों का सामना करना पड़ा. ऐसे में बाकी के विपक्षी दलों के मन में सवाल ये भी है कि जिस तेजी से दिल्ली के अध्यादेश पर केजरीवाल सबका समर्थन चाहते हैं वैसी ही परिपक्वता वो बाकी दलों के लिए दिखा पाएंगे?

जहां कांग्रेस वहीं AAP का प्रचार, कैसी विपक्षी एकता चाहते हैं केजरीवाल

बीजेपी को हटाने के विपक्षी एकता का सबसे बड़ा फॉर्मूला है कि जिस राज्य जिस पार्टी का पलड़ा भारी हो तो बाकी के दल उसे सहयोग करें. लेकिन इसके उलट आम आदमी पार्टी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए चुनावी बिगुल फूंक दिया. अरविंद केजरीवाल ने पटना की बैठक के बाद ग्वालियर से आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी.

यही नहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी ने कैंपेनिंग शुरू कर दी है. आम आदमी पार्टी को ये अच्छे से मालूम है कि वो इन राज्यों में चुनाव जीतने की स्थिति में तो नहीं है लेकिन कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए वोट कटवा जरूर बन जाएगी. अब ऐसे में गुजरात से लेकर गोवा और दिल्ली के चुनावों के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस को के मानना है कि केजरीवाल विपक्षी एकता से बाहर निकलने के लिए रास्ता तलाश रही है. ऐसे में विपक्षी दल के अहम नेताओं ने बीच-बचाव का कोई रास्ता नहीं निकाला तो बंगलुरु में ही विपक्षी एकता का केजरीवाल के रूप में विकेट गिरने के आसार हैं.

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