राजनीति / गुजरात में कांग्रेस नेतृत्व में गुटबाज़ी के कारण काम नहीं कर पा रहा: हार्दिक पटेल

Zoom News : Apr 02, 2021, 08:38 PM
अहमदाबाद: गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे और फिर बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए हार्दिक पटेल पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें कोई काम नहीं दिया जा रहा है क्योंकि ‘पार्टी के अंदर ऐसे लोग हैं जो असुरक्षित महसूस करते हैं.’

अपने अहमदाबाद स्थित घर पर दिप्रिंट के साथ बातचीत के दौरान 27 वर्षीय पटेल ने कहा कि सही मायने में काम करने का मौका मिलने के बदले में तो वह अपना कार्यकारी अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं कार्यकारी अध्यक्ष, अध्यक्ष, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता. सिर्फ काम करना चाहता हूं, लेकिन केवल तभी हो सकता है जब मुझे करने के लिए कोई काम सौंपा जाए.’ साथ ही जोड़ा कि कई मुद्दे हैं जिन्हें कांग्रेस उठा सकती हैं—बेरोजगारी से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और लंबे समय से जारी किसान आंदोलन तक—लेकिन ‘हमारे नेतृत्व के बीच गुटबाजी’ के कारण कुछ भी नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि यदि मैं इन मुद्दों पर कुछ करना भी चाहूं तो पार्टी के भीतर मौजूद ऐसे लोग, जो खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, मुझे कुछ करने भी नहीं देते. यह एक बड़ी पार्टी है, एक पुरानी पार्टी है, इसलिए ये समस्या हो रही है. लेकिन मुझे शीर्ष नेतृत्व के प्रति भरोसा है, राहुलजी और प्रियंकाजी इसे समझेंगे और कुछ अच्छा करेंगे. मुझे उम्मीद है कि जल्द ही कुछ बेहतर होगा.’

कांग्रेस को इसी साल फरवरी में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा, विभिन्न नगर पालिकाओं और जिला और तालुका पंचायतों की 8,470 सीटों में से उसने केवल 1,805 पर जीत हासिल की.

उन्होंने कहा, ‘अगर कांग्रेस गांधी और सरदार पटेल के विचारों को जीवित रखना चाहती है तो हमें अपने एसी दफ्तरों से बाहर निकलना होगा और सड़कों और गांवों में लोगों के बीच जाना होगा. अगर हम ऐसा करेंगे तो गुजरात के लोग खुद ही हमें अपना लेंगे. कम से कम वे यह देख पाएंगे कि हम सड़कों पर हैं और लोगों के लिए आवाज उठाने को तैयार हैं. तभी लोग हमारे साथ खड़े होंगे.’

‘कांग्रेस काम नहीं करेगी तो विपक्ष में ही बनी रहेगी’

पटेल को 2019 में राहुल गांधी कांग्रेस में लेकर आए थे, लेकिन इससे पाटीदारों को भाजपा से दूर करने में पार्टी को कोई मदद नहीं मिली—यह तथ्य पाटीदार बहुल क्षेत्रों में नगरपालिका चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से साफ जाहिर भी होता है.

2015 में पटेल आरक्षण आंदोलन, जिसमें समुदाय के लिए ओबीसी दर्जे की मांग की जा रही थी, अपने चरम पर था. तभी उत्तरी गुजरात में हिंसा भड़क गई थी और लाखों लोगों ने हार्दिक पटेल के समर्थन में रैली की थी. आंदोलन ने इस समुदाय—जो राज्य में राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा प्रभावशाली है—के एक बड़े धड़े को भाजपा के खिलाफ खड़ा कर दिया था. यह उस साल स्थानीय निकाय चुनावों में भी स्पष्ट तौर पर नजर आया, जिसमें शहरी निकायों को छोड़ लगभग सभी स्थानीय निकायों में भाजपा को करारा झटका लगा.

भाजपा का नुकसान कांग्रेस के लिए लाभदायक साबित हुआ. 2017 के विधानसभा चुनावों में, यद्यपि भाजपा 182 में से 99 सीटें जीतकर सरकार में लौटी लेकिन कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल कर एक अच्छी बढ़त बना ली.

हालांकि, हाल के स्थानीय निकाय चुनावों ने कांग्रेस के प्रदर्शन को फिर एकदम खराब स्थिति में पहुंचा दिया. पार्टी ने सूरत में नगर निगम चुनावों में एक भी सीट हासिल नहीं की और आम आदमी पार्टी (आप) से भी पीछे पहुंच गई जिसने 26 सीटों पर जीत हासिल की.

हालांकि, पटेल आप को खतरे के तौर पर नहीं देखते और राज्य की राजनीति में उसकी पैठ बढ़ने की संभावनाओं को खारिज करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘आप ने हमारे वोटों हासिल करने की कोशिश की है. लेकिन सूरत में उन्होंने जो 26 सीटें जीतीं वे अपने कामकाज के बलबूते पर नहीं हासिल की हैं. लोग उन्हें नई आशा के साथ देख रहे हैं, लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास हो जाएगा कि 1916 में, जब मुंबई और गुजरात अलग हुए थे, वह कांग्रेस ही थी जो आगे आई और उसने लोगों को नेतृत्व और बुनियादी ढांचा मुहैया कराया, कांग्रेस फिर से ऐसा कर सकती है.’

पटेल ने फरवरी के चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह राज्य के भीतर शीर्ष नेतृत्व की निष्क्रियता और पार्टी के जमीनी स्तर पर अपनी मजबूती महसूस कराने में नाकाम रहने को बताया. उन्होंने कहा, ‘पिछले दो सालों, जबसे मैं कांग्रेस के साथ हूं, मैंने कभी कोई शिकायत नहीं की. मैं पहली बार अपनी आवाज उठा रहा हूं क्योंकि ये चुनाव हमें 2022 के लिए तैयार कर सकते हैं.’ साथ ही जोड़ा, ‘यह केवल तभी संभव है जब कांग्रेस अपनी आवाज उठाएगी, लोगों के लिए संघर्ष करेगी, अगर हम अपने सिर पर चोट खाने को तैयार हों, लोगों के लिए पुलिस से भिड़ें, तभी ये जनता हमें स्वीकार करेगी. सच्चाई यही है कि कोई भी सत्ता में बैठी पार्टी (भाजपा) से खुश नहीं है और लोगों को विपक्ष से तमाम उम्मीदें हैं. लेकिन हमें लोगों की वो अपेक्षाएं पूरी करने की जरूरत हैं जो वह हमसे रखते हैं. हमारे नेताओं को घर पर बैठे रहना छोड़ देना चाहिए और मैदान में उतरना चाहिए.’

पटेल ने दावा किया कि हालांकि कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनावों में हार गई, लेकिन यह पार्टी के पूरी तरह खारिज हो जाने का संकेत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि लोग अब भी कांग्रेस को चाहते हैं. भाजपा 30 सालों से यहां शासन कर रही है लेकिन लेकिन हमारे पास अभी भी 42 प्रतिशत वोट हैं. लोगों ने हमें छोड़ा नहीं है. अगर भाजपा को 30,000 वोट मिले, तो हमें भी 29,000 मिल रहे हैं. यह हमारी हार हो सकती है लेकिन इसमें अंतर बहुत ही मामूली है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लोग हमारे साथ हैं, लेकिन हमारे लिए काम शुरू करना जरूरी है. यदि हम काम करना शुरू कर दें तो हमें सत्ता में भी पहुंचाया जा सकता है. लेकिन अगर काम नहीं करते हैं, तो हमें विपक्ष के तौर पर ही बने रहना होगा.’

‘उम्मीद है राहुल गुजरात को अहमियत देंगे’

बहरहाल, कांग्रेस की ये उम्मीद इस चुनाव में खरी नहीं उतरी कि हार्दिक पटेल युवा पाटीदारों का वोट आकर्षित करेंगे. पाटीदार अनामत अंदोलन समिति, जिसमें हार्दिक पटेल एक संस्थापक संयोजक रहे थे, ने कहा था कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का समर्थन नहीं करेगी क्योंकि पार्टी की तरफ उसके सदस्यों को टिकट नहीं दिए गए थे.

हार्दिक ने भी यह कहते हुए खुद को आंदोलन से दूर कर लिया था कि ‘सभी नेता कहीं न कहीं अपने समुदाय के समर्थन से ही शुरुआत करते है. मेरे साथ भी ऐसा ही है, लेकिन अब दूसरे समुदाय के लोग भी मेरे साथ जुड़ चुके हैं. मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में इस समर्थन का लाभ पार्टी को मिलेगा.’

कांग्रेस में अलग-थलग पड़ने के बावजूद पटेल का कहना है कि उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि वे जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के आदर्शों से प्रेरित हैं और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में पूरा भरोसा रखते हैं.

उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि राहुलजी गुजरात को महत्व देंगे और राज्य के लिए कुछ बेहतर करेंगे. मैं सत्ता के लिए राजनीति में नहीं आया था. अगर मुझे सत्ता ही चाहिए होती तो मैं भाजपा में शामिल हो जाता. मेरी प्राथमिकता यही है कि मेरे पास जो भी साधन हों, उनके माध्यम से समुदाय की सेवा और मदद कर सकूं. पंचायत चुनावों के नतीजे बताते हैं कि हमने कुछ गलतियां की थीं और उन गलतियों का खामियाजा हमारे सामने है.’

2022 के चुनावों के बारे में पटेल का मानना है कि पार्टी को बहुत कुछ करना होगा. उन्होंने कहा, ‘2022 के मद्देनजर हमें थोड़ा और ध्यान देने और अधिक काम करने की आवश्यकता है. सिर्फ कुछ घंटे से बात नहीं बनेगी, क्योंकि राजनेता होना पूर्णकालिक काम है और हमारे लिए हर रोज 24 घंटे शासन के मामलों पर विचार करना जरूरी होता है.’

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