Bhushan Kumar Rape Case / टी-सीरीज एमडी भूषण कुमार रेप मामला, पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट ने की खारिज

Zoom News : Apr 19, 2022, 08:58 PM
मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने दिवंगत गुलशन कुमार के बेटे और टी-सीरीज कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) भूषण कुमार (Bhushan Kumar) के खिलाफ बलात्कार के एक मामले में पुलिस की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान विभिन्न कानून पहलुओं के साथ समझौता किया गया है.

कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग हुआ

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने अंतिम रिपोर्ट (बी-समरी) का समर्थन करके कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग किया है जो जरूरतमंदों के लिए है. अदालत ने पुलिस को कानून के अनुसार मामले की जांच करने और जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को तहकीकात की निगरानी करने का निर्देश दिया है.

गलतफहमी के कारण लगाए आरोप

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया. 'बी समरी' नोटिस मिलने के बाद महिला ने अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया था कि वह एक अभिनेत्री है और उसने भूषण कुमार के खिलाफ 'परिस्थितिजन्य गलतफहमी'  के कारण आरोप लगाए थे, और उन्हें वापस ले रही है. उसने 'बी-समरी' पर कोई आपत्ति नहीं जताई. 

अदालत ने कहा, 'उसका (पीड़िता) आचरण इस बात का आश्वासन देता है कि उसने कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग किया है जो जरूरतमंद वादियों के लिए हैं. अपने व्यक्तिगत लाभ और फायदे के लिए, उसने हर उस सीमा को पार किया है जिसका पालन सभी महिलाएं दशकों से कर रही हैं.' न्यायाधीश ने मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने के लिए कुमार और एक गवाह की भी जमकर खिंचाई की. मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों के पास इस मामले में पेश होने और हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं था और इस तरह की याचिका दायर करके सभी सीमाएं पार कर दी हैं.

भूषण कुमार को अदालत को संबोधित करने का नहीं अधिकार

आदेश में कहा गया है, जहां तक भूषण कुमार का संबंध है, उनके पास इस अदालत को संबोधित करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन उन्होंने इस मामले को लड़ने का प्रयास किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण, अनैतिक और अनुचित है. मजिस्ट्रेट ने कहा कि इन प्रयासों से पता चलता है कि वह (भूषण कुमार) इस मामले से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते थे.  पुलिस द्वारा की गई जांच पर, अदालत ने कहा कि इस मामले की सबसे अहम विशेषता यह है कि मामला दर्ज करने के बाद, जांच अधिकारियों ने न तो आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की और न ही आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया, जो 'विश्वास और प्रतिबद्धता' को दर्शाता है. 

विभिन्न कानूनी पहलुओं के साथ हुआ समझौता

अदालत ने कहा कि रिपोर्ट देखने पर पता चलता है कि अप्रत्याशित जांच के दौरान विभिन्न कानूनी पहलुओं के साथ समझौता किया गया है. मामले के जांच अधिकारी मामले की ठीक छानबीन करने से बचते रहे. अदालत ने ये भी कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित ने अपने निजी लाभ के लिए आपराधिक कानून का इस्तेमाल किया.  उसने कहा, यह स्थिति हो सकती है, हालांकि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री बलात्कार के अपराध की ओर संकेत करती है जिसे अच्छी जांच से साबित किया जा सकता है।” अदालत ने कहा कि मामले के जांच अधिकारियों ने उचित जांच नहीं की है और होटल के रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और वैज्ञानिक छानबीन के रूप में उपलब्ध सबूतों को नजरअंदाज करने की कोशिश की है. अदालत ने पुलिस को कानून के अनुसार मामले की जांच करने का निर्देश दिया. अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक को कानून का दुरुपयोग करने वाली पीड़िता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.

जानें क्या है मामला

30 वर्षीय महिला की शिकायत के आधार पर, डीएन नगर पुलिस ने बीती जुलाई में कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की दुर्वयवहार और धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था. शिकायत के अनुसार, कुमार (43) ने अपनी कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर महिला के साथ कथित तौर पर दुर्वयवहार किया था.

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER