Delhi Air Pollution / दिल्ली-NCR में कोहरे और प्रदूषण का दोहरा कहर: AQI 464, GRAP-4 लागू

दिल्ली-एनसीआर में कोहरे और प्रदूषण का गंभीर प्रकोप जारी है, जिससे औसत AQI 464 तक पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता 'गंभीर+' श्रेणी में है, जिसके चलते GRAP-4 की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। इसमें ऑफिसों में वर्क फ्रॉम होम और निर्माण कार्यों पर रोक शामिल है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण का कहर लगातार जारी है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच प्रदूषण का स्तर भी पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। यह दोहरा हमला दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है,। जो सांस लेने से लेकर यात्रा करने तक हर पहलू पर असर डाल रहा है।

बढ़ते प्रदूषण का गंभीर स्तर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 464 तक पहुंच गया, जो 'गंभीर+' श्रेणी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। दिल्ली के कई इलाकों में तो स्थिति और भी बदतर रही, जहां AQI 480-490 के पार दर्ज किया गया और उदाहरण के लिए, आनंद विहार, बवाना और चांदनी चौक जैसे क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने चिंताजनक आंकड़े दिखाए, जो इस बात का प्रमाण है कि प्रदूषण का स्तर कितना व्यापक और गहरा है। आनंद विहार इलाके में तो AQI 491 तक पहुंच गया, जिसे 'गंभीर' कैटेगरी में रखा गया है, और यह इलाका सुबह से ही जहरीली धुंध की चादर में लिपटा रहा।

GRAP-4 की तत्काल पाबंदियां

वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-IV के तहत सभी आवश्यक कार्रवाई तत्काल प्रभाव से लागू कर दी हैं। इन पाबंदियों का उद्देश्य प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना और नागरिकों को इसके गंभीर प्रभावों से बचाना है। GRAP-4 के तहत, कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम की सुविधा को बढ़ावा दिया गया है, ताकि सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो सके और वायु प्रदूषण में कमी लाई जा सके। इसके साथ ही, सभी प्रकार के भवनों के निर्माण कार्यों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि निर्माण गतिविधियों से निकलने वाली धूल और कण वायु प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं। इन पाबंदियों से निश्चित रूप से दैनिक जीवन और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा,। लेकिन यह कदम बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए आवश्यक माना जा रहा है।

कोहरे और धुंध का सड़कों पर असर

दिल्ली में सुबह-सुबह घना कोहरा छाया रहने से स्थिति बेहद खतरनाक बनी हुई है और कोहरे के कारण दृश्यता इतनी कम हो गई है कि सड़कों पर वाहन रेंगते हुए नजर आ रहे हैं। दिल्ली-मेरठ हाईवे पर भी यही नजारा देखने को मिला, जहां गाड़ियां धीमी गति से चल रही थीं, जिससे यातायात में भारी बाधा उत्पन्न हुई। कोहरे के साथ-साथ प्रदूषण की गंभीर स्थिति ने मिलकर सड़कों पर एक अदृश्य दीवार खड़ी कर दी है, जिससे चालकों को गाड़ी चलाने में अत्यधिक कठिनाई हो रही है और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है और यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि यह समय की बर्बादी और आर्थिक नुकसान का कारण भी बन रही है।

GRAP-3 से GRAP-4 तक की तीव्र वृद्धि

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने शनिवार शाम को तत्काल। प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज-4 लागू किया। यह निर्णय वायु गुणवत्ता में अप्रत्याशित और तीव्र गिरावट के बाद लिया गया और गौरतलब है कि शनिवार को GRAP-3 लागू होने के महज कुछ घंटों बाद ही GRAP-4 को लागू करना पड़ा, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। शनिवार को AQI तेजी से 431 से बढ़कर 441 और फिर 460 तक पहुंच गया था, जिसके बाद अधिकारियों को तुरंत सख्त कदम उठाने पड़े। इस तीव्र वृद्धि का मुख्य कारण धीमी हवा की रफ्तार, स्थिर वातावरण और प्रतिकूल मौसम की स्थिति को बताया गया है, जिसके कारण धूल के कण। और प्रदूषक हवा में फैल नहीं पा रहे हैं और एक जगह जमा हो रहे हैं, जिससे धुंध और प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

जनजीवन पर गहरा प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और कोहरे के इस दोहरे हमले से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आम हो गई हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है। वर्क फ्रॉम होम और निर्माण कार्यों पर रोक से जहां एक ओर प्रदूषण कम करने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह सामान्य जनजीवन और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित कर रहा है। सड़कों पर धीमी गति से चलते वाहन और दृश्यता की कमी से यात्रा का समय बढ़ गया है, जिससे लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय लग रहा है। यह स्थिति दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक संकट पैदा कर रही है, जिसके लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।