देश / हर 15 मिनट में पानी पीने से खत्म हो जाता है कोरोना वायरस का खतरा?

AajTak : Mar 30, 2020, 12:45 PM
कोरोना वायरस के जानलेवा खतरे को देखते हुए लोग इससे बचाव का हर तरीका अपनाने को तैयार हैं। सोशल मीडिया पर भी कोरोना वायरस से निपटने के तमाम टिप्स वायरल हो रहे हैं। इनमें से कुछ गलत हैं तो कुछ सही। सोशल मीडिया पर तमाम पोस्ट में कहा जा रहा है कि कुछ मिनटों के अंतराल पर पानी पीकर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है।

सोशल मीडिया पर शेयर की गई ओरिजनल पोस्ट में कहा गया है कि हमें मुंह और गले को हमेशा गीला रखना चाहिए और हर 15 मिनट पर पानी पीना चाहिए। इसके पीछे दलील दी गई है कि ऐसा करने से हमारी ग्रासनली से वायरस साफ हो जाएंगे और फिर पेट में जाकर एसिड से मर जाएंगे।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में एपिडेमोलॉजिस्ट कल्पना सबापैथी ने बीबीसी फ्यूचर से बताया, ये कुछ ज्यादा ही सामान्य तरह से पेश कर दिया गया है। वह कहती हैं, संक्रमण किसी एक वायरल कण से नहीं बल्कि हजारों या लाखों पार्टिकल्स के संपर्क में आने से होता है इसलिए ग्रासनली से कुछ की सफाई से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इस थ्योरी की एक ये भी दिक्कत है कि इसमें केवल संभावना है कि आप सारे वायरस को अपने पेट तक पहुंचाकर मार सकें। आप तब तक अपनी नाक से भी कुछ वायरस अपने भीतर ले जा चुके होंगे। अगर ये भी मान लें कि वायरस आपकी नाक या श्वासनली तक नहीं पहुंच पाया तो भी ये आपके शरीर में अन्य तरीकों से भी पहुंच सकता है। कई लोग अपनी आंखों को छूकर भी संक्रमण अपने शरीर के भीतर पहुंचा सकते हैं।

वैसे भी मुंह के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का मुख्य तरीका नहीं है। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकली छींटों को सांस में लेने से कोरोना वायरस ज्यादा फैलता है।

पानी पीने से कोरोना वायरस से निपटने का तरीका कारगर ना होने के पीछे एक और वजह है। आपको लग सकता है कि कोरोना वायरस अगर आपके पेट में पहुंचते हैं तो वे तुरंत खत्म हो जाते हैं क्योंकि पेट में मौजूद अम्लीय रसों का pH (अम्लीयता का पैमाना) 1 से 3 के बीच में होता है। लेकिन स्टील को तोड़ने वाली बैटरी एसिड की तुलना में ये बहुत कम असरदार है।

सऊदी अरब में 2012 में कोरोना वायरस के परिवार का ही एक वायरस पैथोजेन आया था। इस वायरस में हल्के एसिड या पेट में मौजूद एसिड के खिलाफ "काफी प्रतिरोध करने की शक्ति" मौजूद थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि वायरस मरीजों के पेट में भी जिंदा रह सकता है। यह आंत की कोशिकाओं पर भी आसानी से हमला कर सकता है। टीम ने अनुमान लगाया था कि संक्रमण का ये तरीका भी संभव हो सकता है।

अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि कोविड-19 पर भी ये बात लागू होती है या नहीं। कुछ मरीजों में उल्टी या दस्त जैसे लक्षण दिख रहे हैं। चीन के कुछ एक्सपर्ट्स ने आगाह भी किया है कि ये पाचन तंत्र के संक्रमित होने के भी संकेत हो सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 50 फीसदी लोगों के मल में भी वायरस मौजूद पाया गया है। पानी पीने से कोरोना वायरस के संक्रमण रुकने को लेकर अभी तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

इससे मिलती-जुलती अभी तक सिर्फ एक स्टडी आई है। इस रिसर्च में जांच की गई थी कि क्या पानी से गार्गल करने से श्वसन संबंधी संक्रमण रोके जा सकते हैं। जापान में यह तरीका बेहद लोकप्रिय है। स्टडी में पाया गया कि दिन में तीन बार पानी से गार्गल करने वाले लोगों को एंटीसेप्टिक सल्यूशन या गार्गल ना करने वालों की तुलना में संक्रमण का कम खतरा था। हालांकि, इसे कोरोना वायरस के मामले में भी सच मानकर सुरक्षित महसूस करना लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

कोरोना वायरस पर ये स्टडी लागू नहीं की जा सकती है और ऐसा मानना भी खतरे से खाली नहीं है। इस स्टडी में ऊपरी श्वास नली में संक्रमण पर जोर दिया गया था जिसमें साइनल, गला शामिल होता है जबकि कोरोना वायरस भीतरी श्वास नली, सीने और फेफड़ों को भी संक्रमित कर रहा है। यह स्टडी भी काफी छोटे समूह पर की गई थी इसलिए इसे बहुत विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता।

हर 15 मिनट में पानी पीने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इस तरह की अफवाहें रोकनी चाहिए। फिलहाल, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने की आदत से कोरोना वायरस से बचने में मदद मिल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इन्हें कारगर और विश्वसनीय बताया है।

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