अमेरिका / मुर्गियों को ना चूमें: सैल्मनेला के प्रकोप के बीच लोगों से अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी

Zoom News : May 23, 2021, 03:41 PM
वाशिंगटन: अमेरिका (America) के सीडीसी (CDC) ने चेतावनी दी है कि बढ़ते साल्मोनेला (Salmonella) प्रकोप का संबंध घरों में मुर्गी पालन से हो सकता है. साथ अमेरिकियों से आग्रह किया है कि वो मुर्गियों से दूर रहें. सीडीसी ने गुरुवार को प्रकाशित एक जांच नोटिस में कहा कि 43 राज्यों में बीमारी की पुष्टि के 163 मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट किए गए मामलों में से बीमार लोगों की औसत आयु 24 थी और उनमें से 58 प्रतिशत महिलाएं थीं.

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि सही संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है क्योंकि बहुत से लोग बिना मेडिकल देखभाल के ठीक हो गए और उन्होंने साल्मोनेला की जांच नहीं कराई. रिपोर्ट में कहा गया है कि एपिडेमियोलॉजी और लैब के आंकड़े बताते हैं कि मुर्गी पालन के दौरान मुर्गियों के संपर्क में आने से लोग बीमार हो रहे हैं.

6 घंटे से लेकर 6 दिनों के भीतर नजर आते हैं लक्षण

एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि राज्य और स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जांच में 92 में 81 लोगों ने बीमार होने से पहले मुर्गियों के संपर्क में आने की सूचना दी. सीडीसी ने कहा कि आप अपने घरों में मुर्गियों या उनके जुड़ी किसी भी चीज को छूकर अपने मुंह या खाने को छूने और साल्मोनेला के कीटाणुओं को निगलने से बीमार हो सकते हैं.

साल्मोनेला के चलते आपको दस्त, बुखार और पेट दर्द की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा कुछ लोगों को उल्टी और सिरदर्द भी हो सकता है. बैक्टीरिया इंफेक्शन के लक्षण आमतौर पर 6 घंटे से लेकर 6 दिनों के भीतर शुरू होते हैं और 4-7 दिनों तक रहते हैं. सीडीसी ने एक सलाह जारी की कि बीमारी को रोकने के लिए मुर्गी पालन व्यवसायियों को क्या करना चाहिए?

मुर्गी पालन मालिकों के लिए जारी की एडवाइजरी

नोटिस में सीडीसी ने कहा कि मुर्गियों को किस न करें और न ही उनसे सटकर रहें. साथ ही मुर्गियों के आसपास मत खाएं-पिएं. इससे साल्मोनेला के बैक्टीरिया आपके मुंह में फैल सकते हैं. सीडीसी ने मालिकों को सलाह दी है कि घरों के आंगन में मुर्गी पालन के स्थान की किसी भी चीज को छूने के तुरंत बाद अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह धो लें. सीडीसी के एक अनुमान के अनुसार, साल्मोनेला बैक्टीरिया हर साल अमेरिका में लगभग 1.35 मिलियन संक्रमण, 26,500 अस्पताल में भर्ती होने और 420 मौतों का कारण बनता है.

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