देश / 'मेट्रो मैन' ई. श्रीधरन ने बीजेपी में शामिल होने के 10 माह बाद छोड़ी सक्रिय राजनीति

'मेट्रो मैन' नाम से मशहूर 90-वर्षीय टेक्नोक्रैट ई. श्रीधरन ने गुरुवार को सक्रिय राजनीति छोड़ने का ऐलान किया। श्रीधरन इस साल फरवरी में बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन पालक्काड से केरल विधानसभा चुनाव हार गए थे। उन्होंने कहा, "चुनाव में हार पर बुरा लगा था लेकिन अब दुखी नहीं हूं क्योंकि एक विधायक पद से कुछ नहीं हो सकता।"

तिरुवंतपुरम: मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में हार ने उन्हें समझदार बना दिया है। 90 साल के श्रीधरन ने ये जानकारी गुरुवार को मलप्पुरम जिले के अपने पैतृक शहर पोन्नानी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी। हालांकि सक्रिय राजनीति से उनके संन्यास की घोषणा से भाजपा की राज्य इकाई नाखुश है।

गुरुवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने कहा, "विधानसभा चुनाव में हार ने मुझे समझदार बना दिया। जब मैं हार गया तो इसने मुझे दुखी किया, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं जीत भी जाता तो कुछ नहीं किया जा सकता था। मैं कभी राजनेता नहीं था, मैं कुछ समय के लिए नौकरशाही राजनेता बना रहा।" उन्होंने कहा कि राजनीति में उनका प्रवेश देर से हुआ और इससे बाहर निकलने में भी इतनी देर नहीं हुई।

श्रीधरन ने कहा, "मैं अब 90 वर्ष का हूं और एक नौजवान की तरह इधर-उधर नहीं भाग सकता। मैं तीन अलग-अलग ट्रस्टों से जुड़ा हूं और अब मैं अपना बाकी समय उनके साथ बिताऊंगा।"

यह पूछे जाने पर कि क्या वह हार के पछतावे के साथ राजनीति मैदान छोड़ रहे हैं, उन्होंने कहा कि जब वह मार्च 2021 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए तो पार्टी के लिए पर्याप्त संभावनाएं थीं लेकिन अब स्थिति अलग है। उन्होंने कहा, 'पार्टी को राज्य में पैर जमाने के लिए काफी कुछ करना होगा। चुनावी हार के बाद मैंने पार्टी अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था। मैं अभी उन चीजों पर चर्चा नहीं करना चाहता।"

चुनाव में भाजपा का सीएम चेहरा थे श्रीधरन

विधानसभा चुनाव में मेट्रो मैन ई श्रीधरन भाजपा के लिए सीएम कैंडिटेंट के तौर पर उतरे थे। लेकिन भाजपा ने नेमोम में अकेली सीट भी गंवा दी थी। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने श्रीधरन से हार की रिपोर्ट मांगी थी। श्रीधरन पलक्कड़ सीट में विधानसभा चुनाव हार गए थे। त्रिकोणीय मुकाबले में वह मौजूदा कांग्रेस विधायक शफी परमभील से 3000 से अधिक मतों से हार गए। उन्होंने कहा, "राजनीति में मेरा छोटा कार्यकाल रहा। मैं न तो घृणा से राजनीति छोड़ रहा हूं और न ही संघर्ष कर रहा हूं। आप देर से प्रवेश और जल्दी निकास कह सकते हैं। मैं आगे की जिंदगी भी लोगों की सेवा अपने तीन ट्रस्टों के माध्यम से करूंगा, जिनसे मैं जुड़ा हूं।" 

श्रीधरन के फैसले से भाजपा हैरान

भाजपा की राज्य इकाई ने ई श्रीधरन के अचानक राजनीति से संन्यास लेने के फैसले पर हैरानी जताई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्रन ने कहा, "हमने इस बारे में केवल मीडिया के माध्यम से सुना। हालांकि वह अभी भी हमारे शुभचिंतक ही रहेंगे और हम प्रमुख मुद्दों पर उनका मार्गदर्शन और सलाह लेते रहेंगे।"