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- 16-Aug-2025 09:59 PM IST
Election Commission: चुनाव आयोग ने हाल ही में वोटर लिस्ट में गलतियों के मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि यदि ये मुद्दे सही समय पर उठाए गए होते, तो गलतियों को सुधारा जा सकता था। आयोग ने जोर देकर कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसमें सभी राजनीतिक दलों को शामिल किया जाता है। इस लेख में हम इस प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे और यह जानेंगे कि आयोग ने इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाया है।
वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया
भारत में संसद और विधानसभा चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करना एक जटिल और बहु-स्तरीय प्रक्रिया है। इसकी जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (EROs) को सौंपी जाती है, जो आमतौर पर एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं। इन अधिकारियों की सहायता बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) करते हैं, जो स्थानीय स्तर पर वोटर लिस्ट की सटीकता सुनिश्चित करते हैं। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में विभाजित है:
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का निर्माण: प्रारंभिक वोटर लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें मतदाताओं का विवरण शामिल होता है।
सार्वजनिक प्रकाशन और आपत्तियों का समय: ड्राफ्ट लिस्ट को डिजिटल और फिजिकल रूप में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराया जाता है। इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है, ताकि आम जनता इसे देख सके।
दावे और आपत्तियां: ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद, वोटर्स और राजनीतिक दलों को एक महीने का समय दिया जाता है, जिसमें वे गलतियों को सुधारने के लिए दावे या आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं।
अंतिम लिस्ट का प्रकाशन: सभी आपत्तियों और दावों का समाधान करने के बाद, अंतिम वोटर लिस्ट तैयार की जाती है और इसे फिर से राजनीतिक दलों और वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाता है।
पारदर्शिता का दावा
चुनाव आयोग ने अपनी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट और अंतिम संस्करण दोनों ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होते हैं। सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को इनकी प्रतियां दी जाती हैं। इसके अलावा, आम नागरिक भी आयोग की वेबसाइट के माध्यम से इसे देख सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया में कोई अस्पष्टता न रहे।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई गलती होती है, तो उसके सुधार के लिए दो स्तरों पर अपील की व्यवस्था है:
पहली अपील: जिला मजिस्ट्रेट (DM) के पास।
दूसरी अपील: राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास।
विपक्ष के सवाल और आयोग का जवाब
विपक्षी दलों और कुछ व्यक्तियों ने हाल ही में पुरानी और नई वोटर लिस्ट में गलतियों का मुद्दा उठाया है। इस पर आयोग ने कहा कि ये मुद्दे उस समय उठाए जाने चाहिए थे, जब ड्राफ्ट लिस्ट पर दावे और आपत्तियां मांगी गई थीं। आयोग के अनुसार, कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने सही समय पर वोटर लिस्ट की जांच नहीं की, जिसके कारण गलतियां सामने नहीं आ सकीं। आयोग ने जोर देकर कहा कि यदि ये मुद्दे सही समय पर और उचित चैनल के माध्यम से उठाए गए होते, तो संबंधित अधिकारी इन्हें ठीक कर सकते थे।
आयोग की अपील: सहयोग करें, गलतियां सुधारें
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं से अपील की है कि वे वोटर लिस्ट की नियमित जांच करें और किसी भी गलती की स्थिति में उसे तुरंत उजागर करें। आयोग ने कहा कि वह वोटर लिस्ट को और अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह न केवल एक प्रशासनिक जिम्मेदारी है, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
