दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की एक विशाल रैली के साथ कथित वोट चोरी का मुद्दा अब एक बड़े राजनीतिक तूफान का रूप ले चुका है और इस रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला। उन्होंने इस पूरे टकराव को 'सच बनाम झूठ की लड़ाई' करार दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस इस मुद्दे को केवल एक आरोप नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बचाने के लिए एक युद्ध के रूप में देख रही है। राहुल और प्रियंका गांधी दोनों के तेवर मंच से साफ थे। कि वे सरकार और व्यवस्था को चुनौती देने के मूड में हैं।
चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने संबोधन में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सत्ता में है और वह कथित तौर पर वोट चोरी में शामिल है। राहुल गांधी ने दृढ़ता से कहा कि कांग्रेस हमेशा सच के साथ खड़ी रहेगी और प्रधानमंत्री मोदी तथा आरएसएस सरकार को सत्ता से हटाकर रहेगी। उन्होंने विशेष रूप से आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को 10 हजार रुपये दिए, लेकिन चुनाव आयोग ने इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की और गांधी ने इस स्थिति को 'सत्य और असत्य की जंग' बताया, जिसमें उनके अनुसार, चुनाव आयोग बीजेपी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह आरोप चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
निर्वाचन आयुक्तों को सीधी चेतावनी
राहुल गांधी ने निर्वाचन आयुक्तों को सीधे तौर पर चेतावनी दी कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे चुनाव आयोग को छूट देने वाले नए कानून को बदल देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयुक्तों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो उनके अनुसार, बीजेपी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह चेतावनी एक गंभीर राजनीतिक बयान है, जो भविष्य में चुनाव आयोग की भूमिका और स्वायत्तता पर सवाल उठाता है और गांधी ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन अंततः हिंदुस्तान में सत्य की जीत होगी। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को हराने का संकल्प लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस इस लड़ाई को केवल चुनावी नहीं, बल्कि नैतिक और सैद्धांतिक मान रही है।
जनता के मुद्दों से सरकार का पलायन
कांग्रेस सांसद और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी रैली को संबोधित। करते हुए मोदी सरकार पर जनता के मुद्दों से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि संसद में जब मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया, तो मोदी सरकार ने इस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया। प्रियंका गांधी के अनुसार, सरकार ने कहा कि वे पहले 'वंदे मातरम्' पर चर्चा करेंगे, और उसके बाद ही 'वोट चोरी' जैसे गंभीर मुद्दों पर बात करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सदन में 'वंदे मातरम्' पर चर्चा होती रही, लेकिन मोदी सरकार ने जनता के वास्तविक मुद्दों पर बात करने की हिम्मत नहीं दिखाई और यह दर्शाता है कि कांग्रेस का मानना है कि सरकार महत्वपूर्ण विषयों से ध्यान भटका रही है।
कांग्रेस के सामने चुनौतियां और 'वॉशिंग मशीन' प्रभाव
प्रियंका गांधी ने वर्तमान राजनीतिक माहौल में कांग्रेस द्वारा झेली जा रही चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और उन्होंने कहा कि पिछले आम चुनाव में मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला गया और कांग्रेस के बैंक अकाउंट बंद कर दिए गए। उन्होंने भ्रष्टाचार के नाम पर बेबुनियाद आरोप लगाए जाने का भी जिक्र किया और प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि जिन लोगों का दिल कमजोर था और जो इस दबाव को सह नहीं पाए, वे बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जैसे-जैसे लोग बीजेपी में शामिल होते गए, वे बीजेपी की 'वॉशिंग मशीन' में धुलकर साफ होते गए। यह टिप्पणी उन नेताओं पर निशाना साधती है जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है, और यह कांग्रेस के भीतर के संघर्ष को भी उजागर करती है।