Special Intensive Revision / चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: SIR की तारीख बढ़ी, यूपी समेत कई राज्यों को 25 दिसंबर तक मोहलत

चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की अंतिम तिथि एक बार फिर बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में अब मतदाता 25 दिसंबर तक अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकेंगे। यह फैसला लंबित कार्यों को देखते हुए लिया गया है।

देश के कई राज्यों में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम की अंतिम तिथि को लेकर चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पहले यह तारीख आज समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे एक बार फिर बढ़ा दिया गया है। इस फैसले से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के मतदाताओं को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि वे अब 11 दिसंबर की बजाय 25 दिसंबर तक मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सकेंगे। यह विस्तार 14 दिनों का है, जो मतदाताओं को अपने विवरण अपडेट करने के लिए पर्याप्त समय देगा।

पुनरीक्षण प्रक्रिया का महत्व

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिहीन और अद्यतन बनाना है। इस प्रक्रिया के तहत, डुप्लीकेट नामों को हटाना, मृत या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नामों को सूची से बाहर करना और सबसे महत्वपूर्ण, 18 वर्ष से अधिक आयु के नए योग्य मतदाताओं को शामिल करना शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता सूची सटीक हो और। कोई भी पात्र नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रहे। बूथ-स्तर के अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर सत्यापन का कार्य कर। रहे हैं, जो इस प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। यह जमीनी स्तर पर डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने में मदद करता है।

उत्तर प्रदेश में लंबित कार्य

उत्तर प्रदेश में SIR का काम अभी भी काफी बचा हुआ है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अब तक 90 प्रतिशत से अधिक फॉर्म बांटे। जा चुके हैं, लेकिन केवल 80 प्रतिशत वोटर फॉर्म ही भरकर जमा किए गए हैं। इसका मतलब है कि अभी भी बड़ी संख्या में मतदाताओं को अपने फॉर्म जमा करने हैं या प्रक्रिया पूरी करनी है। चुनाव आयोग ने इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया में भाग ले सकें और मतदाता सूची को पूरी तरह से अपडेट किया जा सके और यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

अन्य राज्यों पर प्रभाव

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में भी SIR की डेडलाइन बढ़ाने पर विचार किया है। इससे पहले, आयोग ने केरल के लिए अंतिम तारीख 11 दिसंबर से बढ़ाकर 18 दिसंबर कर दी थी, जो दर्शाता है कि आयोग विभिन्न राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्रगति को ध्यान में रख रहा है और देशभर के कुल 12 राज्यों में SIR का काम किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य लगभग 50 करोड़ मतदाताओं की छानबीन करना है। यह एक विशाल कार्य है जिसमें समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

पहले भी बढ़ाई गई थी डेडलाइन

यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग ने SIR की समय सीमा बढ़ाई है। इससे पहले, आयोग ने 30 नवंबर को भी SIR की समय सीमा एक हफ्ते के लिए बढ़ाई थी। उस समय, आयोग ने घोषणा की थी कि जिन राज्यों में SIR का काम चल रहा है, उनकी अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को जारी की जाएगी। यह लगातार विस्तार इस बात का संकेत है कि आयोग मतदाता सूची को अंतिम रूप देने में पूरी। सावधानी बरत रहा है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए।

विरोध और चुनौतियाँ

हालांकि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को बेहतर बनाना है, लेकिन चुनाव। आयोग के इस फैसले पर जमकर विरोध भी देखने को मिला था। कुछ वर्गों ने प्रक्रिया की समय-सीमा या कार्यान्वयन के तरीकों पर चिंता व्यक्त की थी। ऐसे विरोधों के बावजूद, आयोग अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ आती हैं, जिनमें दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचना, डेटा की सटीकता सुनिश्चित करना और नागरिकों को प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करना शामिल है। इन चुनौतियों के बावजूद, SIR एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

आगे की राह

इस विस्तार के साथ, मतदाताओं को अब 25 दिसंबर तक का समय मिल गया है ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनका नाम मतदाता सूची में सही ढंग से दर्ज है और यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो किसी कारणवश पहले अपनी जानकारी अपडेट नहीं कर पाए थे। चुनाव आयोग की यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि आगामी चुनावों में एक सटीक और समावेशी मतदाता सूची का उपयोग किया जा सके, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनी रहे।

अंतिम मतदाता सूची की तैयारी

अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को जारी की जाएगी, जैसा कि आयोग ने पहले ही सूचित किया था। इस तिथि तक, सभी संशोधन, परिवर्धन और विलोपन पूरे हो जाएंगे, और एक नई, अद्यतन मतदाता सूची सार्वजनिक की जाएगी। यह सूची आगामी चुनावों के लिए आधार बनेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि केवल योग्य नागरिक ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। आयोग का यह कदम भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।