EU Summit / भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में COVID वैक्सीन पर रहेगा फोकस

Live Hindustan : Jul 13, 2020, 07:29 AM
नई दिल्ली | भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन का फोकस कोरोना महामारी पर होगा। भारत टीकाकरण में अहम भूमिका निभाने वाले देश के रूप में ईयू के वैक्सीन फंड और अन्य जरुरतों को पूरा करने में अहम भागीदारी निभा रहा है। भारत में बने टीकों से दुनिया के 60 फीसदी बच्चों का टीकाकरण होता है। इसलिए भारत को लोगों की पहुंच तक सस्ती वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिश में अहम कड़ी माना जा रहा है।

यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत वैक्सीन की मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। गौरतलब है कि 15 जुलाई को यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होना है। दुनिया के तमाम देश अभी भी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। भारत मे भी लगातार मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में वैश्विक भागीदारी को बेहद अहम माना जा रहा है। भारत-यूरोपीय संघ की बैठक में कोरोना के सामाजिक-आर्थिक परिणामों को कम करने और जीवन की रक्षा के लिए वैश्विक सहयोग और एकजुटता पर चर्चा होगी।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने की तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए भारत-ईयू मिलकर काम करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि शिखर सम्मेलन में कोविड-19 महामारी से जुड़े घटनाक्रम पर चर्चा की उम्मीद है।

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कोरोना वायरस महामारी पर वैश्विक प्रतिक्रिया पर पत्रों का आदान-प्रदान हुआ है। इसमें प्रधानमंत्री ने कोरोनो वायरस के लिए टीका, उपचार और निदान के शुरुआती विकास के लिए यूरोपीय आयोग और यूरोप की पहल की प्रशंसा की है।

120 देशों की मदद कर चुका है भारत

प्रधानमंत्री ने पत्र में वैश्विक प्रयासों में भारत की तत्परता को भी स्पष्ट किया था। दुनिया में टीके के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, कम लागत और उच्च वैज्ञानिक गुणवत्ता वाली दवाओं की आपूर्ति करने की भारत की क्षमता का उल्लेख भी प्रधानमंत्री ने किया था। भारत ने कोरोना महामारी के दौर में यूरोपीय देशों समेत 120 से अधिक देशों को दवा उपलब्ध कराई है।

एक दूसरे की खूबियों का फायदा

कोरोना के उपचार का विकास भारत, यूरोप और अन्य देशों में साझेदारी का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यूरोप ने मानकों और नियामक ढांचे के लिए सिस्टम विकसित किया है। वहीं भारत में टीकों और फार्मास्यूटिकल्स की बड़ी और कम लागत वाली उत्पादन क्षमता है। इसलिए भारत-ईयू की साझेदारी संपूर्ण मानवता के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ सस्ते उपचार और टीके की उपलब्धता के लिहाज से बहुत अहम मानी जा रही है।

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