India-China / चीन से तनाव पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर, LAC पर 'हालात' बेहद गंभीर

News18 : Sep 08, 2020, 08:10 AM
नई दिल्ली। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मॉस्को में संभावित वार्ता से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर (S jaishankar) ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर बनी स्थिति को पड़ोसी देश के साथ समग्र रिश्तों की स्थिति से अलग करके नहीं देखा जा सकता। वहीं एस जयशंकर मंगलवार को चार दिवसीय रूस की यात्रा के लिए रवाना होंगे। वह मॉस्‍को में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेंगे। एस जयशंकर द्वारा चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना है।

विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख के हालात को ‘बहुत गंभीर’ करार दिया और कहा कि ऐसे हालात में दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर ‘बहुत बहुत गहन विचार-विमर्श’ की जरूरत है। वह अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के एक संवाद सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपनी नयी प्रकाशित पुस्तक ‘द इंडिया वे’ का जिक्र करते हुए कहा, 'सीमा की स्थिति को संबंधों की स्थिति से अलग करके नहीं देखा जा सकता। मैंने इस पुस्तक को गलवान घाटी की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से पहले लिखा था।'

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को संघर्ष में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव काफी बढ़ गया था। चीनी जवान भी हताहत हुए लेकिन पड़ोसी देश ने उनका ब्योरा नहीं दिया। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के भी 35 जवान मारे गये। विदेश मंत्री ने कहा, 'सीमा पर अगर अमन-चैन नहीं रहता तो बाकी रिश्ते जारी नहीं रह सकते क्योंकि स्पष्ट रूप से संबंधों का आधार शांति ही है।

जयशंकर 10 सितंबर को मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर वांग से मुलाकात कर सकते हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह अपने चीनी समकक्ष को क्या संदेश देंगे तो जयशंकर ने कहा, 'मैं उन्हें वास्तव में जो कहूंगा, वह जाहिर है कि आपको नहीं बता सकता।' हालांकि उन्होंने कहा कि उनका रुख सीमा पर शांति बनाये रखने के व्यापक सिद्धांत पर केंद्रित ही होगा ताकि संबंधों का समग्र विकास हो जो पिछले 30 साल के रिश्तों में झलका है।

मंत्री ने दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन पर 1993 से हुए अनेक समझौतों की भी बात की। उन्होंने कहा कि इनमें स्पष्ट शर्त है कि सीमा पर बलों का स्तर न्यूनतम रहेगा। उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा नहीं होता तो बहुत ही गंभीर सवाल उठते हैं। यह बहुत गंभीर स्थिति मई की शुरूआत से है और इसमें दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर बहुत बहुत गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है।' जयशंकर ने कहा कि इतिहास के समय से ही समस्याएं चली आ रही हैं।

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