फरीदकोट रियासत / महाराजा की 20 हजार करोड़ की जायदाद मामले में फर्जी वसीयत बना छोटी बेटी बनी थी ट्रस्टी, शिकायत के बाद 23 पर केस दर्ज

Zoom News : Jul 09, 2020, 08:29 AM

फरीदकोट रियासत के अंतिम महाराजा हरिंदर सिंह की मौत के बाद उनकी करीब 20 हजार करोड़ की जायदाद व वसीयत को लेकर विवाद में महाराजा की बेटी अमृत कौर की शिकायत पर पुलिस ने जायदाद की संभाल को गठित ट्रस्ट के अधिकारियों समेत 23 व्यक्तियों पर केस दर्ज किया है। नामजद आरोपियों में नगर सुधार ट्रस्ट फरीदकोट के चेयरमैन भी  शमिल हैं।


राज कुमारी अमृत कौर की शिकायत पर पुलिस ने महरावल खीवा जी ट्रस्ट के चेयरमैन व पश्चिमी बंगाल की बर्दमान रियासत के राजकुमार जय सिंह महताब, उपचेयरमैन निशा, ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जंगीर सिंह सरा,नवजोत सिंह, एसिस्टेंट लीगल एडवाइजर परमजीत सिंह संधू, कैशियर संतोष कुमार, जसपाल कौर, भूषण शर्मा, शंकर पाल, सुपरिंडेंटेंड बलजीत कौर, ऑडिटर हरप्रीत कौर,जनरल मैनेजर बाबू राम, एग्रीकल्चर एडवाइजर मदन मोहन देवगन, अकाउंटेंट नरेश, इंजी. संधू, मैनेजर बेपरवाह सिंह, असिस्टेंट मैनेजर रघुबीर सिंह रेशम सिंह, कुलदीप सिंह, बरजिंदर पाल सिंह,जतिंदर पाल सिंह, एसके कटारिया, ललित मोहन पर अमानत में खयानत के आरोप में केस दर्ज कर कार्रवाई की है।


महाराजा की सबसे बड़ी बेटी अमृत कौर है शिकायतकर्ता

फरीदकोट रियासत के अंतिम महाराजा हरिंदर सिंह की मृत्यु 16 अक्तूबर 1989 हो हुई थी। महाराजा व उनकी पत्नी नरिंदर कौर के 3 लड़कियों में सबसे बड़ी अमृत कौर शिकायतकर्ता, उनसे छोटी दीप इंद्र कौर, सबसे छोटी महीप इंद्र कौर व एक लड़का टिक्का हरमहिंदर सिंह थे। राजकुमारी दीप इंद्र कौर ने जाली वसीयत के आधार पर 1986 में महरावल खीवा जी के नाम से एक ट्रस्ट का गठन कर उमराओ सिंह को इसका पहला सीईओ नियुक्त किया।


इसके बाद बेटे जय चंद महताब, बेटी निशा व महाराजा के कानूनी सलाहकार रणजीत सिंह वेहनीवाल,जतिंदर पाल सिंह, ब्रिज इंद्र पाल सिंह बराड़, लाल सिंह, जंगीर सिंह, एडिशनल लीगल एडवाइजर एसके कटारिया व उमराओ सिंह समेत रियासत के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश के तहत हिस्से में आती जायदाद पर कब्जा जमा लिया व ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी बन बैठी।


चैलेंज किया: हाईकोर्ट भी वसीयत को जाली बता चुका
राजकुमारी अमृत कौर ने वसीयत को चैलेंज करते हुए चंडीगढ़ सिविल अदालत में याचिका दायर की थी। इसका फैसला अमृत कौर के पक्ष में हुआ। दीप इंद्र कौर ने कोर्ट में अपील की जो निरस्त हो गई। दोनों फैसलों के विरोध में राजकुमारी दीप इंद्र कौर ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने वसीयत को जाली करार देते हुए 20 हजार करोड़ की जायदाद का 25 % हिस्सा महारानी महिंदर कौर के नाम, 75 % में से आधा दीप इंद्र व आधा अमृत पाल को देने के आदेश दिए।

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