संकट / तपिश बढ़ते ही धधक उठे उत्तराखंड और हिमाचल के जंगल, वनाग्नि से लाखों का नुकसान

Zoom News : Apr 30, 2022, 11:33 AM
बेतहाशा गर्मी उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में लगी आग को और धधका रही है। इसने अब तक दोनों राज्यों में 6785 हेक्टेयर जंगलों को चपेट में ले लिया है। स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2022 के अनुसार भारत में नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच जंगलों में आग लगने की 3,45,989 घटनाएं दर्ज की गईं जबकि, इसी अंतराल के दौरान वर्ष 2018-19 में 2,58,480 घटनाएं हुईं।


उत्तराखंड में 2785 हेक्टेयर जंगल प्रभावित आग की 1992 घटनाएं

उत्तराखंड में जंगलों की आग विकराल रूप लेती जा रही है। राज्य में इस मौसम में दावानल की 1992 घटनाओं में 2785 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है। सिर्फ शुक्रवार को ही राज्य के जंगलों में आग लगने की 155 घटनाएं हुईं, जिससे 203 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। एक अप्रैल से शुरू होकर 30 जून तक जंगलों में आग लगने के मौसम के पहले ही महीने में आग ने 2581 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचाया है। 


आग की चपेट में कुमाऊं क्षेत्र के 1246 हेक्टेयर जंगल और गढ़वाल क्षेत्र के 833.6 हेक्टेयर जंगल और प्रशासकीय वन्यजीव क्षेत्र 353.4 हेक्टेयर जंगल आ चुके हैं। राज्य के संरक्षित जंगलों में 1028 आग लगने की घटनाएं हुईं, जबकि 415 घटनाएं वन पंचायत में दर्ज की गईं। अब तक करीब 61.5 लाख रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। अब तक की घटनाओं में पिथौरागढ़ निवासी एक महिला की मौत हुई है और वन विभाग के छह कर्मचारी घायल हुए हैं। 


हिमाचल में 4000 हेक्टेयर जंगल चपेट में, आग की 645 घटनाएं  

हिमाचल में जंगलों में आग लगने की घटनाओं से वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है। एक अप्रैल से अब तक 719 जंगलों में करीब 4000 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। शिमला जिला में सबसे ज्यादा 60 जगहों पर आग लगने  की घटनाएं हुईं। कांगड़ा, मंडी, चंबा में भी आग लगने की घटनाएं जारी हैं। अब तक आग से 95 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। इस मौसम में ऐसी कुल 645 घटनाएं हो चुकी हैं। 


सड़कों के साथ सटे जंगलों में अग्निशमन विभाग के कर्मचारी आग पर काबू पा रहे हैं। वन विभाग के सीसीएफ अनिल शर्मा के अनुसार, कई जिलों में आग में मवेशियों और उन्हें बचाने में लोग भी झुलस गए। जानमाल का नुकसान रोकने और आग बुझाने के लिए राज्य में 9000 फॉरेस्ट फायर वालंटियर तैनात किए गए हैं। वनाग्नि में सबसे अधिक नुकसान चीड़ व देवदार के जंगलों को होता है। हिमाचल प्रदेश में कुल वन क्षेत्र में 15% चीड़ व देवदार के जंगल हैं। 

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