नई दिल्ली / नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध थामने के लिए सरकार दे सकती है राहत

Live Hindustan : Dec 17, 2019, 07:32 AM
नई दिल्ली | नागरिकता कानून के खिलाफ पूर्वोत्तर में विरोध थामने के लिए केंद्र सरकार असम में छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों का दायरा बढ़ाने सहित कई विकल्पों पर विचार कर रही है। असम में मणिुपर की तर्ज पर इनर लाइन परमिट की अनुमति देने की मांग पर मंथन हो रहा है। छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों और इनर परमिट वाले इलाकों में नया कानून लागू नहीं होगा। 

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि असम सहित पूर्वोत्तर में नागरिकता कानून से स्थानीय पहचान, उनकी भाषा संस्कृति और संसाधनों पर उनके स्वाभाविक हक को कोई खतरा नहीं होगा। सरकार कानून के नियम तैयार करते समय ऐसे तमाम विषयों पर गौर करेगी। सूत्रों ने कहा कि सरकार नागरिकता कानून पर पूर्वोत्तर की चिंताओं को लेकर लचीला रुख अपना रही है। स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधियों को भरोसा दिया जा रहा है कि उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों और इनर परमिट वाले इलाकों में नया कानून लागू नहीं होगा। 

सीमित अधिकार देने के विकल्प भी मौजूद

एक विकल्प यह भी है कि कानून की नियमावली तैयार करते हुए कुछ ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे नए कानून के तहत नागरिकता हासिल करने वालों को सीमित अधिकार दिए जाएं। भाषाई संरक्षण के लिए भी सरकार कदम उठा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,असम में बोडो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। लिहाजा वहां कानून लागू ही नहीं होगा। जहां तक असमिया लोगों की बात है उनके लिए नई योजनाओं और संरक्षण के अन्य तरीकों पर विचार चल रहा है। 


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