नई दिल्ली / मोबाइल चोरी रोकने के लिए योजना- सिम निकले या आईएमईआई नंबर बदल जाए, फोन ट्रेस होगा

Dainik Bhaskar : Jul 08, 2019, 10:04 AM
जयपुर. मोबाइल चोरी रोकने के लिए केंद्र सरकार अगस्त से नई तकनीक शुरू करने जा रही है। अगर फोन से सिम कार्ड निकाल लिया गया हो या फिर हैंडसेट की पहचान के लिए यूनिक कोड आईएमईआई नंबर को बदल दिया गया हो, तब भी नई तकनीक से फोन को ट्रेस किया जा सकेगा। यही नहीं, फोन के चोरी या गुम होते ही सभी तरह का डेटा और सर्विस बंद हो जाएंगी। यानी कि फोन चोरी करने वाले इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

दूर संचार विभाग ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स के साथ नई तकनीक तैयार की है। विभाग ने इसके लोकार्पण के लिए मंत्रालय से संपर्क किया था लेकिन संसद सत्र की वजह से इसे टाल दिया गया है। 26 जुलाई को सत्र के समापन के बाद इस तकनीक की लॉन्चिंग हो सकती है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 के तहत मोबाइल की चोरियों को रोकने के लिए तकनीक विकसित करने का काम चल रहा था।

एक फोन पर ब्लॉक हो सकेंगे मोबाइल

जुलाई 2017 में मोबाइल ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के तहत सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) शुरू किया गया। अब सीआईईआर के तहत सभी हैंडसेट निर्माता कंपनियों द्वारा जारी होने वाले आईएमईआई नंबर और टेलीकाॅम कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले नेटवर्क एक प्लेटफार्म पर आ जाएंगे। यानी अब सीआईईआर सीधे मोबाइल फोन्स को नियंत्रित कर सकती है। जैसे ही फोन चोरी होगा या गुम होगा तो उपभोक्ता टेलीकॉम ऑपरेटर को या सीधे दूरसंचार विभाग द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके हैंडसेट को ब्लॉक करवा सकेगा।

कंपनियों को दूरसंचार विभाग से डाटा साझा करना होगा

हालांकि, पुलिस या जांच एजेंसी को यह अधिकार होगा कि वह सीआईईआर के डाटा का इस्तेमाल कर फोन को ट्रेस कर सके। दूरसंचार विभाग ने महाराष्ट्र में इस तकनीक का सफल ट्रायल पूरा कर लिया है। अब केंद्र सरकार ने इस साल बजट में 15 करोड़ रुपए भी आवंटित किए हैं। नए सिस्टम से उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी। नए सिस्टम से कंपनियों को अपना डाटा दूरसंचार विभाग से साझा करना होगा। उन्हें अपने नेटवर्क को इस तरह अपडेट करना होगा कि सीआईईआर उसे एक्सेस कर ले। यही नहीं, कंपनियों को सिम कार्ड या फोन ब्लॉक करने के अधिकार भी सीआईईआर से साझा करने होंगे।

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