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- 29-Aug-2025 07:20 AM IST
India-US Tariff War: अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात होने वाले कुछ उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगाने के हालिया फैसले ने भारतीय उद्योगों और नीति निर्माताओं के बीच चिंता का माहौल पैदा किया है। केंद्र सरकार ने इस स्थिति को "गंभीर लेकिन नियंत्रण में" बताते हुए इसे एक अवसर के रूप में देखने की बात कही है। यह लेख इस निर्णय के प्रभाव, उद्योगों की प्रतिक्रिया, और सरकार की रणनीति का विश्लेषण करता है।
प्रभावित क्षेत्र और उनकी चुनौतियां
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, टैरिफ का तत्काल असर वस्त्र (टेक्सटाइल), रसायन (केमिकल), और मशीनरी जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन उद्योगों ने पहले ही ऑर्डर में कमी, तरलता संकट, और वित्तीय दबाव जैसी समस्याओं की आशंका जताई है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि उनकी लागत संरचना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सीमित लचीलापन है।
उद्योगों का कहना है कि टैरिफ के कारण उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है। इसके अलावा, आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) में व्यवधान और अनिश्चितता भी बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार ने दीर्घकालिक दृष्टिकोण से इस स्थिति को नुकसानकारी नहीं माना है, बशर्ते उचित नीतिगत कदम उठाए जाएं।
सरकार की प्रतिक्रिया और रणनीति
केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। प्रभावित निर्यातकों के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए, सरकार ने अल्पकालिक राहत और दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके तहत निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:
1. एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन
वाणिज्य मंत्रालय ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन को गति देने का फैसला किया है। इस मिशन के तहत निर्यातकों को वित्तीय सहायता, कर राहत, और संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।
2. सप्लाई चेन को मजबूत करना
अधिकारी ने इस स्थिति को "चेतावनी संकेत" बताते हुए सप्लाई चेन को अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। इसके लिए सरकार वैकल्पिक बाजारों की तलाश, कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता बढ़ाने, और डिजिटल लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देने जैसे कदम उठा रही है।
3. घरेलू मांग पर फोकस
सरकारी अधिकारी ने जोर देकर कहा कि भारत का विस्तारित घरेलू बाजार इस संकट में बफर का काम कर सकता है। जीएसटी सुधारों के कारण स्थानीय मांग में वृद्धि हुई है, जिससे निर्यात न हो सकने वाले स्टॉक की खपत देश के भीतर संभव है। यह रणनीति विशेष रूप से वस्त्र और रसायन जैसे क्षेत्रों के लिए उपयोगी हो सकती है।
व्यापार वार्ता: सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की रणनीति
अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में प्रगति की उम्मीद है, लेकिन सरकार ने जल्दबाजी से बचने का फैसला किया है। वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि 25% अतिरिक्त शुल्क को हल किए बिना कोई व्यापार समझौता प्रभावी नहीं होगा। इसलिए, टैरिफ को कम करने या हटाने पर प्राथमिकता दी जा रही है। यह रणनीति भारत के निर्यातकों को तत्काल राहत प्रदान करने और दीर्घकालिक व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
दीर्घकालिक अवसर
हालांकि यह स्थिति अल्पकाल में चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह भारत के लिए अपनी आर्थिक नीतियों और वैश्विक व्यापार रणनीति को पुनर्जनन का अवसर भी प्रदान करती है। कुछ संभावित अवसर निम्नलिखित हैं:
नए बाजारों की तलाश: अमेरिका के अलावा यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, और अफ्रीका जैसे बाजारों में भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना।
आत्मनिर्भर भारत: स्थानीय उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने से वैश्विक झटकों का सामना करने की क्षमता बढ़ेगी।
नवाचार और तकनीक: डिजिटल और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों में निवेश से भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ सकती है।
