Egypt / सुहागरात में पति बना हैवान, पीरियड से गुजर रही पत्नी के साथ की ये घिनौनी हरकत

Zoom News : Jul 16, 2021, 07:14 AM
मिस्र (Egypt) की महिलाएं अब यौन हिंसा (Sexual Violence) के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगी हैं। हाल ही में मिस्र के एक धारावाहिक टीवी शो पर दिखाए गए एक सीन के बाद महिलाओं ने अपने साथ हुए बुरे अनुभवों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इसी में एक मामला 34 वर्षीय महिला का है, जिनके पति ने ही सुहागरात पर उनका रेप (Rape) किया।

साफा कहती हैं कि, 'मेरे पीरियड चल रहे थे और मैं सेक्स के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन मेरे पति को लगा कि मैं उनके साथ रिश्ता बनाने से बच रही हूं। इसलिए शादी की पहली रात को ही उन्होंने मुझे मारा, मेरे हाथ बांध दिए, मेरा मुंह दबाया और फिर रेप किया।' इस यौन हमले ने उनके गुप्तांग, कलाई और चेहरे पर चोट आई।

वहीं 27 वर्षीय एक अन्य महिला की कहानी और भी दर्दनाक है। वे लिखती हैं, 'वो मेरे लिए किसी फरिश्ते की तरह थें। जब हमारी शादी को एक साल हुआ था, उस समय मैं प्रेग्नेंट हो गई थी और मेरी डिलीवरी होने वाली थी। हालांकि इस बीच हमारी लड़ाई हो गई, जिसके बाद उसने मुझे सजा देने का फैसला किया था। 

उसने मेरे साथ जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश की और मेरा रेप किया था। इस के चलते मेरा मिसकैरेज हो गया था। इसके बाद मैंने एक लंबी लड़ाई के बाद अपने पति से तलाक लिया था और उससे अलग हो गई थी। लेकिन आज भी अपने बच्चे को गंवाने का दर्द मेरे जहन में है। 

मिस्र के कई इलाकों में खासतौर पर सुहागरात के दिन पत्नी से जबरदस्ती सेक्स करना एक प्रचलित सामाजिक बुराई है। नेशनल काउंसिल फॉर वीमेन की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र में हर साल औसतन 6500 ऐसे केस आते हैं जिनमें पति द्वारा महिलाओं पर मैरिटल रेप, सेक्शुएल हैरेसमेंट और जबरदस्ती सेक्शुएल प्रैक्टिस की घटनाएं शामिल होती हैं। 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के लिए कानूनी मदद मुहैया कराने वाली संस्था में कार्यरत एक महिला कहती हैं, 'मिस्र में महिलाओं को सेक्स के लिए 24 घंटे उपलब्ध मानना सामान्य संस्कृति है। वैवाहिक बलात्कार के लिए यही धारणा जिम्मेदार है।' वो कहती हैं, मिस्र में आम धार्मिक मान्यता ये है कि यदि कोई महिला अपने पति के साथ सेक्स करने से इनकार करती है तो वो पाप करती है और सारी रात फरिश्ते उसे बददुआ देते रहते हैं।

दरअसल, मिस्र के कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार अपराध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे यौन हिंसा का ही एक रूप मानता है। अदालतों में इस अपराध को साबित करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अधिकतर मामलों में सजा नहीं हो पाती है। इसकी वजह मिस्र के दंड विधान की धारा 60 है।

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