India Exports Market / अमेरिकी टैरिफ का भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब, गैर-अमेरिकी बाजारों में बढ़ा निर्यात

अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ का सामना करने के लिए भारत ने अपनी निर्यात रणनीति बदल दी है. भारत अब अमेरिका की जगह अन्य देशों में अपना निर्यात बढ़ा रहा है, जिससे कुल निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, गैर-अमेरिकी बाजारों में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जबकि अमेरिका को निर्यात में गिरावट आई है.

अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाकर निर्यात को बाधित करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसका सफलतापूर्वक जवाब दिया है. देश ने अपनी निर्यात रणनीति में बदलाव करते हुए गैर-अमेरिकी बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे कुल निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है.

अमेरिका को निर्यात में गिरावट

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की अक्टूबर रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में 7 प्रतिशत की वृद्धि के बाद, सितंबर में अमेरिका को भारत का व्यापारिक निर्यात 11. 9 प्रतिशत घटकर 5. 5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया. एजेंसी ने यह भी कहा कि अगर टैरिफ बढ़ोतरी से पहले खेप लोड नहीं होती, तो यह गिरावट और भी तेज होती और यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 27 अगस्त से प्रभावी किए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण हुई है, जो भारतीय वस्तुओं पर लागू हो रहा है.

गैर-अमेरिकी बाजारों में मजबूत वृद्धि

इसके विपरीत, गैर-अमेरिकी बाजारों में भारत का निर्यात सितंबर में 10. 9 प्रतिशत बढ़ा, जो अगस्त 2025 में दर्ज की गई 6. 6 प्रतिशत की वृद्धि से काफी अधिक है. यह दर्शाता है कि भारत ने अपनी निर्यात निर्भरता को सफलतापूर्वक विविधतापूर्ण बनाया है और नए व्यापारिक साझेदार खोजे हैं. यह रणनीति अमेरिकी व्यापार बाधाओं के प्रभाव को कम करने में सहायक सिद्ध हुई है.

निर्यात के सामने चुनौतियां और भविष्य की उम्मीदें

क्रिसिल ने आगाह किया है कि भारत के व्यापारिक निर्यात को अमेरिकी शुल्क वृद्धि और वैश्विक वृद्धि में व्यापक सुस्ती के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और विश्व व्यापार संगठन ने अनुमान लगाया है कि 2025 में वैश्विक व्यापारिक व्यापार की मात्रा 2. 4 प्रतिशत बढ़ेगी, जबकि 2024 में यह 2. 8 प्रतिशत रही थी. इन चुनौतियों के बावजूद, क्रिसिल को उम्मीद है कि भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) मजबूत सेवा निर्यात और कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण प्रबंधन के दायरे में रहेगा. एजेंसी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में कैड सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग एक प्रतिशत रहेगा, जो पिछले वर्ष के 0. 6 प्रतिशत से अधिक है. यह भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए एक सकारात्मक संकेत है.