AajTak : Apr 04, 2020, 11:03 AM
भारत ने कहा है कि एक वक्त आएगा जब चीन को कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी दुनिया को बतानी ही पड़ेगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आज हम एक वैश्विक दुनिया में रहते हैं, इस ग्लोबलाइजेशन का वजूद बना रहे इसके लिए जरूरी है कि विश्वव्यापी महत्व के किसी भी मुद्दे पर सूचनाओं और समझ को आपस में बांटा जाए।
दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं एक-दूसरे के मिलकर काम कर रही हैं ताकि कोरोना से कहर से कराह रही वर्ल्ड इकोनॉमी को राहत मिल सके।
इंडिया टुडे ने इन तमाम मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से बात की। इंडिया टुडे ने उनसे जानना चाहा कि क्या संयुक्त राष्ट्र में कोरोना को लेकर चीन की भूमिका और इसके संदेहास्पद रवैये पर चर्चा होगी।
सुरक्षा परिषद पर भारत का तंज
बता दें कि इससे पहले ये रिपोर्ट आई थी कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वुहान और कोरोना के लिंक पर चर्चा को रोक दिया था। मार्च महीने में चीन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष था। इस मुद्दे पर सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, "कहा जाता है कि सुरक्षा परिषद अपने एजेंडे का मास्टर खुद है, हम लोग अभी तक टेबल पर नहीं आए हैं, इसलिए मैं अभी इस मुद्दे पर कमेंट नहीं करूंगा कि क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं, मैं समझता हूं कि एक अनौपचारिक संवाद हो रहा है और आज नहीं तो कल हम इसके नतीजे को जान जाएंगे।"
सूचनाएं और तथ्य साझा करे चीन
जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन को कोरोना से जुड़ी सूचनाओं को दुनिया के साथ साझा करने की जरूरत है, ताकि इस बीमारी की उत्पत्ति और इसके पूरे असर को ठीक से समझा जा सके। इस पर सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, " हमलोग एक वैश्विक दुनिया में रहते हैं, वैश्वीकरण की वजह से देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं और वैश्वीकरण की प्रक्रिया बिना बाधा के चलती रहे इसके लिए जरूरी है कि हर देश दुनिया की भलाई के लिए काम करे, दुनिया की भलाई के लिए ऐसी ही एक अच्छा काम ये है कि जिन मुद्दों का दुनिया पर असर हो रहा है, उससे जुड़ी सूचनाएं और तथ्य वैश्विक स्तर पर साझा की जाएं,"
हालांकि उन्होंने कहा कि ये वक्त दोषारोपण करने का नहीं है, अभी एक साथ खड़े होने का वक्त और मानव के अस्तित्व को चुनौती दे रही इस महामारी से लड़ने की जरूरत है।पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से हो चर्चा
सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अगर कोरोना वायरस नाम की इस महामारी को पूरी तरह से समझना है, तो हमें पारदर्शी, वैज्ञानिक तरीके से और खुले तौर पर इस मुद्दे को समझना होगा। एक वक्त आएगा जब हम इस संकट से उबरेंगे , अभी जरूरत है कि हमारे वजूद को चुनौती दे रहे इस बीमारी से मिलकर लड़ा जाए।
स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे देखना सुरक्षा परिषद का काम नहीं
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा है कि कोरोना वायरस का मुद्दा वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और सुरक्षा परिषद का मुख्य काम दुनिया में भू-राजनैतिक संतुलन और शांति से जुड़े मसलों को देखना है। इस तर्क के साथ ही चीन ने सुरक्षा परिषद में कोरोना वायरस के मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है।
दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं एक-दूसरे के मिलकर काम कर रही हैं ताकि कोरोना से कहर से कराह रही वर्ल्ड इकोनॉमी को राहत मिल सके।
इंडिया टुडे ने इन तमाम मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से बात की। इंडिया टुडे ने उनसे जानना चाहा कि क्या संयुक्त राष्ट्र में कोरोना को लेकर चीन की भूमिका और इसके संदेहास्पद रवैये पर चर्चा होगी।
सुरक्षा परिषद पर भारत का तंज
बता दें कि इससे पहले ये रिपोर्ट आई थी कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वुहान और कोरोना के लिंक पर चर्चा को रोक दिया था। मार्च महीने में चीन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष था। इस मुद्दे पर सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, "कहा जाता है कि सुरक्षा परिषद अपने एजेंडे का मास्टर खुद है, हम लोग अभी तक टेबल पर नहीं आए हैं, इसलिए मैं अभी इस मुद्दे पर कमेंट नहीं करूंगा कि क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं, मैं समझता हूं कि एक अनौपचारिक संवाद हो रहा है और आज नहीं तो कल हम इसके नतीजे को जान जाएंगे।"
सूचनाएं और तथ्य साझा करे चीन
जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन को कोरोना से जुड़ी सूचनाओं को दुनिया के साथ साझा करने की जरूरत है, ताकि इस बीमारी की उत्पत्ति और इसके पूरे असर को ठीक से समझा जा सके। इस पर सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, " हमलोग एक वैश्विक दुनिया में रहते हैं, वैश्वीकरण की वजह से देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं और वैश्वीकरण की प्रक्रिया बिना बाधा के चलती रहे इसके लिए जरूरी है कि हर देश दुनिया की भलाई के लिए काम करे, दुनिया की भलाई के लिए ऐसी ही एक अच्छा काम ये है कि जिन मुद्दों का दुनिया पर असर हो रहा है, उससे जुड़ी सूचनाएं और तथ्य वैश्विक स्तर पर साझा की जाएं,"
हालांकि उन्होंने कहा कि ये वक्त दोषारोपण करने का नहीं है, अभी एक साथ खड़े होने का वक्त और मानव के अस्तित्व को चुनौती दे रही इस महामारी से लड़ने की जरूरत है।पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से हो चर्चा
सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अगर कोरोना वायरस नाम की इस महामारी को पूरी तरह से समझना है, तो हमें पारदर्शी, वैज्ञानिक तरीके से और खुले तौर पर इस मुद्दे को समझना होगा। एक वक्त आएगा जब हम इस संकट से उबरेंगे , अभी जरूरत है कि हमारे वजूद को चुनौती दे रहे इस बीमारी से मिलकर लड़ा जाए।
स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे देखना सुरक्षा परिषद का काम नहीं
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा है कि कोरोना वायरस का मुद्दा वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और सुरक्षा परिषद का मुख्य काम दुनिया में भू-राजनैतिक संतुलन और शांति से जुड़े मसलों को देखना है। इस तर्क के साथ ही चीन ने सुरक्षा परिषद में कोरोना वायरस के मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है।