Manufacturing Sector / भारत को इस खबर का 16 महीनों से था इंतजार, अब निकलेगी चीन-US की हेकड़ी

भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को 16 महीनों में सबसे बड़ी राहत मिली है। जुलाई में पीएमआई बढ़कर 59.1 पर पहुंच गया, जो मार्च 2024 के बाद सर्वोच्च है। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी ने ग्रोथ को बल दिया। यह इकोनॉमी की सेहत के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

Manufacturing Sector: 1 अगस्त, 2025 को भारत के लिए एक ऐसी खबर आई, जिसका इंतजार पिछले 16 महीनों से था। देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर न केवल पटरी पर लौटा, बल्कि 16 महीने के शिखर पर पहुंच गया। एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई जून 2025 के 58.4 से बढ़कर जुलाई में 59.1 हो गया, जो मार्च 2024 के बाद इस सेक्टर में सबसे मजबूत सुधार का संकेत देता है। यह आर्थिक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक संदेश है, जो देश की इकोनॉमी को नई गति दे सकता है।

पीएमआई क्या दर्शाता है?

मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) किसी देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सेहत का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। 50 से ऊपर का स्कोर उत्पादन गतिविधियों में विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन का संकेत देता है। जुलाई 2025 में भारत का पीएमआई 59.1 पर पहुंचा, जो नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी के कारण संभव हुआ। यह न केवल 16 महीनों का उच्चतम स्तर है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मांग की अनुकूल परिस्थितियां भारतीय उद्योगों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं।

उछाल के पीछे क्या कारण हैं?

एचएसबीसी के मुख्य भारतीय इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के अनुसार, जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 59.1 रही, जो पिछले महीने के 58.4 से अधिक है। इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं:

  1. नए ऑर्डर में तेजी: सर्वे के अनुसार, कुल बिक्री पिछले पांच वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ी। यह मांग में मजबूती और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाता है।

  2. उत्पादन में वृद्धि: नए ऑर्डर की बढ़ती मांग के चलते, जुलाई में उत्पादन 15 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया।

  3. अनुकूल मांग परिस्थितियां: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग में सुधार ने मैन्युफैक्चरर्स को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

हालांकि, कारोबारी आउटलुक को लेकर मैन्युफैक्चरर्स आगामी 12 महीनों में उत्पादन वृद्धि के प्रति आश्वस्त हैं, लेकिन सकारात्मक भावना का स्तर पिछले तीन वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। यह अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों या अन्य बाहरी कारकों का परिणाम हो सकता है।

कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी

सर्वे में यह भी उजागर हुआ कि जुलाई में लागत का दबाव बढ़ा। एल्युमीनियम, चमड़ा, रबर, और इस्पात जैसे कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण औसत लागत जून की तुलना में तेजी से बढ़ी। हालांकि, अनुकूल मांग की स्थिति ने मैन्युफैक्चरर्स को अपने उत्पादों के शुल्क बढ़ाने में सक्षम बनाया, जिससे लागत का कुछ बोझ कम हुआ।

सर्वे की विश्वसनीयता

एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल द्वारा लगभग 400 मैन्युफैक्चरर्स के एक समूह में क्रय प्रबंधकों से प्राप्त जवाबों के आधार पर तैयार किया गया है। यह सर्वे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों का एक विश्वसनीय और व्यापक चित्र प्रस्तुत करता है।

भारत की इकोनॉमी के लिए इसका क्या मतलब है?

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह उछाल भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक शुभ संकेत है। यह न केवल रोजगार सृजन और औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देगा, बल्कि निर्यात में भी वृद्धि की संभावना को मजबूत करेगा। हालांकि, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और वैश्विक अनिश्चितताएं भविष्य में चुनौतियां पेश कर सकती हैं। सरकार और उद्योगों को मिलकर इन जोखिमों का प्रबंधन करने की आवश्यकता होगी ताकि यह गति बनी रहे।

जुलाई 2025 का यह आंकड़ा भारत के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि सही नीतियों और अनुकूल परिस्थितियों के साथ, भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी धाक जमा सकता है।