India-Russia Relation / रूस को भारत देगा सबसे कीमती चीज, शंघाई से लेकर अमेरिका तक सब हैरान

भारत और रूस की ऐतिहासिक दोस्ती एक नई ऊंचाई पर पहुंच रही है। रूस को उद्योगों में श्रमिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत 2024 के अंत तक रूस को 10 लाख स्किल्ड वर्कर देगा। इस डील से वैश्विक शक्तियां चौंक गई हैं।

India-Russia Relation: भारत और रूस की दोस्ती पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल रही है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने न केवल कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर बल्कि सामरिक और औद्योगिक क्षेत्रों में भी अपने रिश्तों को मजबूत किया है। खास तौर पर, जब से पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, तब भारत ने रूस के साथ अपनी दोस्ती को और गहरा किया। जब वैश्विक समुदाय रूस से कच्चा तेल खरीदने से हिचक रहा था, तब भारत ने न केवल रूस का साथ दिया, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब भारत और रूस के बीच एक ऐसी डील होने जा रही है, जो न केवल दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भी चर्चा का विषय बन रही है।

भारत देगा रूस को 10 लाख कुशल श्रमिक

रूस, जो अपनी औद्योगिक शक्ति के लिए जाना जाता है, अब भारत के साथ एक ऐतिहासिक समझौते की ओर बढ़ रहा है। रूस इस साल के अंत तक भारत से करीब 10 लाख कुशल श्रमिकों को अपने औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने के लिए आमंत्रित करने की योजना बना रहा है। यूराल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख आंद्रेई बेसेदिन ने रूसी समाचार एजेंसी रॉसबिजनेसकंसल्टिंग (आरबीसी) को बताया कि भारत से कुशल पेशेवरों को लाने की योजना पर काम चल रहा है। बेसेदिन के अनुसार, इन 10 लाख श्रमिकों में से कई रूस के स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र में काम करेंगे, जहां एक नया भारतीय महावाणिज्य दूतावास भी खोला जा रहा है। यह दूतावास इस प्रक्रिया को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

स्वेर्दलोव्स्क: रूस का औद्योगिक केंद्र

यूराल पर्वत में स्थित स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र रूस का एक प्रमुख औद्योगिक और सैन्य-औद्योगिक केंद्र है। यहां विश्व प्रसिद्ध कंपनियां जैसे यूरालमाश और टी-90 टैंकों का निर्माण करने वाली यूराल वगन ज़ावोद मौजूद हैं। बेसेदिन ने बताया कि इस क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन कुशल श्रमिकों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। रूस के युवा कारखानों में काम करने से बच रहे हैं, और कई श्रमिक यूक्रेन में चल रहे सैन्य अभियानों में तैनात हैं। इस कमी को दूर करने के लिए रूस अब भारत जैसे देशों की ओर देख रहा है, जिनके पास एक विशाल और कुशल कार्यबल उपलब्ध है।

श्रमिकों की कमी क्यों?

रूस के औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी के कई कारण हैं। पहला, रूस में जनसांख्यिकीय संकट के कारण युवा आबादी में कमी आई है। दूसरा, कई युवा पारंपरिक कारखानों में काम करने के बजाय अन्य क्षेत्रों में करियर बनाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। तीसरा, यूक्रेन में चल रहे सैन्य अभियान के कारण कई श्रमिकों को वहां भेजा गया है। इन सबके बीच, रूस ने श्रीलंका और उत्तर कोरिया जैसे देशों से भी श्रमिकों को लाने पर विचार किया, लेकिन भारत के साथ इस डील को सबसे अधिक संभावनापूर्ण माना जा रहा है।

2024 में शुरू हुई थी पहल

भारत से श्रमिकों का रूस जाना कोई नई बात नहीं है। 2024 में ही कैलिनिनग्राद में मछली प्रसंस्करण परिसर जा रोदिनू ने भारतीय श्रमिकों को आमंत्रित किया था। रूसी श्रम मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, 2030 तक रूस में कार्यबल की कमी 31 लाख तक पहुंच सकती है। इसीलिए, 2025 में विदेशी श्रमिकों के लिए कोटा बढ़ाकर 2.3 लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है। 2024 में ही गैर-राष्ट्रकुल देशों से 47,000 कुशल प्रवासियों को रूस लाया गया था।

प्रवासन कानून में सख्ती

हालांकि, रूस ने प्रवासन नीतियों को और सख्त कर दिया है, खासकर पिछले साल मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकवादी हमले के बाद। पूर्व सोवियत गणराज्यों से आने वाले प्रवासियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। फिर भी, भारत जैसे मित्र देशों के साथ रूस का यह सहयोग न केवल आर्थिक स्तर पर बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा।

वैश्विक प्रभाव

भारत और रूस के बीच इस डील ने अमेरिका, चीन और अन्य देशों को हैरान कर दिया है। भारत का यह कदम न केवल रूस की अर्थव्यवस्था को सहारा देगा, बल्कि भारत के कुशल श्रमिकों को भी वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देगा। यह डील दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग का एक और प्रमाण है।