Vladimir Putin India Visit / भारत-रूस व्यापार ने छुआ रिकॉर्ड स्तर: FY 2024-25 में 68.7 बिलियन डॉलर का कारोबार

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 68.7 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो महामारी-पूर्व के मुकाबले 5.8 गुना अधिक है। इसमें भारत का निर्यात 4.9 बिलियन डॉलर और रूस से आयात 63.8 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें तेल, उर्वरक और कीमती धातुएं प्रमुख हैं।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जो 68. 7 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों और व्यापारिक आदान-प्रदान की गहराई को दर्शाता है। यह वृद्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महामारी से पहले के व्यापार स्तर, जो 10. 1 बिलियन डॉलर था, की तुलना में लगभग 5. 8 गुना अधिक है। यह अभूतपूर्व उछाल वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बदलाव और दोनों देशों द्वारा अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों का परिणाम है।

द्विपक्षीय व्यापार में ऐतिहासिक उछाल

भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार में यह ऐतिहासिक उछाल वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान दर्ज किया गया है, जब कुल व्यापारिक लेनदेन 68. 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। यह आंकड़ा न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अपने आर्थिक सहयोग को कितनी तेजी से बढ़ाया है। महामारी से पहले, यानी वित्तीय वर्ष 2024-25 से पहले के वर्षों में, द्विपक्षीय व्यापार का स्तर लगभग 10. 1 बिलियन डॉलर था और इस तुलना से स्पष्ट होता है कि व्यापार में लगभग 5. 8 गुना की वृद्धि हुई है, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और व्यापारिक अवसरों के विस्तार का प्रमाण है।

भारत का निर्यात और रूस से आयात

इस रिकॉर्ड-तोड़ व्यापार में भारत का निर्यात 4. 9 बिलियन डॉलर रहा, जबकि रूस से भारत का आयात 63 और 8 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया। इन आंकड़ों से दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन की स्थिति स्पष्ट होती है, जहां आयात का हिस्सा निर्यात की तुलना में काफी अधिक है। भारत मुख्य रूप से रूस को विभिन्न प्रकार के निर्मित उत्पाद और कृषि वस्तुएं निर्यात करता है, जबकि रूस से भारत को ऊर्जा, खनिज और कुछ प्रमुख औद्योगिक कच्चे माल का आयात होता है। यह व्यापारिक संरचना दोनों देशों की आर्थिक आवश्यकताओं और उत्पादन क्षमताओं को दर्शाती है।

भारत के प्रमुख निर्यात उत्पाद

भारत रूस को कई महत्वपूर्ण उत्पादों का निर्यात करता है, जिनमें फार्मास्यूटिकल्स एक प्रमुख श्रेणी है और भारतीय दवा उद्योग अपनी गुणवत्ता और लागत-प्रभावशीलता के लिए जाना जाता है, और यह रूस के लिए एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। इसके अतिरिक्त, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स भी भारत के निर्यात बास्केट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और आयरन-स्टील उत्पाद और मरीन प्रोडक्ट्स, जिनमें मछली और झींगा जैसे समुद्री खाद्य पदार्थ शामिल हैं, भी रूस के बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। कृषि-उत्पादों में, भारत रूस को चावल, तंबाकू, चाय, कॉफी और अंगूर जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ निर्यात करता है। अन्य निर्यात वस्तुओं में सेरामिक प्रोडक्ट्स, एयरक्राफ्ट पार्ट्स, मशीनरी, ग्लास और ग्लासवेयर, कपड़े-निटवेयर, लेदर प्रोडक्ट्स, रबर आइटम्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और सर्जिकल टूल्स शामिल हैं, जो भारत के विविध औद्योगिक और विनिर्माण आधार को प्रदर्शित करते हैं।

रूस से भारत के प्रमुख आयात उत्पाद

रूस से भारत में आयात होने वाले उत्पादों में ऊर्जा और कच्चे माल का। प्रभुत्व है, जो भारत की बढ़ती औद्योगिक और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट सबसे प्रमुख आयात वस्तुओं में से हैं, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वेजिटेबल ऑयल, फर्टिलाइजर्स (उर्वरक), और कोकिंग कोल भी रूस से बड़ी मात्रा में आयात किए जाते हैं, जो भारत के कृषि और इस्पात उद्योगों के लिए आवश्यक हैं। प्रेशियस मेटल्स और स्टोन्स भी आयात सूची में शामिल हैं और इसके अलावा, मिनरल फ्यूल्स, मिनरल वैक्स, मशीनरी, इक्विपमेंट, वुड, पल्प और पेपर प्रोडक्ट्स, और विभिन्न प्रकार के मेटल्स भी रूस से भारत में आते हैं। ये आयात भारत के विनिर्माण क्षेत्र और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करते हैं।

सेवाओं के व्यापार की स्थिति

पिछले पांच सालों से दोनों देशों के बीच सेवाओं का व्यापार अपेक्षाकृत स्थिर रहा है और इस क्षेत्र में, व्यापार संतुलन रूस के पक्ष में रहा है, जिसका अर्थ है कि रूस भारत को सेवाओं का अधिक निर्यात करता है, जबकि भारत से रूस को सेवाओं का निर्यात कम है। यह स्थिति दोनों देशों के बीच सेवाओं के क्षेत्र में विशिष्ट विशेषज्ञता और मांग को दर्शाती है। हालांकि वस्तुओं के व्यापार में भारी वृद्धि देखी गई है, सेवाओं का क्षेत्र एक स्थिर पैटर्न। बनाए हुए है, जो भविष्य में संभावित विकास के अवसरों की ओर भी इशारा करता है।