देश / भारत के पहले क्रिप्टोगैमिक गार्डन का देहरादून में हुआ उद्घाटन; 9,000 फीट की ऊंचाई पर है स्थित

Zoom News : Jul 12, 2021, 07:37 AM
देहरादून: उत्तराखंड में देहरादून जिले के देवबन क्षेत्र (Deoban area ) में रविवार को भारत के पहले क्रिप्टोगैमिक गार्डन (cryptogamic garden) का उद्घाटन किया गया. यह गार्डन 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और तीन एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें क्रिप्टोग्राम की लगभग 50 विभिन्न प्रजातियां हैं.

क्रिप्टोग्राम वे प्राचीन पौधे (primitive plants ) होते हैं, जो बीजों के माध्यम से नहीं फैलते हैं. इसमें शैवाल, काई, फर्न, कवक और लाइकेन शामिल हैं.

एक आधिकारिक बयान में भारतीय वन सेवा ( Indian Forest Service) के मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी (Sanjiv Chaturvedi) ने कहा, 'यह भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक उद्यान है, इन प्रजातियों के पारिस्थितिक महत्व को देखते हुए और इनके बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण पौधों का यह समूह स्थापित किया गया है.'क्रिप्टोग्राम लोअर प्लांट (lower plants ) हैं, जो जुरासिक युग (Jurassic era) से पृथ्वी पर मौजूद हैं. ये पौधे अच्छे जैव-संकेतक हैं क्योंकि प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में लाइकेन जैसी प्रजातियां नहीं आती हैं. इन प्रजातियों को आर्थिक मूल्य भी अधिक है. इनका उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए हैदराबादी बिरयानी (Hyderabadi Biryani ) और गलौटी कबाब (Galouti Kebab ) जैसी प्रसिद्ध पाक वस्तुओं में मसालों के रूप में किया जाता है.इसी तरह, कई शैवाल प्रजातियां विभिन्न पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत हैं और कई खाद्य मशरूम भी हैं. काई की कई प्रजातियों में अच्छे एंटी-फंगल गुण (anti-fungal properties) होते हैं, कई लाइकेन प्रजातियों का उपयोग स्थानीय लोगों द्वारा दवाओं के रूप में किया जाता है और कई फर्न प्रजातियों का उपयोग भारी धातुओं को छानने के लिए किया जाता है.

चतुर्वेदी ने कहा, 'इस परियोजना के लिए देवबन को चुना गया है क्योंकि यह इन पौधों के समूह का एक अच्छा प्राकृतिक आवास है, जो प्रदूषण से मुक्त है और इन पौधों के लिए उपयुक्त नमी की स्थिति भी प्रदान करता है.'

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