- भारत,
- 23-Jun-2025 10:20 PM IST
Oman News: मिडिल ईस्ट इस समय जबरदस्त तनाव के दौर से गुजर रहा है। अमेरिका द्वारा ईरान पर बंकर बस्टर हमले ने क्षेत्र की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस माहौल में ईरान के एक पड़ोसी देश ने ऐसा ऐलान कर दिया है, जिससे वह खाड़ी क्षेत्र का पहला देश बन गया है। न यह ऐलान सऊदी अरब ने कभी किया, न ही यूएई, इराक या खुद ईरान ने। इस कदम ने पूरे खाड़ी क्षेत्र की आर्थिक और राजनीतिक रणनीतियों में एक नया मोड़ ला दिया है।
ओमान का ऐतिहासिक कदम
ईरान का पड़ोसी देश ओमान अब खाड़ी का पहला देश बनने जा रहा है जो 2028 से इनकम टैक्स लागू करेगा। यह ऐलान उस समय आया है जब पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। ओमानी सरकार के अनुसार, यह नया टैक्स सिर्फ उन लोगों पर लागू होगा जिनकी वार्षिक आय 42,000 रियाल (लगभग 1.09 लाख डॉलर) से अधिक है। यह ओमान की कुल आबादी का केवल टॉप 1% हिस्सा प्रभावित करेगा।
तेल पर निर्भरता घटाने की रणनीति
ओमान के अर्थव्यवस्था मंत्री सईद बिन मोहम्मद अल-सकरी ने कहा कि इस फैसले का मकसद तेल पर आर्थिक निर्भरता को घटाना और सामाजिक खर्च को बनाए रखना है। खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के छह देशों में से अब तक किसी ने भी आयकर नहीं लगाया है। वर्षों से इस टैक्स-फ्री नीति ने उच्च वेतन पाने वाले विदेशी कर्मचारियों को खाड़ी क्षेत्र में आकर्षित किया है, मगर ओमान ने इस परंपरा को तोड़ते हुए एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है।
आर्थिक सुधारों की दिशा में बड़ा कदम
अबू धाबी कमर्शियल बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट मोनिका मलिक ने इस कदम को 'सीमित लेकिन ऐतिहासिक' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला दर्शाता है कि ओमान राजकोषीय सुधारों को अपनाकर क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा में आगे रहना चाहता है, खासकर जब हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) तेजी से खाड़ी क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं।
क्या बाकी खाड़ी देश भी अपनाएंगे यही रास्ता?
भले ही सऊदी अरब और बहरीन इस वर्ष घाटे में रहने की उम्मीद कर रहे हैं, पर IMF का मानना है कि जैसे-जैसे दुनिया की फ्यूल डिमांड कम होती जा रही है, खाड़ी देशों को भविष्य में आयकर जैसे विकल्प अपनाने पड़ सकते हैं। ओमान पहले से ही निजीकरण और IPO जैसे माध्यमों से निवेश आकर्षित कर रहा है। पिछले साल उसकी एनर्जी कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट ने IPO के ज़रिए 2 बिलियन डॉलर जुटाए।
ओमान का फैसला एक मिसाल
ओमान ने खाड़ी क्षेत्र में टैक्स व्यवस्था को लेकर जो पहल की है, वह न सिर्फ उसकी आर्थिक सोच में परिपक्वता दर्शाती है बल्कि पूरे GCC क्षेत्र को एक नई दिशा भी दे सकती है। मिडिल ईस्ट में जब एक ओर युद्ध और तनाव का माहौल है, ओमान का यह फैसला बताता है कि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए कठिन लेकिन आवश्यक कदम उठाना अब अपरिहार्य हो गया है।