- भारत,
- 21-Jun-2025 10:09 PM IST
Iran-US News: इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने पूरे मध्य पूर्व को एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। हाल ही में इजराइल द्वारा ईरान की सैन्य ठिकानों पर किए गए हमले के जवाब में ईरान ने भी कड़ा पलटवार किया है। इस जवाबी कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र में हालात और ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अपनी नौसेना और वायुसेना को फारस की खाड़ी और भूमध्य सागर में तैनात कर दिया है।
अमेरिका की रणनीतिक तैयारी
अमेरिका ने भूमध्य सागर में USS थॉमस हुडनर और फारस की खाड़ी में USS प्रिंसटन जैसे उन्नत युद्धपोतों की तैनाती की है। इसके साथ ही उसने F-22 रैप्टर और B-2 बॉम्बर जैसे उन्नत और घातक विमानों को भी क्षेत्र में भेजा है। ये विमान जमीन के नीचे बनी सुरंगों और परमाणु ठिकानों को भी ध्वस्त करने में सक्षम हैं। इन तैयारियों से यह संकेत साफ है कि अमेरिका ईरान पर मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक दबाव बनाना चाहता है।
सैन्य समर्थन या सीधे युद्ध?
फिलहाल अमेरिका ने इजराइल को सीमित सैन्य सहायता दी है, लेकिन अगर ईरान की ओर से कोई बड़ा हमला होता है, तो अमेरिका सीधे युद्ध में उतर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका यूक्रेन मॉडल की तरह इजराइल को हथियार, खुफिया जानकारी और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने की नीति भी अपना सकता है—बिना अपने सैनिकों को सीधे संघर्ष में उतारे।
ट्रंप और वेंस की स्थिति
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने साफ किया है कि राष्ट्रपति ट्रंप कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता देंगे। लेकिन अगर ईरान आक्रामक बना रहा, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा। इस बयान से साफ है कि अमेरिका एक ओर जहां युद्ध नहीं चाहता, वहीं दूसरी ओर ईरान को कोई छूट देने के लिए भी तैयार नहीं है।
ईरान की स्थिति और वैश्विक समीकरण
ईरान को इस समय किसी बड़े वैश्विक खिलाड़ी का खुला समर्थन नहीं मिल रहा है, लेकिन चीन और रूस कुछ हद तक कूटनीतिक और तकनीकी सहायता देते देखे जा रहे हैं। वहीं, मध्य पूर्व के अधिकांश अरब देशों ने इजराइल की कार्रवाई की आलोचना की है। तुर्की के राष्ट्रपति ने इजराइल को "मध्य पूर्व की शांति में सबसे बड़ी बाधा" तक कह डाला।
स्थिति बेहद नाजुक
इस समय पूरी दुनिया की निगाहें इजराइल-ईरान संघर्ष पर टिकी हुई हैं। एक छोटी सी चूक या आक्रामक कदम क्षेत्र को व्यापक युद्ध की ओर धकेल सकता है, जो न केवल मध्य पूर्व, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित करेगा। दुनिया को इस वक्त शांति और संयम की सबसे ज्यादा जरूरत है—क्योंकि अगर युद्ध छिड़ा, तो उसके परिणाम सीमाओं से बहुत आगे तक जाएंगे।