कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला (बिना अन्न और जल) व्रत रखती हैं और यदि आप भी आज करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, तो यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और पूरी पूजा विधि, ताकि आपका व्रत पूर्ण रूप से सफल हो सके।
करवा चौथ 2025: शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 09 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू हुई थी और इसका समापन आज, 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि के कारण व्रत आज ही रखा जा रहा है।
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05 बजकर 57 मिनट से शाम 07 बजकर 11 मिनट तक
* व्रत का समय (उपवास अवधि): सुबह 06 बजकर 19 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
* चंद्रोदय का समय: रात 08 बजकर 13 मिनट (स्थानीय समय के अनुसार थोड़ा अंतर हो सकता है)
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाकर। की जाती है, जो सास द्वारा बहू को दी जाती है। यह एक पौष्टिक भोजन होता है। सरगी के बाद, सूर्योदय के साथ ही निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। शाम के शुभ मुहूर्त में महिलाएं सोलह श्रृंगार करके चौथ माता (देवी पार्वती) और भगवान शिव की पूजा करती हैं। पूजा स्थल पर शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। मिट्टी का करवा रखकर उसमें जल भरकर सिक्का डालें और उसे लाल कपड़े से ढक दें और सभी देव-देवताओं का आह्वान करते हुए पूजन शुरू करें। पूजा की थाली में शृंगार सामग्री, मिठाई, फल आदि रखें। सामूहिक रूप से करवा चौथ की कथा सुनें और आरती करें।
चंद्र दर्शन और व्रत का पारण
कथा सुनने के बाद चंद्रोदय का इंतजार करें। जब चंद्रमा निकल आए, तो सबसे पहले छलनी में दीपक रखकर उसके माध्यम से चंद्रमा के दर्शन करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति की लंबी आयु व सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें। फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखें। पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें। आखिर में, पति के हाथों से जल पीकर और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलें (पारण करें)। व्रत के समापन के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना न भूलें।
पूजा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
निर्जला व्रत:
यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला रखा जाता है। इस दौरान जल या अन्न ग्रहण न करें।
शृंगार:
व्रत के दिन सोलह शृंगार करना अनिवार्य माना जाता है।
शुभ रंग:
पूजा के लिए लाल, पीला या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। काला या सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें।
नुकीली वस्तुएं:
दिन भर में किसी भी धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू आदि का प्रयोग करने से बचें।
करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ का व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि प्यार, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है और इस व्रत का उल्लेख महाभारत और पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है, जहां द्रौपदी ने भी अपने पति अर्जुन की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था।