मोहाली ब्लास्ट / अफगानी तकनीक और पाकिस्तान के दिमाग से आगे बढ़ रहा खालिस्तानी मूवमेंट

Zoom News : May 10, 2022, 07:02 PM
पंजाब में खुफिया विभाग के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) के जरिए ब्लास्ट किया गया। अगर हमलावर चाहते तो वे बड़ी आसानी से किसी भी वीवीआईपी को निशाना बना सकते थे। चलती हुई कार पर रॉकेट लॉंन्चर से हमला या चलती हुई कार से किसी दूसरे टारगेट को भेदना, ये दोनों ही तकनीक अफगानिस्तान में इस्तेमाल की जाती रही हैं। यह तकनीक और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का दिमाग, ये दोनों मिलकर 'पंजाब' में खालिस्तानी मूवमेंट को आगे बढ़ा रहे हैं। पंजाब के तरनतारन में आरडीएक्स की बरामदगी, मलेरकोटला में डीसी दफ्तर के बाहर खालिस्तान का झंडा लहराना, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य गेट पर खालिस्तान का पोस्टर और पड़ोसी राज्य हरियाणा के करनाल में विस्फोटक सामग्री का पकड़े जाना, ये सब घटनाएं महज एक इत्तेफाक नहीं हैं, बल्कि एक बड़ी साजिश की सिलसिलेवार कड़ियों का हिस्सा हैं।


पंजाब में इस वक्त माहौल ठीक नहीं है। अगर ऐसे मौके पर जरा सी भी चूक यानी आतंकियों के प्रति नरम रवैया अपनाया गया तो दशकों तक पंजाब की धरती को लहूलुहान कर खत्म हो चुका 'मिलिटेंसी' का दौर, दोबारा लौटने में देरी नहीं करेगा। खालिस्तान को लेकर यह चूक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह के बलिदान पर पानी फेर सकती है।


पाकिस्तान से लगता बॉर्डर स्टेट वाकई खतरे में है

पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी, जिन्होंने अपनी पहचान उजागर न करने का आग्रह करते हुए कहा, इस वक्त पाकिस्तान से लगता बॉर्डर स्टेट वाकई खतरे में है। यहां पर अब राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने का वक्त है। अगर बग्गा मामले जैसी हरकतें होती रहीं तो खालिस्तानी मूवमेंट आगे बढ़ने में देर नहीं लगाएगा। अभी तक पंजाब में ब्लास्ट के जो मामले सामने आएं हैं, वे टाइमर या रिमोट वाले थे। अब चलती हुई गाड़ी से रॉकेट लॉन्चर दागना, मतलब खतरा बड़ा है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, डीजीपी या अन्य वीवीआईपी, पंजाब में सुरक्षित नहीं माने जाएंगे। किसी भी जगह छिपकर वहां से वाहनों के काफिले पर अटैक हो सकता है। अगर ये संभव नहीं हुआ तो चलते हुए वाहन से रॉकेट दागा जा सकता है। मोहाली के खुफिया विभाग के मुख्यालय पर हमला, इसका सीधा अर्थ तो यही है कि पंजाब में आज भी आतंकी मौजूद हैं और हमले का पूरा साजो सामान भी उपलब्ध है। पंजाब में पिछले कई वर्षों से पांव जमाने की कोशिश कर रहे प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस', एक्स 'स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (सिमी), अंतरराष्ट्रीय सिख यूथ फेडरेशन 'आईएसवाईएफ', वधावा सिंह बब्बर (बीकेआई), केसीएफ/पी के परमजीत सिंह पंजावर और केजेडएफ के रणजीत सिंह नीता को पाकिस्तानी आईएसआई फुल स्पोर्ट कर रही है।


...तो मिलिटेंसी का नया दौर झेलने के लिए रहें तैयार

रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी), जिसकी रेंज आठ सौ मीटर होती है, उससे इंटेलिजेंस मुख्यालय पर निशाना लगाना, इससे आतंकियों की मजबूत स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। आरपीजी की मारक क्षमता बढ़ाकर इसके जरिए हेलिकॉप्टर और विमान तक को गिराया जा सकता है। पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत सिंह ही नहीं, बल्कि जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद भी कहते हैं कि आतंकियों के हाथ में आरपीजी अच्छे संकेत नहीं हैं। चलती हुई कार से आरपीजी के जरिए हमला, पंजाब में पहले कभी नहीं देखने को मिला था। पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने बताया, पंजाब में काफी समय से 'आईएसआई', खालिस्तान को मोहरा बना कर फन उठा रही है। आईएसआई ने विदेश में अपनी विंग के तौर पर खालिस्तान को खड़ा कर रखा है। मौजूदा परिस्थितियों में खालिस्तानी गतिविधियों को आगे बढ़ाने का कोई भी मौका पाकिस्तानी 'आईएसआई' नहीं छोड़ रही है। अगर अभी इसका फन नहीं कुचला गया तो पंजाब, मिलिटेंसी के एक नए दौर को झेलने के लिए तैयार रहे।


अभी खालिस्तान को नहीं मिल रहा लोगों का सपोर्ट

पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने बताया, पंजाब में अभी खालिस्तान को लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा। हालांकि इसके लिए आईएसआई ने कई सिख संगठनों को खड़ा किया है। खालिस्तानी मूवमेंट खड़ा किया जा रहा है। आईएसआई के इशारे पर ही खालिस्तान से जुड़े लोग विभिन्न देशों के दूतावासों के सामने प्रदर्शन करने पहुंच जाते हैं। पंजाब की आप सरकार को सख्ती से पेश आना होगा। मीडिया में ऐसी खबरें आती रहती हैं कि पंजाब सरकार, कथित तौर से खालिस्तानी मूवमेंट के प्रति सॉफ्ट है। ऐसे में खालिस्तानी पांव जमाने का प्रयास करेंगे। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भी केंद्र सरकार बहुत उलझन की स्थिति में रही थी। आईएसआई ने कोशिश भी थी कि इस कॉरिडोर के जरिए युवाओं को रेडिक्लाइज 'उग्र सुधारवादी' मुहिम का हिस्सा बना दें। भारत ने इस मामले में बहुत ही समझदारी से काम लिया।


पाकिस्तान की इस चाल को कामयाब नहीं होने दिया। दूसरा, खालिस्तानियों को आम लोगों का समर्थन नहीं मिला। नतीजा, आईएसआई ने पाकिस्तान और दूसरे मुल्कों में रह रहे खालिस्तान समर्थकों को एकत्रित किया। उनके जरिए पंजाब में बड़े अपराधियों को अपने मंसूबों के लिए तैयार कर लिया। अब वही लोग हमले करने लगे हैं। पंजाब में नशे और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा युवाओं का एक बड़ा वर्ग खालिस्तानी मुहिम का सॉफ्ट टारगेट बन सकता है। पंजाब पुलिस को सावधान रहना होगा। पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आएं। ऐसे हालात में अगर जरा सी भी ढील हुई तो आगे बड़ी दिक्कत होगी।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की जरुरत  

'सिख फॉर जस्टिस' जैसे संगठन पर कार्रवाई की जरुरत है। चूंकि इस संगठन की गतिविधियां विदेशों से संचालित होती हैं और वहां तक भारतीय जांच एजेंसियों की पहुंच आसान नहीं है। इसके लिए विदेश मंत्रालय स्तर पर कार्रवाई करनी होगी। विश्व जनमत को बताना होगा कि पाकिस्तानी आईएसआई, पंजाब में क्या कर रही है? कूटनीतिक स्तर पर इस मामले को काउंटर करना होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधित 'सिख फॉर जस्टिस' के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकियों की सूची में शामिल कर रखा है। एनआईए द्वारा पन्नू के ख़िलाफ केस दर्ज किया गया है। सिख फॉर जस्टिस 'एसएफजे' किसान आंदोलन के अलावा अन्य अवसरों पर तोड़फोड़ वाले मैसेज भेज चुका है। उसने अपने 'अलर्ट गणतंत्र दिवस' मैसेज में लिखा है कि सिख बनाम मोदी की जंग है। एसएफजे, 26 जनवरी पर पीएम मोदी को तिरंगा नहीं फहराने देगा। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, पंजाब का माहौल खराब करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मंगलवार को उन्होंने डीजीपी और अन्य खुफिया अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। मान ने कहा कि इस हमले के आरोपियों को कड़ी सजा दी जाएगी। डीजीपी वीके भवरा ने कहा कि इस मामले में हमारे पास सुराग हैं। पंजाब पुलिस, जल्द ही हमलावरों तक पहुंचेगी।

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