जयपुर की गलियों में आलू और टमाटर का ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले एक साधारण सब्जी विक्रेता अमित सेहरा की किस्मत ने ऐसा पलटा खाया है, जिसकी कल्पना भी उन्होंने कभी नहीं की थी और पंजाब सरकार की प्रतिष्ठित दिवाली बंपर लॉटरी 2025 ने उन्हें रातों-रात 11 करोड़ रुपये का मालिक बना दिया है। यह खबर अमित और उनके परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थी, जिसने। उनके गरीबी और संघर्षों से भरे जीवन में एक नई उम्मीद की किरण जगा दी है।
संघर्षों से भरा अतीत और 20 साल का इंतजार
अमित सेहरा का जीवन हमेशा से ही चुनौतियों और संघर्षों से भरा रहा है। जयपुर की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर एक छोटे से ठेले पर सब्जी बेचकर वे अपनी पत्नी और दो बच्चों का पालन-पोषण करते थे और हर दिन की कमाई से घर चलाना और बच्चों की जरूरतों को पूरा करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। कई बार उन्हें पुलिस की डांट-फटकार भी सुननी पड़ती थी, जो उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाती थी। इन सब के बावजूद, अमित ने कभी हार नहीं मानी और एक बेहतर। भविष्य की उम्मीद में पिछले 20 सालों से लगातार लॉटरी टिकट खरीदते रहे। यह उनकी अटूट आशा और धैर्य का ही परिणाम था कि एक दिन उनकी किस्मत ने करवट ली। उन्होंने यह भाग्यशाली टिकट पंजाब के बठिंडा शहर में खरीदा था, जो अब उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है।
जीत की खबर और संपर्क की चुनौती
जब पंजाब सरकार की दिवाली बंपर लॉटरी 2025 के परिणाम घोषित हुए और अमित सेहरा का नाम 11 करोड़ रुपये के। पहले पुरस्कार विजेता के रूप में सामने आया, तो लॉटरी विभाग के लिए उनसे संपर्क करना एक बड़ी चुनौती बन गया। दरअसल, लॉटरी का टिकट खरीदते समय अमित ने अपना मोबाइल नंबर दिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश इनाम की घोषणा से ठीक पहले उनका मोबाइल फोन खराब हो गया था। उनका नंबर लगातार बंद आ रहा था, जिससे लॉटरी विभाग और टिकट विक्रेता दोनों ही उन्हें ढूँढने में असमर्थ थे और कई दिनों तक अमित से संपर्क स्थापित करने के प्रयास विफल रहे, और विभाग को चिंता होने लगी कि कहीं यह बड़ा इनाम लावारिस न रह जाए। हालांकि, अमित को जब अपने परिचितों और स्थानीय खबरों के माध्यम से अपनी जीत का पता चला, तो उन्होंने तुरंत सामने आकर अपना दावा पेश किया, जिससे विभाग और उनके परिवार दोनों ने राहत की साँस ली।
चंडीगढ़ तक का भावनात्मक सफर
अपनी जीत की पुष्टि होने के बाद, अमित सेहरा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ चंडीगढ़ स्थित पंजाब स्टेट लॉटरीज कार्यालय पहुँचे। यह यात्रा उनके लिए सिर्फ एक शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि भावनाओं का एक सैलाब थी। अमित ने भावुक होकर बताया कि उनके पास चंडीगढ़ तक आने के लिए किराए के पैसे भी नहीं थे, और उन्हें अपने एक दोस्त से उधार लेकर आना पड़ा और यह दर्शाता है कि उनकी आर्थिक स्थिति कितनी नाजुक थी। कार्यालय में जब उन्हें विजेता राशि के 11 चेक सौंपे गए, तो उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। यह पल उनके लिए 20 साल के संघर्ष, उम्मीद और धैर्य का फल था। इस जीत ने उन्हें न केवल आर्थिक सुरक्षा दी, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी एक नई ऊँचाई प्रदान की।
आँखों में आँसू, दिल में नए सपने
पुरस्कार राशि प्राप्त करते समय अमित सेहरा की आँखों में आँसू थे, जो उनके पिछले जीवन के संघर्षों और अब मिली खुशी का मिश्रण थे। उन्होंने बताया कि ठेला लगाते वक्त कई बार उन्हें पुलिसवालों की गालियाँ सुननी पड़ती थीं, और उन्हें अपमानित महसूस होता था और यह जीत उनके लिए सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि उन सभी दुखों और अपमानों का अंत थी। अब वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं और अपने परिवार को वह सब कुछ दे सकते हैं, जिसकी उन्होंने हमेशा कल्पना की थी और इस जीत ने उन्हें एक नई पहचान दी है और उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। उन्होंने हनुमान जी को धन्यवाद दिया और पंजाब सरकार व लॉटरी एजेंसी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके जीवन में यह बड़ा बदलाव लाया।
बच्चों के भविष्य और घर का सपना
अमित सेहरा के लिए इस 11 करोड़ रुपये की जीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनके बच्चों का भविष्य है। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि अब वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देंगे। उनके बेटे का सपना आईएएस अधिकारी बनने का है, और अमित ने अब ठान लिया है कि वे अपने बेटे के इस सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके अलावा, उनका सबसे पहला और महत्वपूर्ण लक्ष्य एक घर बनवाना है। एक ऐसा घर जहाँ उनका परिवार सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से रह सके, जहाँ उन्हें किराए के मकान की चिंता न हो और न ही किसी के ताने सुनने पड़ें। यह जीत उनके परिवार के लिए एक स्थायी ठिकाना और उज्ज्वल भविष्य की नींव रखेगी।
करोड़ों की जीत पर टैक्स का गणित
हालांकि 11 करोड़ रुपये की यह राशि सुनने में बहुत बड़ी लगती है, लेकिन लॉटरी जीतने पर भारत सरकार के नियमों के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिस्सा टैक्स के रूप में देना होता है। टैक्स जानकारों के अनुसार, लॉटरी पुरस्कार पर लगभग 30 से 33 प्रतिशत तक टैक्स लगता है। इस हिसाब से, अमित सेहरा को अपनी 11 करोड़ रुपये की जीत पर करीब तीन से साढ़े तीन करोड़ रुपये का टैक्स भुगतान करना पड़ सकता है और यह राशि सीधे विजेता की कुल राशि से काट ली जाती है। टैक्स के भुगतान के बाद भी, अमित के पास एक बड़ी राशि बचेगी, जो उनके। और उनके परिवार के लिए एक आरामदायक और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त होगी। यह उन्हें अपने सपनों को पूरा करने और एक नई शुरुआत करने का अवसर देगी।
एक नई सुबह की शुरुआत
अमित सेहरा की यह कहानी सिर्फ एक लॉटरी जीतने वाले की कहानी नहीं है, बल्कि यह दृढ़ता, आशा और किस्मत के अप्रत्याशित मोड़ की कहानी है। यह दर्शाती है कि जीवन में कब और कैसे करवट आती है, यह कोई नहीं जानता। एक साधारण सब्जी विक्रेता से 11 करोड़ रुपये के मालिक बनने तक का उनका सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और यह जीत उनके परिवार के लिए एक नई सुबह लेकर आई है, जहाँ गरीबी और संघर्षों की जगह अब खुशहाली और सपनों को पूरा करने की उम्मीद है।