- भारत,
- 18-Aug-2025 08:40 AM IST
Vice President Election: रविवार को आयोजित एनडीए की बैठक में सी पी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इसकी आधिकारिक घोषणा की। आइए, जानते हैं कि कौन हैं सी पी राधाकृष्णन, जिन्हें एनडीए ने इस प्रतिष्ठित पद के लिए चुना है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सी पी राधाकृष्णन, जिनका पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है, का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ। उन्होंने कोयंबटूर के चिदंबरम कॉलेज से व्यवसाय प्रशासन में स्नातक (बी.बी.ए.) की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक यात्रा
राधाकृष्णन दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे वरिष्ठ और सम्मानित नेताओं में से एक हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत महज 16 वर्ष की आयु में 1973 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ने के साथ हुई। बाद में वे जनसंघ के माध्यम से सक्रिय राजनीति में शामिल हुए।
संसद में योगदान
1998 और 1999: कोयंबटूर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।
संसद में वस्त्र उद्योग पर स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे।
विभिन्न वित्तीय और सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़ी समितियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संगठन में भूमिका
2003-2006: तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष रहे।
वर्तमान में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं।
केरल के लिए पार्टी के प्रभारी के रूप में भी कार्य किया।
2016-2019: अखिल भारतीय कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
महाराष्ट्र: 31 जुलाई 2024 से वर्तमान तक राज्यपाल।
झारखंड: 18 फरवरी 2023 से 30 जुलाई 2024 तक राज्यपाल।
तेलंगाना: मार्च से जुलाई 2024 तक अतिरिक्त प्रभार।
पुदुच्चेरी: मार्च से अगस्त 2024 तक उपराज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार)।
उल्लेखनीय पहल
राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण पहल कीं:
2004-2007: तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के रूप में 93 दिनों की रथ यात्रा का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य था:
नदियों को आपस में जोड़ना।
आतंकवाद का विरोध।
अस्पृश्यता (अछूत प्रथा) का उन्मूलन।
दक्षिण भारत में बीजेपी संगठन को तमिलनाडु, केरल और अन्य राज्यों में मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दक्षिण भारत में बीजेपी का चेहरा
सी पी राधाकृष्णन को दक्षिण भारत में बीजेपी का प्रमुख चेहरा माना जाता है। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में पार्टी के संगठन को मजबूत करने में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है। कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रहने के अलावा, उन्होंने 2004, 2012 और 2019 के चुनावों में भी इस सीट से भाग्य आजमाया, हालांकि इनमें उन्हें सफलता नहीं मिली।
