Reserve Bank Of India / लोन होगा सस्ता, 5 साल बाद RBI ने रेपो रेट में की 0.25% की कटौती, घट जाएंगी EMI

भारतीय रिजर्व बैंक ने 56 महीनों बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर इसे 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया। इससे होम और कार लोन सस्ते होंगे, जिससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली मौद्रिक नीति बैठक में यह निर्णय लिया गया।

Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की। इस निर्णय के बाद रेपो दर 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत हो गई है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। यह कटौती लगभग 56 महीनों के बाद की गई है, जिससे होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है।

रेपो रेट कटौती का प्रभाव

इस कटौती से सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जिन्होंने होम लोन या अन्य प्रकार के ऋण ले रखे हैं। बैंक अब सस्ते दरों पर लोन प्रदान कर सकेंगे, जिससे आम जनता की मासिक ईएमआई का बोझ हल्का होगा। इससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि कम ब्याज दरें अधिक लोगों को लोन लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।

56 महीने बाद आई राहत

आरबीआई ने इससे पहले मई 2020 में ब्याज दरों में कटौती की थी, जब कोविड-19 के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। उस समय, आरबीआई ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की कटौती की थी ताकि अर्थव्यवस्था को सहारा दिया जा सके। इसके बाद फरवरी 2023 में ब्याज दरों में मामूली वृद्धि की गई थी, लेकिन उसके बाद से किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ था।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली बड़ी घोषणा

यह निर्णय आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में लिया गया। उन्होंने इस फैसले के माध्यम से आम जनता को राहत दी है, जिसे सरकार और उद्योग जगत से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।

सरकार और आम जनता की लंबे समय से मांग

बीते कुछ महीनों से ब्याज दरों में कटौती की मांग लगातार बढ़ रही थी। सरकार पर भी इस दिशा में दबाव था, ताकि आर्थिक गतिविधियों को और अधिक प्रोत्साहन मिल सके। अब इस कटौती से बाजारों में नकदी प्रवाह बढ़ेगा, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश में वृद्धि होगी।

भविष्य की संभावनाएं

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महंगाई दर नियंत्रित रहती है, तो आने वाले महीनों में आरबीआई और कटौती कर सकता है। इससे आगे भी लोन ईएमआई कम होने की संभावना बनी रहेगी। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक की नीति का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए आर्थिक विकास को बनाए रखना है।

निष्कर्ष

आरबीआई के इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आम जनता को वित्तीय राहत का अनुभव होगा। ब्याज दरों में कटौती से न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि विभिन्न उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह निर्णय भविष्य की आर्थिक नीतियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो देश के आर्थिक विकास को गति देगा।