India Forex Reserve / देश के विदेशी मुद्रा भंडार को लगा चौथा झटका, पांच हफ्तों में $14.18 अरब की गिरावट

बीते पांच हफ्तों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में चौथी बार गिरावट दर्ज की गई है। 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.47 अरब डॉलर घटकर 688.10 अरब डॉलर पर आ गया। 17 अक्टूबर से अब तक कुल 14.18 अरब डॉलर की कमी आई है, जिसका मुख्य कारण गोल्ड रिजर्व में गिरावट है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले पांच हफ्तों में चौथी बार गिरावट दर्ज की गई है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4. 47 अरब डॉलर घटकर 688. 10 अरब डॉलर पर आ गया। यह गिरावट मुख्य रूप से देश के गोल्ड रिजर्व के मूल्य में भारी कमी के कारण हुई है। इससे पहले, 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का फॉरेक्स रिजर्व 702 और 28 अरब डॉलर पर था, और तब से अब तक इसमें कुल 14. 18 अरब डॉलर की महत्वपूर्ण गिरावट देखी जा चुकी है। यह प्रवृत्ति भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले लगातार 89 या उससे ऊपर बने रहने के प्रभाव को भी दर्शाती है, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है।

नवीनतम आंकड़े: 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह की स्थिति

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4. 47 अरब डॉलर की कमी के साथ 688. 10 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह गिरावट पिछले सप्ताह हुई 5 और 54 अरब डॉलर की वृद्धि के बाद आई है, जब भंडार 692. 58 अरब डॉलर हो गया था। यह उतार-चढ़ाव वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू मुद्रा बाजार में डॉलर की मांग को दर्शाता है और विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी देश की बाहरी भुगतान क्षमता और वित्तीय स्थिरता पर संभावित दबाव डाल सकती है, हालांकि मौजूदा स्तर अभी भी काफी मजबूत माने जाते हैं और देश की आयात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।

फॉरेन करेंसी असेट्स (FCA) में कमी

विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख घटक, फॉरेन करेंसी असेट्स (FCA) में भी इस सप्ताह गिरावट दर्ज की गई। 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह में FCA 1. 69 अरब डॉलर घटकर 560 और 6 अरब डॉलर रह गईं। डॉलर के संदर्भ में व्यक्त की जाने वाली इन असेट्स में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या गिरावट का प्रभाव शामिल होता है, जिन्हें विदेशी मुद्रा भंडार में रखा जाता है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो अन्य मुद्राओं में रखी गई असेट्स का डॉलर मूल्य कम हो जाता है, जिससे FCA में गिरावट आ सकती है। यह गिरावट वैश्विक मुद्रा बाजारों में डॉलर की मजबूती और अन्य प्रमुख मुद्राओं के कमजोर पड़ने का संकेत देती है, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्यांकन को प्रभावित करती है।

गोल्ड रिजर्व में भारी गिरावट और RBI की रणनीति

सप्ताह के दौरान सबसे बड़ी गिरावट स्वर्ण भंडार के मूल्य में देखी गई, जो 2. 67 अरब डॉलर घटकर 104. 18 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि कुछ हफ्तों पहले ही देश का गोल्ड रिजर्व आरबीआई के पास रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और मौजूदा वित्त वर्ष में, आरबीआई ने सोने की काफी खरीदारी की है और गोल्ड रिजर्व पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है ताकि इसे और मजबूत किया जा सके। सोने के मूल्य में यह कमी वैश्विक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव या आरबीआई द्वारा सोने की कुछ बिक्री के कारण हो सकती है, हालांकि स्रोत में इसका स्पष्टीकरण नहीं है और यह गिरावट आरबीआई की सोने की खरीदारी की रणनीति के बावजूद हुई है, जो बाजार की अस्थिरता को उजागर करती है और सोने के मूल्य में अचानक परिवर्तन के प्रभावों को दर्शाती है।

विशेष आहरण अधिकार (SDR) और IMF में आरक्षित भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार के अन्य घटकों में भी कमी आई है और विशेष आहरण अधिकार (SDR), जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा बनाए गए एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति हैं और सदस्य देशों के आधिकारिक भंडार को पूरक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, 8. 4 करोड़ डॉलर घटकर 18. 57 अरब डॉलर रह गए और इसी तरह, IMF में भारत का आरक्षित भंडार भी 2. 3 करोड़ डॉलर घटकर 4. 76 अरब डॉलर रहा। ये घटक देश की अंतरराष्ट्रीय तरलता और IMF के साथ उसके संबंधों को दर्शाते हैं। इन दोनों में गिरावट वैश्विक वित्तीय प्रणाली में कुछ समायोजन या भारत द्वारा IMF से कुछ आहरण का। संकेत दे सकती है, हालांकि यह गिरावट अपेक्षाकृत छोटी है और कुल भंडार पर इसका प्रभाव सीमित है।

रुपये पर डॉलर का दबाव

पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी देखने को मिली थी, लेकिन इस हफ्ते देश की करेंसी लगातार डॉलर के मुकाबले में 89 और उससे ऊपर ही देखने को मिली है और रुपये की यह कमजोरी विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालती है क्योंकि आरबीआई को रुपये को स्थिर करने के लिए डॉलर बेचने पड़ सकते हैं, जिससे भंडार में कमी आती है। डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना आयात को महंगा बनाता है और देश के व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा की मांग और बढ़ सकती है। यह स्थिति केंद्रीय बैंक के लिए एक चुनौती पेश करती है, जिसे मुद्रा स्थिरता और भंडार प्रबंधन के बीच संतुलन बनाना होता है ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।

पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि: एक तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य

जहां भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी गई है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 90 लाख डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे यह 14. 56 अरब डॉलर तक पहुंच गया। केंद्रीय बैंक के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों के पास वर्तमान में 5 और 04 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे पाकिस्तान का कुल तरल भंडार बढ़कर 19. 61 अरब डॉलर हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि छोटे-छोटे साप्ताहिक सुधार भी बाहरी भुगतान दबावों को कम करने और बेहतर वित्तीय स्थिरता में योगदान देने में मदद करते हैं। नियमित निवेश पाकिस्तान के आर्थिक दृष्टिकोण को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों का समर्थन करता है और यह वृद्धि पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो उसकी आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है और देश के लिए एक राहत की खबर है।