Mamta Kulkarni: पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े में अपने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। यह निर्णय उन्होंने किन्नर अखाड़े में उनके पद को लेकर हो रहे भारी विरोध के बाद लिया। उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपने इस्तीफे की घोषणा की।
विवाद की जड़
ममता कुलकर्णी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 10 करोड़ रुपये देकर यह पद प्राप्त किया था। इसी कारण अखाड़े में ही उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। कई संतों और अखाड़े से जुड़े लोगों ने उनके पद से हटाए जाने की मांग उठाई थी। हालांकि, इससे पहले कि कोई आधिकारिक निर्णय लिया जाता, ममता कुलकर्णी ने स्वयं अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया।
वीडियो संदेश में ममता का बयान
अपने वीडियो संदेश में ममता कुलकर्णी ने कहा,
"मैं महामंडलेश्वर यमाई माता गिरि के पद से इस्तीफा दे रही हूं। अखाड़े में मुझे महामंडलेश्वर घोषित किए जाने को लेकर दिक्कतें हो रही हैं। मैं 25 वर्षों से साध्वी रही हूं और आगे भी साध्वी ही बनी रहूंगी।" उन्होंने यह भी बताया कि उनके सम्मान दिए जाने से कुछ लोगों को आपत्ति थी।
बॉलीवुड से संन्यास तक का सफर
ममता कुलकर्णी ने यह भी कहा कि उन्होंने 25 साल पहले बॉलीवुड छोड़ दिया था और फिर दुनिया से दूर हो गईं। उन्होंने कहा,
"जब मैंने बॉलीवुड छोड़ा, तो मेरे पास कई फिल्में थीं, लेकिन मैंने खुद को ग्लैमर की दुनिया से अलग कर लिया। वरना बॉलीवुड और मेकअप से इतना दूर कौन रहता है?"भारत वापसी और संन्यास ग्रहण
बॉलीवुड छोड़ने के बाद ममता कुलकर्णी दुबई में रह रही थीं। लगभग 25 वर्षों तक भारत से दूर रहने के बाद, पिछले साल के अंत में वह भारत लौटीं। नए साल की शुरुआत में उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा की और प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े से दीक्षा ली। इसके बाद महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पिंडदान और पट्टाभिषेक किया, और उन्हें महामंडलेश्वर का पद प्रदान किया गया।हालांकि, यह नियुक्ति विवादों में आ गई और कुछ ही दिनों में उनके खिलाफ विरोध शुरू हो गया। इसी के चलते अब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया।
निष्कर्ष
ममता कुलकर्णी का यह निर्णय दर्शाता है कि धार्मिक अखाड़ों में पद ग्रहण करने की प्रक्रिया कितनी जटिल और विवादास्पद हो सकती है। उनका संन्यास लेना और फिर महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा देना निश्चित रूप से सनातन धर्म और अखाड़ा प्रणाली से जुड़े कई पहलुओं को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आगे अपने आध्यात्मिक जीवन को किस दिशा में ले जाती हैं।