देश / लद्दाख पर सीमा विवाद से निपटने के लिए मनमोहन सिंह के बनाए मैकनिज्म से निकलेगा हल

News18 : May 27, 2020, 09:12 AM
लद्दाख। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) यानी LAC के आसपास चीन (China) और भारतीय सेना (Indian Army) के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत में भी हालात से निपटने की तैयारियां शुरू हो गईं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुख शामिल हुए। इस बीच जानकारों का मानना है कि इस स्थिति में भारत और चीन दोनों को वर्किंग मैकनिज्म (WMCC) पर काम करने की जरूरत है, जिसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह ने साल 2012 के कार्यकाल के दौरान की थी। इस पर बीजिंग में तत्कालीन भारतीय राजदूत एस जयशंकर ने भी साइन किए थे।

भारत और चीन के बीच सीमा विवादों को सुलझाने के लिए वर्किंग मैकनिज्म फॉर कंस्लटेशन एंड को-ऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (WMCC) की जनवरी 2012 में स्थापित की गई थी। तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन और उनके चीनी समकक्ष दाई बिंगुओ के बीच हुई सीमा वार्ता के बाद इसपर सहमति बनी थी। दोनों देशों के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। वर्तमान में ये जिम्मेदारी NSA अजीत डोभाल के पास है।

हालांकि, विदेश मंत्रालय (MEA) में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) नवीन श्रीवास्तव भारतीय पक्ष का नेतृत्व करते हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व हांगकांग लिआंग, महानिदेशक (सीमा और महासागरीय मामलों का विभाग) कर रहे हैं। साल 2012 के बाद से इन अधिकारियों के बीच महज 14 मीटिंग हुई। आखिरी बैठक बीते साल जुलाई में हुई थी।

पिछली बैठक में प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिए दोनों देशों ने सीमा क्षेत्रों में स्थिति की समीक्षा की थी। इस संबंध में उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए WMCC ढांचे के तहत सैनिकों और राजनयिक स्तरों पर नियमित आदान-प्रदान पर भी ध्यान दिया था।

मौजूदा स्थिति में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) नवीन श्रीवास्तव को कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का नेतृत्व करने के लिए कहा जा सकता है, क्योंकि WMCC की आइडियोलॉजी साफ है- 'सीमा की स्थिति पर समय पर सूचना देना और उचित रूप से सीमा की घटनाओं को संभालना।'

डोकलाम के बाद हो सकता है सबसे बड़ा टकराव

पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। इन दोनों इलाकों में चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है। ऐसे में भारत ने भी इन इलाकों में सैनिक बढ़ा दिए हैं। अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं, तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा।

भारत-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। आखिर में दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।

क्या कहते हैं अधिकारी?

भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि दोनों इलाकों में हमारी क्षमताएं चीन से बेहतर हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि भारतीय पोस्ट केएम120 और गालवान वैली समेत कई अहम पॉइंट्स के आसपास चीन के सैनिक मौजूद हैं। नॉर्दन आर्मी के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हुड्डा का कहना है कि चीन की ये हरकत सामान्य बात नहीं है, जबकि गालवान जैसे इलाकों में भारत-चीन के बीच कोई विवाद भी नहीं है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER