- भारत,
- 16-Jun-2025 03:20 PM IST
Iran Israel Conflict: ईरान और इजराइल के बीच जारी सैन्य संघर्ष ने पश्चिम एशिया को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया है। इस बढ़ते तनाव के बीच सबसे ज्यादा चिंता उन भारतीय छात्रों को लेकर है जो वर्तमान में ईरान में पढ़ाई कर रहे हैं, खासकर जम्मू-कश्मीर के छात्र। 1300 से अधिक कश्मीरी छात्र इस समय ईरान के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और अब उनकी जान को गंभीर खतरा बना हुआ है।
डरे-सहमे छात्र, बेबस माता-पिता
ईरान के कई शहरों में इजराइली हवाई हमलों और ईरानी जवाबी मिसाइल हमलों की खबरों ने छात्रों के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (JKSA) ने इस स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। JKSA ने कहा कि छात्रों को एक सक्रिय सैन्य क्षेत्र के बीच फंसा हुआ महसूस हो रहा है, जहां एयर स्ट्राइक के सायरन, विस्फोटों की आवाजें और सैन्य वाहनों की हलचल आम हो गई है।
JKSA के अनुसार, कई छात्र ऐसे संस्थानों में पढ़ रहे हैं जो संवेदनशील सैन्य ठिकानों के नजदीक स्थित हैं। इससे उनका डर और बढ़ गया है। बीती रात तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के इंटरनेशनल हॉस्टल के पास हुए एक हमले में दो कश्मीरी छात्र घायल हो गए। हालांकि, दोनों अब खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।
मानसिक तनाव और असुरक्षा का माहौल
छात्रों के परिजन भारत में बेहद चिंतित हैं। कुछ माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे भारी मानसिक दबाव में हैं और लगातार किसी अनहोनी की आशंका से घिरे हुए हैं। कुछ छात्रों ने सायरनों की आवाज, आस-पास के इलाकों में विस्फोट, और पलायन करते स्थानीय लोगों की घटनाएं साझा की हैं।
एक छात्रा की मां ने मीडिया को बताया, “मेरी बेटी तीसरे वर्ष में है। वह सुरक्षित रहने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब वह पूरी तरह सदमे में है। स्थानीय लोग भी अपना सामान समेट कर भाग रहे हैं। दूतावास से कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही है।”
राजनीतिक अपील और सरकार से अपेक्षा
इस मामले में आरजेडी नेता मनोज झा ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार छात्रों और अन्य भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और निकासी को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी।
समय पर कदम उठाना जरूरी
ईरान-इजराइल के बीच बढ़ती लड़ाई के कारण फंसे हुए भारतीय छात्रों, खासकर कश्मीरी छात्रों के हालात चिंताजनक हैं। उनके पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही सुरक्षित विकल्प। ऐसे में सरकार से अपील है कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए जल्द से जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाए और इन छात्रों को सुरक्षित भारत लाया जाए।