Vikrant Shekhawat : Jan 16, 2020, 05:35 PM
नारायणा जो पहले ग्राम पंचायत थी फिर नगर पालिका बनी और फिर ग्राम पंचायत...... अब फिर एक बार पंचायत चुनाव करीब आ गया है तो लोगो को अपने कस्बे के विकास की चिंता सताने लगी है... नारायणा जो प्रदेश की बड़ी पंचायतों में से एक है लेकिन अभी भी ये नगर पालिका नही बन पाई है..... इसमें कुसूर किसका है ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा क्यों कि यहां के स्थानीय निवासी खुद दो फाड़ में बटे हैं एक पक्ष तो चाहता है कि नारायणा में नगर पालिका बनाई जाये ताकी उसका विकास बेहतर तरीकी से हो सके तो वही दूसरा पक्ष इसका विरोध करता है उसका कहना है कि अगर नगर पालिका बनी तो गांव को ग्राम पंचायत के तोर पर मिलने वाली सहुलियतें घट जायेंगी...नरायणा जो अभी तक पंचायत समिती दूदू में आता था वो इस बार पंचायत समिती सांम्भर में शामिल हो गया है... और अगर नारायणा में विकास की बात की जाये तो बड़ी आबादी होने के बावजूद विकास के नाम पर यहां कुछ नहीं किया गया है इतनी बड़ी आबादी में जो सहुलियते नारायणा को मिलनी चाहिये थी वो शायद अभी भी इससे कोसों दूर है... सड़क, पानी और साफ सफाइ जैसी समस्याओं के मुद्दे वाले इस चुनाव में एक ऐसे प्रत्याशी को चुनकर मतदाता कुर्सी पर बैठाना चाहता है जो इनकी समस्याओं को सुनकर उसे हल करे...
नरायणा में इस बार सामान्य महिला सीट है जिसमें सभी समाज की महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ सकेंगी.... लेकिन गांव वाले एक ऐसी महिला को सरपंच बनाना चाहते हैं जों खुद बाहर निकल कर गांव वालों की समस्या को सुने समक्षे और उन समस्याओं का समाधान करे... अक्सर शिकायत रहती है कि महिला सिट से जीतकर आने वाली महिला खुद लोगों के बीच उनकी समस्याऐं सुनने नहीं जाती और उनके पति ही सारा काम सम्भालते हैं.....
नरायणा में भले चुनाव गांव की सरकार बनाने का चल रहा हो लेकिन लेकिन इस चुनाव में भी राजनिती साफ देखी जा सकती है....और अगर पंचायत जैसे चुनावों में राजनीति होने लगे तो ये समक्ष लेना चाहिए की इस बार भी मतदाता अपने स्थनीय मुद्दों से हटकर वोट करने वाले है.....क्योंकि पंचायत चुनाव एक ऐसा चुनाव है जिसमें पार्टियों का डायरेक्ट कोइ दखल नही होता इसके बावजूद यहां आम जनता के बीच राजनीति साफ दिखाई देती है.....
नरायणा में इस बार सामान्य महिला सीट है जिसमें सभी समाज की महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ सकेंगी.... लेकिन गांव वाले एक ऐसी महिला को सरपंच बनाना चाहते हैं जों खुद बाहर निकल कर गांव वालों की समस्या को सुने समक्षे और उन समस्याओं का समाधान करे... अक्सर शिकायत रहती है कि महिला सिट से जीतकर आने वाली महिला खुद लोगों के बीच उनकी समस्याऐं सुनने नहीं जाती और उनके पति ही सारा काम सम्भालते हैं.....
नरायणा में भले चुनाव गांव की सरकार बनाने का चल रहा हो लेकिन लेकिन इस चुनाव में भी राजनिती साफ देखी जा सकती है....और अगर पंचायत जैसे चुनावों में राजनीति होने लगे तो ये समक्ष लेना चाहिए की इस बार भी मतदाता अपने स्थनीय मुद्दों से हटकर वोट करने वाले है.....क्योंकि पंचायत चुनाव एक ऐसा चुनाव है जिसमें पार्टियों का डायरेक्ट कोइ दखल नही होता इसके बावजूद यहां आम जनता के बीच राजनीति साफ दिखाई देती है.....