Asim Munir News / ऑपरेशन सिंदूर के बाद आसिम मुनीर का अजीब बयान: 'अल्लाह की मदद' से मिली जीत

पाकिस्तानी जनरल आसिम मुनीर ने दावा किया है कि मई में भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को 'अल्लाह की मदद' मिली थी। उन्होंने इस्लामाबाद में नेशनल उलेमा कॉन्फ्रेंस में यह बयान दिया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई भीषण लड़ाई का जिक्र किया गया। मुनीर ने पाकिस्तान को इस्लामी दुनिया में विशेष दर्जा भी दिया।

पाकिस्तान के रक्षा बलों के प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने हाल ही में। एक ऐसा बयान दिया है जिसने भारत और पाकिस्तान दोनों में हलचल मचा दी है। मुनीर ने दावा किया है कि मई में भारत के साथ। हुए सैन्य टकराव के दौरान पाकिस्तान को 'अल्लाह की मदद' मिली थी। उन्होंने इस्लामाबाद में आयोजित नेशनल उलेमा कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही। उनके अनुसार, भारतीय हमलों के बाद हुई भीषण लड़ाई के दिनों में इस 'रूहानी मदद' को स्पष्ट रूप से महसूस किया गया था। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव अक्सर सुर्खियों में रहता है, और एक शीर्ष सैन्य अधिकारी द्वारा इस तरह का दावा करना कई सवाल खड़े करता है।

ऑपरेशन सिंदूर और उसका प्रभाव

मुनीर ने जिस सैन्य संघर्ष का जिक्र किया, वह 7 मई को भारत की ओर से लॉन्च किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद हुआ था और यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बदले में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य मकसद पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था और इस ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीखी झड़पें हुईं, जिससे सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था। मुनीर ने अपने भाषण में कहा, "हमने इसे (रूहानी मदद) महसूस किया," यह दर्शाता है। कि पाकिस्तानी नेतृत्व का मानना है कि उन्हें उस कठिन समय में अलौकिक सहायता मिली थी।

इस्लामी दुनिया में पाकिस्तान की विशेष स्थिति

अपने संबोधन में, आसिम मुनीर ने केवल सैन्य संघर्ष तक ही अपनी बात सीमित नहीं रखी। उन्होंने आज के पाकिस्तान और लगभग 1,400 साल पहले अरब क्षेत्र में पैगंबर द्वारा स्थापित इस्लामी राज्य के बीच एक तुलना भी की। मुनीर ने कुरान की कई आयतों का हवाला दिया और जिसे उन्होंने इस्लामी दुनिया में पाकिस्तान की एक विशेष और अद्वितीय स्थिति बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में 57 इस्लामी देश हैं, लेकिन अल्लाह ने पाकिस्तान को एक अनोखा सम्मान दिया है। यह बयान पाकिस्तान की धार्मिक और भू-राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का एक प्रयास प्रतीत होता है।

हरमैन शरीफैन के संरक्षक होने का दावा

मुनीर ने अपने भाषण में मक्का और मदीना का भी विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि "उनमें से, अल्लाह ने हमें हरमैन शरीफैन का संरक्षक होने का सम्मान दिया है। " यह दावा पाकिस्तान को इस्लामी दुनिया में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक भूमिका में स्थापित करने का प्रयास है, जो सऊदी अरब जैसे देशों के साथ उसके संबंधों और धार्मिक महत्व पर जोर देता है। इस तरह के बयान अक्सर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि। को मजबूत करने के लिए दिए जाते हैं, खासकर मुस्लिम देशों के बीच।

अफगानिस्तान और पश्चिमी सीमा पर चिंताएं

अपने भाषण के दौरान, मुनीर ने पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा चिंताओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) में से किसी एक को चुनना होगा और मुनीर ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाले अधिकांश आतंकवादी अफगान नागरिक हैं। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में आने वाले टीटीपी गुटों में 70 प्रतिशत अफगान हैं। " यह बयान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते सीमा पार तनाव और टीटीपी के खतरे को उजागर करता है।

जिहाद की घोषणा का अधिकार केवल राज्य को

आसिम मुनीर ने अपने भाषण में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और राजनीतिक बिंदु भी उठाया और उन्होंने कहा कि एक इस्लामी राज्य में, जिहाद का ऐलान करने का अधिकार केवल राज्य को ही है। यह बयान विभिन्न गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों द्वारा जिहाद के नाम पर की जाने वाली गतिविधियों को अस्वीकार करने और राज्य की संप्रभुता पर जोर देने के लिए महत्वपूर्ण है। यह पाकिस्तान की आधिकारिक स्थिति को दर्शाता है कि धार्मिक युद्ध की घोषणा केवल सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है, न कि किसी निजी समूह या व्यक्ति के।