राजस्थान की राजनीति में इन दिनों सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार के दो साल पूरे होने पर बहस छिड़ी हुई है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे को खुली बहस की चुनौती दे रहे हैं और यह राजनीतिक गहमागहमी राज्य के आगामी बजट सत्र को और भी दिलचस्प बना सकती है, क्योंकि नेता अपनी-अपनी सरकारों की उपलब्धियों और विपक्ष की विफलताओं को उजागर करने में लगे हैं।
डोटासरा की मुख्यमंत्री को चुनौती
इस राजनीतिक बहस की शुरुआत कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने की थी। पिछले सप्ताह शुक्रवार, 12 दिसंबर को डोटासरा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जयपुर के अल्बर्ट हॉल में खुली बहस की चुनौती दी थी। यह चुनौती भाजपा सरकार के इस दावे पर आधारित थी कि उसने अपने दो साल के कार्यकाल में 73% वादे पूरे कर लिए हैं। डोटासरा ने इस दावे की सत्यता पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से सार्वजनिक मंच पर। चर्चा करने का आह्वान किया था, ताकि जनता के सामने तथ्यों को रखा जा सके।
भाजपा की ओर से प्रारंभिक प्रतिक्रिया
डोटासरा के इस बयान पर भाजपा की ओर से तत्काल प्रतिक्रियाएं आईं। राजस्थान सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने डोटासरा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि डोटासरा मुख्यमंत्री से डिबेट करने के लायक नहीं हैं। वहीं, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने डोटासरा की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा था कि वह उनके साथ खुले मंच पर बहस के लिए तैयार हैं। इन प्रतिक्रियाओं ने दर्शाया कि भाजपा इस चुनौती को हल्के में नहीं ले रही थी और वह भी विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार थी।
राजेंद्र राठौड़ का डोटासरा को सीधा चैलेंज
इसी कड़ी में अब पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सीधी बहस की चुनौती दी है। राठौड़ ने आज, बुधवार को डूंगरपुर जिले के दौरे पर मीडिया से बात करते हुए यह चुनौती पेश की। इस दौरान उनके साथ पूर्व मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालविया और भाजपा के प्रदेश महामंत्री मिथलेश गौतम भी मौजूद थे। राठौड़ ने राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के साथ-साथ कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) पर भी जमकर निशाना साधा, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया।
विधानसभा में दो दिन की बहस का प्रस्ताव
राजेंद्र राठौड़ ने डोटासरा को विधानसभा में खुली बहस के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस पार्टी को चुनौती देता हूं। फरवरी में बजट सत्र शुरू होगा। वे सिर्फ़ दो दिन के लिए बहस कर लें। बीजेपी के 2 साल बनाम कांग्रेस के 5 साल। " राठौड़ ने भाजपा द्वारा जारी एक खुले विज्ञापन 'तब और अब' का भी जिक्र किया, जिसमें दोनों सरकारों के काम के आंकड़े बताए गए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से इन आंकड़ों के आधार पर जनता को यह बताने का आह्वान किया कि भाजपा। द्वारा दिए गए आंकड़ों में कोई गलती है, जिससे बहस का आधार ठोस तथ्यों पर केंद्रित हो सके।
अशोक गहलोत सरकार पर निशाना
राठौड़ ने इस अवसर पर पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार अपने कामों का हर साल हिसाब। देती है, जबकि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार अंतिम साल में ही हिसाब देती थी। राठौड़ ने दावा किया कि कांग्रेस 5 साल के शासन में जो काम नहीं कर सकी, वो काम भाजपा की भजनलाल सरकार ने 2 साल में ही कर दिखाए हैं और यह तुलना भाजपा की कार्यप्रणाली को कांग्रेस से बेहतर साबित करने का एक प्रयास था।
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) पर तीखा हमला
राजेंद्र राठौड़ ने भारत आदिवासी पार्टी (BAP) पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएपी आदिवासी क्षेत्र में अराजकता फैलाने का काम कर रही है। राठौड़ ने कहा कि बीएपी ने पहले जाति के नाम पर वोट मांगे और जीतने के बाद उनके बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल प्रश्न पूछने के लिए रंगे हाथों पकड़े गए और उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि बीएपी के सांसद इस पर कार्रवाई करने के बजाय कहते हैं कि ऐसा तो होना चाहिए। यह आरोप बीएपी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
युवाओं को गुमराह करने का आरोप और बीएपी के दिन लदने की बात
राठौड़ ने आगे कहा कि बीएपी केवल यहां के युवाओं को गुमराह करने का काम कर रही है, जबकि भाजपा की सरकार ने आदिवासियों और इस क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। उन्होंने दावा किया कि बीएपी की कलई अब धीरे-धीरे खुल रही है और जल्द ही बीएपी के दिन लदने वाले हैं। यह बयान बीएपी के जनाधार को कमजोर करने और भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। राजस्थान की राजनीति में यह बढ़ती बयानबाजी आगामी विधानसभा सत्र। को निश्चित रूप से एक गरमागरम बहस का अखाड़ा बना देगी।