- भारत,
- 18-May-2025 10:30 PM IST
India-Pakistan War: 7 मई 2025 की सुबह भारतीय सैन्य इतिहास में एक नई मिसाल बन गई जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी व सैन्य ठिकानों पर निर्णायक प्रहार किए। यह कार्रवाई न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतिबिंब थी, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में एक सशक्त संदेश भी था।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के अड्डों का सफाया
ऑपरेशन सिंदूर, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई व्यापक तैयारी और सैन्य समन्वय के तहत इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। भारतीय वायुसेना ने रहीम यार खान के सैन्य हवाई अड्डों, रडार प्रणालियों और आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों को निशाना बनाते हुए भारी नुकसान पहुंचाया। सेना के अनुसार, ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे संगठनों के 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया।
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और भारत की रक्षा
पाकिस्तान ने 8 से 10 मई तक भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की। हालांकि, भारतीय सेना की ‘आकाश तीर’ वायु रक्षा प्रणाली ने दुश्मन के मंसूबों को नाकाम कर दिया। भारतीय सेना की सतर्कता और तैयारियों ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि आक्रामक रणनीति के तहत आतंक के स्रोत पर ही प्रहार करता है।
चीन की चौखट पर पस्त पाकिस्तान
भारत द्वारा किए गए इस सटीक और प्रभावी सैन्य अभियान के बाद पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह कमजोर हुई है। इस स्थिति में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार अब चीन के दौरे पर जा रहे हैं, जहां वह अपने चीनी समकक्ष वांग यी से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह दौरा रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, डार अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से भी मुलाकात करेंगे। इन तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और भारत-पाक संघर्ष के पश्चात बने हालातों पर चर्चा की जाएगी।
चीन की भूमिका: एक रणनीतिक समीकरण
चीन ने हालिया संघर्ष के बाद भारत-पाक के बीच संघर्षविराम की सराहना की है, लेकिन उसका पाकिस्तान को समर्थन देना कोई नई बात नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान अब एक बार फिर आर्थिक सहायता, कर्ज राहत और सैन्य सहयोग के लिए चीन की ओर देख रहा है। यह स्थिति पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके अलग-थलग पड़ने को दर्शाती है।
पाकिस्तान की कूटनीतिक चुनौतियाँ
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पाकिस्तान को सैन्य रूप से झटका दिया है, बल्कि उसकी विदेश नीति और रणनीतिक सोच पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत की सख्त प्रतिक्रिया और वैश्विक मंचों पर उसकी मजबूत स्थिति ने पाकिस्तान को मजबूर कर दिया है कि वह अब किसी ‘ताकतवर दोस्त’ की शरण में जाए। चीन की चौखट पर इशाक डार का झुकना उसी हताशा की निशानी है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान चीन से वह समर्थन हासिल कर पाएगा जिसकी उसे सख्त ज़रूरत है, या फिर ऑपरेशन सिंदूर की गूंज से उसकी रणनीतिक दिशा ही बदल जाएगी।