- भारत,
- 25-Jul-2025 04:40 PM IST
Operation Sindoor: संसद का मानसून सत्र 2025 अपने चरम पर है, लेकिन यह सत्र अब तक हंगामे और विपक्ष के विरोध के कारण चर्चा में रहा है। विपक्षी दलों की नारेबाजी और विरोध के चलते सत्र को बार-बार स्थगित करना पड़ा। इस बीच, सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उठे सवालों का जवाब दिया, जिसने न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को उजागर किया, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव की स्थिति को भी सामने लाया।
ऑपरेशन सिंदूर: पृष्ठभूमि और उद्देश्य
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी। इस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया। सरकार ने राज्यसभा में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के सवाल के जवाब में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना और भारत में घुसपैठ की संभावना वाले आतंकवादियों को निष्क्रिय करना था।
सांसद सुमन ने पूछा था कि क्या ऑपरेशन सिंदूर अंतरराष्ट्रीय दबाव में शुरू किया गया था, और अचानक युद्धविराम की घोषणा का सेना के मनोबल और जनता की भावनाओं पर क्या प्रभाव पड़ा। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में शुरू किया गया था और यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव का परिणाम नहीं था।
भारत की टारगेटेड कार्रवाई और पाकिस्तान का जवाब
सरकार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक और नपी-तुली कार्रवाई की। इस दौरान पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसका भारतीय सशस्त्र बलों ने कड़ा जवाब दिया। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ।
10 मई 2025 को पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर गोलीबारी और सैन्य गतिविधियों को रोकने का अनुरोध किया। उसी दिन बाद में दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी, जिसके बाद सीजफायर की घोषणा की गई।
विपक्ष के सवाल और सरकार का जवाब
विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई सवाल उठाए। सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने युद्धविराम की अचानक घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय सेना महत्वपूर्ण सफलता हासिल कर रही थी, लेकिन युद्धविराम की घोषणा से सेना का मनोबल प्रभावित हुआ और यह देश की जनता की भावनाओं के विरुद्ध था। जवाब में सरकार ने कहा कि युद्धविराम का निर्णय दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए लिया गया। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तानी जनता के खिलाफ।
पहलगाम हमले का प्रभाव
पहलगाम हमला भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण बना। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए और कड़े कदम उठाने की बात कही। ऑपरेशन सिंदूर इसी दिशा में एक निर्णायक कदम था। इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा।
