- भारत,
- 24-Sep-2025 01:13 PM IST
Rahul Gandhi News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की ऐतिहासिक बैठक के लिए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पटना पहुंचे। इस दौरान पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने उनका जोरदार स्वागत किया। पप्पू यादव, जो हाल ही में महागठबंधन की 'वोटर अधिकार यात्रा' के पटना समापन में मंच पर जगह न मिलने के अपमान से गुजरे थे, ने इस अवसर पर अपनी नाराजगी को दरकिनार करते हुए राहुल गांधी का गर्मजोशी से अभिनंदन किया।
पप्पू यादव का आंबेडकर प्रतिमा भेंट
बुधवार को सामने आई तस्वीरों में पप्पू यादव को राहुल गांधी को डॉ. भीमराव आंबेडकर की एक प्रतिमा भेंट करते देखा गया। दोनों नेताओं के बीच सहज और सौहार्दपूर्ण माहौल साफ नजर आया। राहुल गांधी ने स्वागत करने वालों से हाथ मिलाया और इसके बाद सीधे सदाकत आश्रम के लिए रवाना हो गए, जहां CWC की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हो रही है। यह बैठक बिहार में 1940 के बाद पहली बार हो रही है, जिसे ऐतिहासिक माना जा रहा है।
CWC बैठक का महत्व
पप्पू यादव ने बैठक से पहले अपने बयान में कहा, "बिहार में कांग्रेस कार्यसमिति की ऐतिहासिक बैठक हो रही है। आजादी से पहले बिहार में देश को आजाद कराने के लिए CWC की बैठकें हुई थीं। अब यह बैठक देश को 'वोट चोरों' से आजाद कराने के लिए हो रही है। निश्चित तौर पर इसके बाद 'वोट चोरों भारत छोड़ो' का ऐलान होगा।" यह बयान बिहार की सियासत में एक नए दौर की शुरुआत का संकेत देता है।
पप्पू यादव और महागठबंधन का तनाव
गौरतलब है कि जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के 2024 में कांग्रेस में विलय के बावजूद पप्पू यादव को महागठबंधन के मंचों पर बार-बार दरकिनार किया गया है। 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में 'वोटर अधिकार यात्रा' के समापन के दौरान उन्हें मंच पर जगह नहीं दी गई थी। वह सड़क पर कुर्सी डालकर भाषण सुनते नजर आए, जबकि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मंच पर मौजूद थे। इसके अलावा, 9 जुलाई को बिहार बंद के दौरान भी सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें राहुल और तेजस्वी के वाहन पर चढ़ने से रोका था। इन घटनाओं ने पप्पू यादव के समर्थकों में नाराजगी पैदा की थी।
पप्पू यादव का सकारात्मक रवैया
इन तमाम विवादों के बावजूद पप्पू यादव ने राहुल गांधी के प्रति अपनी निष्ठा और समर्थन को बार-बार जाहिर किया है। बुधवार को भी वह मुस्कुराते हुए राहुल गांधी का स्वागत करते नजर आए। उनकी यह सकारात्मकता और समर्पण बिहार की सियासत में एक नई कहानी लिखने की ओर इशारा करता है।
