नई दिल्ली / मोदी को सुनने अमेरिका के 48 राज्यों से लोग आएंगे, कार्यक्रम का खर्च भारतीय समुदाय खुद उठा रहा

Dainik Bhaskar : Sep 20, 2019, 08:19 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी' कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इसके लिए दो हफ्ते पहले ही रजिस्ट्रेशन पूरे हो गए थे। भारतीय अमेरिकी समुदाय के 50 हजार से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। टेक्सास फोरम इंडिया के नेतृत्व में अमेरिका के 33 राज्यों के 600 से ज्यादा भारतीय समुदाय के संगठन मिलकर यह कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। अमेरिका के 48 राज्यों से प्रवासी भारतीय ह्यूस्टन पहुंचेंगे। भास्कर एप ने इस कार्यक्रम की तैयारी को लेकर टेक्सास इंडिया फोरम के प्रवक्ता गीतेश देसाई और प्रधानमंत्री मोदी के लिए विदेशों में आयोजनों का प्रबंध देखने वाले भाजपा के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाले से बातचीत की।
ह्यूस्टन के भारतीय समुदाय ने मोदी को आमंत्रण भेजा था
देसाई बताते हैं कि जब ह्यूस्टन में रहने वाले भारतीय अमेरिकी समुदाय को पता चला कि प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने न्यूयॉर्क आ रहे हैं तो समुदाय ने मोदी को ह्यूस्टन आने के लिए आमंत्रित किया। हमने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे अपने अमेरिकी दौरे के दौरान समय निकालकर ह्यूस्टन में रह रहे भारतीयों से भी मिलें।
अमेरिका में पिछले आयोजनों से यह तीन गुना बड़ा होगा 
विजय चौथाईवाले कहते हैं कि पिछले दोनों कार्यक्रमों के मुकाबले यह बहुत बड़ा आयोजन है। 2014 में मोदी ने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन और 2016 में सेन जोस सिलिकॉन वैली में हुए प्रोग्राम में करीब 18-18 हजार लोगों को संबोधित किया था। ह्यूस्टन में इनसे तीन गुना ज्यादा भीड़ होगी। पिछले कार्यक्रम इनडोर स्टेडियम में हुए थे। इस बार प्रोग्राम के लिए आउटडोर फुटबॉल स्टेडियम चुना गया है। फिर इस बार खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प इसमें आ रहे हैं, जो इसे अब तक के आयोजनों से सबसे अलग बना देता है।
तैयारी : 1100 से ज्यादा वॉलेंटियर रात-दिन जुटे
देसाई बताते हैं कि 1100 से ज्यादा वॉलेंटियर्स रात-दिन तैयारियों में जुटे हुए हैं। वॉलेंटियर्स में इस एतिहासिक कार्यक्रम के लिए जोश और उत्साह इस समय चरम पर है। मोदी को भारत के रिफॉर्मर और ट्रांसफार्मर के रूप में देखा जाता है, जिनकी नीतियां भारत के साथ-साथ ह्यूस्टन के आर्थिक विकास के लिए भी अच्छी हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए ह्यूस्टन शहर बेहद उत्साहित है।
उत्साह : भारतीय समुदाय अपने खर्च पर कर रहा आयोजन
चौथाईवाले बताते हैं कि मोदी की यहां बहुत लोकप्रियता है। दो हफ्ते पहले ही 50,000 रजिस्ट्रेशन होना, 50 में से 48 राज्यों से भारतीय समुदाय के लोगों का एक जगह एकत्रित होना, यह सब मोदी की लोकप्रियता के कारण ही हो पाया है। अमेरिका के अलग-अलग कोने में रहने वाले भारतीय समुदाय के संगठनों ने हाउडी मोदी कम्युनिटी बनाई और यही पूरा आयोजन अपने खर्च पर कर रही है। इसमें न भारत सरकार का कोई पैसा लगा है और न ही भाजपा ने पैसा दिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अमेरिका में मोदी कितने लोकप्रिय हैं। भारतीय समुदाय के अलावा अन्य अमेरिकियों के बीच भी मोदी खासे जाने जाते हैं। हम जब ह्यूस्टन में एक टैक्सी में बैठे और सामान्य बातचीत में टैक्सी ड्राइवर को पता चला कि हम इंडिया से हैं तो वह पीएम मोदी के बारे में बड़ी उत्सुकता से बातें करने लगा।
ह्यूस्टन ही क्यों? 
देसाई ने बताया कि अमेरिका के अन्य प्रांतों की तुलना में टेक्सास प्रांत में प्रवासी भारतीयों की तादाद अच्छी है। टेक्सास में भारतीय समुदाय के 5 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इसमें अकेले ह्यूस्टन में 1.5 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं। ह्यूस्टन को ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय राजधानी कहा जाता है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा मेडिकल सेंटर है। नासा का हेडक्वार्टर भी यहीं है। ये कुछ बातें हैं जो तेज विकास और आर्थिक तरक्की के लिए भारत के हित में हो सकती हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन आने का आमंत्रण स्वीकार किया।
टेक्सास : इसकी जीडीपी 1.6 ट्रिलियन यूएस डॉलर, विश्व के कुल तेल उत्पादन में 5% योगदान
काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया ह्यूस्टन के मुताबिक, टेक्सास की जीडीपी 1.6 ट्रिलियन यूएस डॉलर है। अमेरिका का यह राज्य अगर एक देश होता तो यह दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होती। अमेरिका की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से 92 कंपनियां इसी राज्य में हैं। वहीं, विश्व की फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से 12 यहीं की हैं। हेल्थकेयर, रिन्यूएबल एनर्जी, हाई टेक्नोलॉजी, डिफेंस/एयरोस्पेस और फाइनेंशियल सर्विस के क्षेत्र में अमेरिका का यह राज्य बेहद आगे है। भारत-यूएस के कुल व्यापार का 10% अकेले इसी राज्य से होता है। टेक्सास प्रतिदिन 30 लाख बैरल से ज्यादा ऑइल का उत्पादन करता है, जो कि कुल यूएस के तेल उत्पादन का 50% और विश्व के कुल तेल उत्पादन का 5% है। अगर टेक्सास एक देश होता तो यह 9वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश होता। राज्य में 25 हजार से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। राज्य का ह्यूस्टन शहर का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भारत है। 2018 में भारत का ह्यूस्टन से व्यापार करीब 4.3 बिलियन डॉलर रहा। भारत की तीन सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनियां ऑइल इंडिया लिमिटेड, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) और ओएनजीसी लिमिटेड के हेडक्वार्टर ह्यूस्टन में हैं। टेक्सास राज्य में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन में ही पढ़ते हैं।
ट्रम्प के आने की वजह : मोदी की छवि और भारतीयों की बढ़ती ताकत
चौथाईवाले ने बताया कि मोदी के पिछले दोनों कार्यक्रमों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति को न्योता भेजा गया था। हमने इस बार ट्रम्प को आमंत्रित किया, लेकिन वे इसे स्वीकार करेंगे, इसका अंदाजा कम ही था। उनके इस कार्यक्रम में शामिल होने के दो कारण हो सकते हैं। पहला प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेता के तौर पर छवि और दूसरा यहां का भारतीय समुदाय, जो आज बड़ी संख्या में अर्थव्यवस्था से लेकर हर क्षेत्र में योगदान दे रहा है। यहां भारतीय समुदाय के लोग डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट तो हैं ही, साथ ही गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई ऐसी छोटी-बड़ी कंपनियां हैं, जिनके सीईओ भी भारतवंशी हैं। राजनीति और प्रशासनिक सेवाओं में भी भारतीयों की अच्छी तादाद है। ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन में कई भारतीय थे। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में भी कई भारतीय हैं। आज भारतीय कंपनियां यहां हजारों की संख्या में रोजगार पैदा कर रही हैं। यहां करीब 2 लाख भारतीय छात्र हैं। भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय भी आम अमेरिकियों के मुकाबले दोगुना है। ऐसे में भारतीयों को यहां बड़े सम्मान की नजर से देखा जाता है। यही कुछ कारण रहे हैं जिनके चलते ट्रम्प भी इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं।
ट्रम्प की मौजूदगी बताएगी कि कुछ मतभेदों के बावजूद भारत-अमेरिका साथ ही खड़े हैं
चौथाईवाले के मुताबिक, भारत का अमेरिका से कुछ चीजों में विवाद रहा है, जैसे ट्रेड के मामले में टैरिफ को लेकर कुछ मतभेद हैं। भारत के रूस से हथियार खरीदने को लेकर भी कुछ मनमुटाव हैं, लेकिन इन सबसे ऊपर उठकर राष्ट्रपति ट्रम्प का प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में आना दुनिया को यह संदेश देगा कि कुछ मामलों में मतभेद हो सकते हैं लेकिन इससे भारत-अमेरिका की दोस्ती में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला और दोनों देश हर क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ खड़े हैं।
60 से ज्यादा डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स कार्यक्रम में आएंगे
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के 60 से ज्यादा बड़े नेता इस कार्यक्रम में आएंगे। इसमें लॉ मेकर, कांग्रेसमैन और गवर्नर शामिल होंगे। चौथाईवाले बताते हैं कि यहां के भारतीय समुदाय का झुकाव दोनों पार्टियों की तरफ है। ट्रम्प को अमेरिकी राष्ट्रपति होने के नाते हमने न्योता भेजा। हमने डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टियों के कई कांग्रेसमैन को आमंत्रित किया है। 
ऐसे कार्यक्रमों से ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स में बड़ा असर दिखता है
चौथाईवाले बताते हैं कि ये कार्यक्रम भारतीय समुदाय को एकजुट करते हैं। भारतीय समुदाय अलग-अलग धर्म, जाति और भाषा के आधार पर बंटे हुए हैं। लेकिन इस तरह के कार्यक्रम को सभी समुदाय मिलकर ऑर्गनाइज करते हैं। ह्यूस्टन में भी 600 से ज्यादा संगठन इस कार्यक्रम के लिए साथ आए। ऐसे में भारतीय समुदाय में एकजुटता बढ़ती है। लोगों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है कि उनके देश के प्रधानमंत्री उनके साथ खड़े हैं। अमेरिका हो यूरोप हो या मिडिल ईस्ट हो पीएम मोदी के भारतीय समुदायों को संबोधित करना और उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों का इन कार्यक्रमों में शामिल होना ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स में बड़ा असर दिखाता है।
400 गायक और डांसर प्रस्तुति देंगे
एनएफएल की ह्यूस्टन टेक्सन टीम के होम ग्राउंड एनआरजी स्टेडियम में यह इवेंट होगा। कार्यक्रम स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारतीय समयानुसार रात 8:30 बजे) शुरू होगा और दोपहर 1 बजे (भारतीय समयानुसार रात 11:30 बजे) खत्म होगा। प्रेसिडेंट ट्रम्प और पीएम मोदी के संबोधन के अलावा कार्यक्रम में 90 मिनट का इंटरटेनमेंट शो 'वूवन' भी रहेगा। इसमें 400 गायक और डांसर प्रस्तुतियां देंगे। इसमें भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों के अनुभव को भी बायोग्राफिकल वीडियो क्लिप्स के जरिए दिखाया जाएगा।

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