India-Bangladesh News / बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से पीएम मोदी ने की बात- संसदीय चुनाव में जीत की दी बधाई

Zoom News : Jan 08, 2024, 08:25 PM
India-Bangladesh News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम चुनाव में जीत दर्ज करने पर अपने बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना को बधाई दी और कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश के साथ ‘स्थायी और जन केंद्रित’ साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री शेख हसीना से बात की और संसदीय चुनावों में लगातार चौथी बार ऐतिहासिक जीत हासिल करने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने चुनाव के सफल आयोजन के लिए बांग्लादेश के लोगों को बधाई दी और कहा, ‘‘हम बांग्लादेश के साथ अपनी स्थायी और जन केंद्रित साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

खरगे ने भी दी बधाई

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बांग्लादेश के आम चुनाव में सत्तारूढ़ अवामी लीग की जीत पर सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना को बधाई दी और उम्मीद जताई कि दोनों देशों के लोगों के बीच के रिश्ते और मजबूत होंगे। खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं अवामी लीग और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को हाल ही में संपन्न आम चुनाव में मिली शानदार जीत के लिये बधाई देता हूं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और बांग्लादेश सभ्यता, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं। हमारे संबंध 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम से जुड़े हैं। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और हमारी नेता रहीं इंदिरा गांधी ने हमारे उन गहरे द्विपक्षीय संबंधों की नींव रखी, जो संप्रभुता, समानता, विश्वास और उस सहमति के द्योतक हैं, जो रणनीतिक साझेदारी से कहीं आगे है। 

विपक्षी पार्टियों ने किया था चुनाव का बहिष्कार  

हसीना की पार्टी अवामी लीग ने लगातार चौथी बार आम चुनाव में जीत हासिल की है। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा उसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। मीडिया की खबरों के अनुसार, हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने 300 सीट वाली संसद में 223 सीट पर जीत हासिल की। एक उम्मीदवार के निधन के कारण 299 सीट पर चुनाव हुये थे। इस सीट पर मतदान बाद में होगा।

2009 से सत्ता में हैं शेख हसीना

हसीना 2009 से सत्ता में हैं और एकतरफा चुनाव में लगातार चौथी बार उनकी पार्टी ने जीत हासिल की है। अहम बात यह है कि 1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद से ऐसा दूसरी बार है, जब सबसे कम मतदान हुआ।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER